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    दलित महिला के मंदिर में जाने से खफा पुजारिन ने धो डाला मंदिर

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 15 Jul 2016 04:37 PM (IST)

    कानपुर देहात जिले में पुजारिन ने मंदिर को कई बार धोया, क्योंकि एक दलित महिला अपनी पुत्री के साथ मंदिर में पूजा करने आई थी। पुजारिन का कहना है हम तो मंदिर को रोज ही धोते हैं।

    लखनऊ (वेब डेस्क)। सरकार के साथ तमाम गैर सरकारी संगठन समाज में एकरूपता लाने को प्रयासरत हैं, लेकिन गांवों में ऊंच-नीच का भेदभाव अभी भी बेहद गंभीर रूप में बसा है। ताजा मामला कानपुर देहात जिले का है। यहां एक पुजारिन ने मंदिर को कई बार धोया, क्योंकि एक दलित महिला अपनी पुत्री के साथ मंदिर में पूजा करने आई थी। महिला का आरोप है कि उसके जाने पर मंदिर को धोया गया, जबकि पुजारिन का कहना है हम तो मंदिर को रोज ही धोते हैं।

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    कानपुर देहात जिले के मंगलपुर गांव में एक दलित महिला ने आरोप लगाया है कि वह गांव के चतुर्भुज मंदिर में अपनी बेटी की शादी के लिए पूजा करने गई तो वहां की महिला पुजारिन ने उसके जाने के बाद मंदिर को धोया। महिला पुजारिन ने पुलिस को इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए बताया कि मंदिर को जब भी बंद किया जाता है तो उससे पहले रोज ही उसकी धुलाई की जाती है।

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    पुलिस ने बताया कि चतुर्भुज मंदिर के खुलने का समय सुबह तीन बजे से दोपहर बारह बजे तक तथा शाम तीन से सात बजे तक का है। 11 जुलाई को गांव की रहने वाली बिटानी देवी अपनी बेटी नीलम की शादी के पहले पूजा करने कुछ महिलाओं के साथ मंदिर गयी। दलित महिला बिटानी ने बताया कि जब वह वहां पहुंची तो मंदिर बंद होने जा रहा था और उसकी सफाई की तैयारियां हो रही थी। इस पर उन्होंने मंदिर की महिला पुजारिन बबिता त्रिवेदी से कहा कि उनकी बेटी की शादी के पहले की कुछ रस्में है जिन्हें वह पूरा करने दें। इसके बाद बिटानी देवी ने अपनी बेटी नीलम और रिश्तेदार महिलाओं के साथ मंदिर में पूजा अर्चना की।

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    पुलिस ने बताया कि जब पूजा खत्म हो गई तो नियमानुसार रोज की तरह त्रिवेदी ने मंदिर की सफाई की और उसकी धुलाई कराई। इस पर बिटानी को यह लगा कि मंदिर की सफाई और धुलाई उनकी बेटी की पूजा के कारण कराई गई है। इस पर उन्होंने पुलिस से अपनी बात मौखिक रूप से बताई। पुलिस ने कहा कि इस पर उन्होंने महिला पुजारी बबिता त्रिवेदी को बुलाकर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि हर रोज मंदिर बंद होने से पहले सफाई की जाती है और पानी की धुलाई की जाती है तथा गंगाजल छिड़का जाता है ताकि जब दोबारा मंदिर खुले तो आने वाले भक्तों को कोई समस्या न हो और उन्हें मंदिर साफ सुथरा दिखे। उस दिन किसी विशेष कारण से ऐसा नहीं किया गया बल्कि रोजाना होने वाली सफाई और धुलाई की गई।

    उन्होंने बताया कि इस पर बिटानी देवी और बबिता त्रिवेदी दोनों को बुलाकर आमने सामने बैठाया गया जिससे बिटानी की दलित होने के कारण मंदिर की धुलाई की बात साफ हो गयी, उन्होंने पुलिस को कोई लिखित रिपोर्ट नहीं दी, इसलिए पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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