कानपुर देहात में पुलिस का गजब इंसाफ, दुष्कर्म की सजा बीस चप्पलों की पिटाई!
कानून की किताब में दुष्कर्म की सजा भले ही दस साल तक कारावास तय की गई हो, लेकिन पुलिस के दरोगा की 'अदालत' में ये महज बीस चप्पलों की पिटाई भर है।
कानपुर देहात (जेेएनएन)। कानून की किताब में दुष्कर्म की सजा भले ही दस साल तक कारावास तय की गई हो, लेकिन गजनेर पुलिस के दरोगा की 'अदालत' में ये महज बीस चप्पलों की पिटाई भर है। कानपुर देहात के गजनेर पुलिस ने दुष्कर्म पीडि़ता की गुहार पर कार्रवाई की बजाए समझौता करा खुद ही इंसाफ कर डाला।
गजनेर थानांतर्गत पामा चौकी क्षेत्र के पतरा सड़वा गांव की महिला ने पुलिस को तहरीर देकर पड़ोसी युवक पर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। रविवार दोपहर पामा चौकी इंचार्ज विष्णुकांत तिवारी पुलिस बल के साथ गांव पहुंचे। ग्रामीणों के मुताबिक, चौकी इंचार्ज ने दोनों पक्षों को बैठाकर पंचायत की और फिर आरोपी को 20 चप्पल मारने की सजा तय कर सामने ही मार भी पड़वाई। ग्रामीण चौकी इंचार्ज के मनमाने 'इंसाफ' से स्तब्ध रह गए। कुछ लोगों ने विरोध किया तो पुलिस ने डपट दिया। पुलिस की कार्रवाई से असंतुष्ट पीडि़ता अब उच्चाधिकारियों से शिकायत करेगी। चौकी इंचार्ज ने बताया कि जांच करने गांव गए थे। दोनों पक्षों के समझौता करने पर कार्रवाई नहीं की गई।
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पहले शादी का झांसा, फिर ब्लैकमेल
पीडि़ता महिला पहले से विवाहित है, जबकि आरोपी अविवाहित। आरोप है कि युवक एक साल पहले संपर्क में आया। शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करता रहा, फिर ब्लैकमेल करने लगा।
..तो दरोगा को होगी सात साल की सजा
अनूठा इंसाफ कर दरोगा इसमें बुरी तरह फंस सकते हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा ने बताया कि चौकी इंचार्ज ने पद की जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं किया। मुकदमा लिख कर आरोपी को अदालत में पेश करना चाहिए था। कानून व्यवस्था में फैसले का अधिकार सिर्फ अदालत को है। दुष्कर्म के मामले पंचायत या समझौते से निस्तारित नहीं किए जा सकते। चौकी इंचार्ज ने नियमानुसार पीडि़ता का तुरंत मेडिकल नहीं कराया। यह साक्ष्य नष्ट करने के साथ आरोपी को बचाने के प्रयास का अपराध है। उनके खिलाफ अपराध के साक्ष्य को छिपाने पर धारा 201 में मुकदमा दर्ज हो सकता है, जिसमें सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।
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