शिवपाल का मंत्रिमंडल व सपा के सभी पदों से इस्तीफा, अखिलेश ने किया अस्वीकार
समाजवादी पार्टी में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच शिवपाल यादव ने अखिलेश मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है। शिवपाल ने सपा के प्रदेश अध्यक्ष पद से भी इस्तीफा दे दिया है।
लखनऊ (जेएनएन)। गुरुवार का दिन समाजवादी पार्टी के लिए अभूतपूर्व संकट वाला रहा। सोमवार से शुरू हुए 'गृहयुद्ध में गुरुवार रात होते होते शिवपाल यादव के तेवर बगावती हो गए। उनके सरकार व संगठन से इस्तीफा देने के साथ संकट और गंभीर हो गया। हालांकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिवपाल का मंत्री पद से इस्तीफा स्वीकार करने से इन्कार कर दिया। शिवपाल के इस कदम पर देर रात मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश से बात भी की। सपा का संकट इस कदर गंभीर है कि देर रात मंत्री नारद राय, हाजी रियाज के अलावा अंबिका चौधरी शिवेन्द्र सिंह, रेहान, उदयराज यादव, रणविजय सिंह, रामलाल अकेला समेत दर्जन भर विधायक व बड़ी संख्या में समर्थक शिवपाल के आवास पर डट गए। शुक्रवार का दिन सपा के लिए नया इतिहास रच सकता है। इससे पहले दिन में राम गोपाल यादव ने परिवार में झगड़े के पीछे अमर सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए पार्टी की बर्बादी की वजह ठहराया था।
शिवपाल का मंत्रिमंडल व सपा के सभी पदों से इस्तीफा, अखिलेश ने किया अस्वीकार
सरकार व संगठन के सभी पदों से इस्तीफा, समर्थक जुटे
समाजवादी पार्टी व सरकार में वर्चस्व की जंग के बीच गुरुवार को दिल्ली से लखनऊ लौटे शिवपाल यादव ने शाम को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, फिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की और मंत्री के साथ समाजवादी पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर सपा के सामने अभूतपूर्व संकट खड़ा कर दिया। हालांकि सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने शिवपाल का मंत्री पद से इस्तीफा स्वीकार करने से इनकार करते हुए उसे बैरंग लौटा दिया है। माना जा रहा है कि शिवपाल द्वारा संगठन के पदों से दिया गया इस्तीफा भी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव स्वीकार नहीं करेंगे। देर रात मुलायम ने इस मसले पर अखिलेश से बात भी की
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चार दिनों से चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच गुरुवार को शिवपाल यादव दिल्ली से लखनऊ लौटे। यहां पहुंचने के बाद शिवपाल ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष पद की न कभी दावेदारी की थी न ही इसकी भनक थी। सपा मुखिया मुलायम ने यह फैसला लिया। कहा कि कोई पद छोटा, बड़ा नहीं होता। वह मंत्री हैं व प्रदेश अध्यक्ष का कार्य दिया गया है, उस दायित्व को निभाएंगे। विभाग हटाने के सवाल पर शिवपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपनी सरकार पर फैसला लेने का अधिकार है। विभाग वापस लेने का फैसला उनका है। मुझसे विभाग वापस लेने का फैसला मुलायम (नेताजी) की राय से नहीं लिया गया होगा। उनकी बात न मानने की हैसियत किसी में नहीं है। अब हमें एक होकर 2017 का चुनाव लडऩा है। शिवपाल ने बगैर किसी इशारे के कहा कि लोगों को अपनी बुद्धि से फैसले लेने चाहिए। किसी की कही सुनी बात पर नहीं। कहा सब बुद्धिमान मुख्यमंत्री और मुलायम सिंह नहीं बन सकते है। यह जोड़ा किहर कोई शिवपाल यादव नहीं हो सकता। बाहरी व्यक्ति के मुख्यमंत्री व प्रो.राम गोपाल के इशारे के सवाल पर शिवपाल यादव ने कहा कि पार्टी में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं है। अमर सिंह को पार्टी में लेने का फैसला नेताजी (मुलायम सिंह) का है।
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इन बातों के कुछ घंटे बाद ही वह सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंचे। करीब एक घंटे की मुलाकात के बाद मुलायम की हिदायत पर शिवपाल मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिलने उनके सरकारी आवास पर पहुंचे। लगभग 15 मिनट की मुलाकात के बाद शिवपाल वहां से लौटे और परिवार के साथ चर्चा के बाद मंत्री व समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रभारी व प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। उनके पास सपा के प्रदेश प्रभारी, मुख्य प्रवक्ता का पद भी था। प्रवक्ता ने बताया कि मंत्री ने सभी पदों से इस्तीफा दिया है। शिवपाल के इस फैसले के बाद से समाजवादी पार्टी में हड़कंप की स्थिति है, इसके दूरगामी परिणाम के संकेत हैं। चर्चा रही कि मुख्यमंत्री से वार्ता के बाद स्थितियां तेजी से बदलीं और शिवपाल के तेवर उग्र्र हो गए। शिवपाल के साथ उनके बेटे आदित्य यादव उर्फ अंकुर ने पीसीएफ के चेयरमैन पद व उनकी पत्नी सरला यादव ने कोआपरेटिव निदेशक के पद से भी इस्तीफा देने की चर्चा रही। हालांकि बाद में शिवपाल के प्रवक्ता ने इसका खंडन किया।
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समर्थकों की भीड़ देख सुरक्षा बढ़ी
शिवपाल के इस्तीफे की जानकारी मिलते ही उनके समर्थकों का जमावड़ा आवास पर लगने लगा। समर्थक शिवपाल तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं, जैसे नारे लगा रहे थे। इस दौरान वहां दर्जन भर सपा विधायक भी पहुंच गए। यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा। समर्थकों की भीड़ बढ़ती देख उनके आवास की सुरक्षा भी बढ़ा दी गयी।
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संसदीय बोर्ड की बैठक टली
समाजवादी पार्टी की शुक्रवार को प्रस्तावित समाजवादी संसदीय बोर्ड की बैठक टाल दी गयी है। राम गोपाल यादव ने कहा कि इस मसले पर बोर्ड की बैठक की जरूरत नहीं है। टिकट और प्रत्याशी का बात होती तो बोर्ड की बैठक बुलाई जाती।
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