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    अखिलेश को अध्यक्ष पद से हटाना पार्टी नेतृत्व की गलती : राम गोपाल यादव

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Fri, 16 Sep 2016 09:25 AM (IST)

    संसदीय बोर्ड की शुक्रवार को होने वाली बैठक में सपा मुखिया कुछ अहम फैसले ले सकते हैं। वहीं, उत्तर प्रदेश में लगातार बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच प्रोफेसर रामगोपाल यादव आज लखनऊ पहुंचने वाले हैं।

    लखनऊ (जेएनएन)। उत्तर प्रदेश में लगातार बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि अखिलेश यादव को यूपी प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना पार्टी नेतृत्व की गलती रही। उन्होंने कहा कि इस फैसले से अविश्वास का माहौल बना लेकिन इन दिक्कतों को सुलझा लिया जाएगा। प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने कहा कि ये धारणा गलत है कि परिवार या सरकार में किसी तरह का मतभेद है।

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    अखिलेश यादव से मिलेंगे प्रोफेसर राम गोपाल यादव

    मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात करेंगे। इस बीच दिल्ली में शिवपाल और मुलायम सिंह यादव की मैराथन मीटिंग में 'बाहरी व्यक्ति' का नाम आने की चर्चा है। सपा सूत्रों के मुताबिक फिलहाल लखनऊ में सपा की किसी तरह की मीटिंग प्रस्तावित नहीं है। असल में गुरुवार को होने वाली संसदीय बोर्ड की बैठक स्थगित कर दी गयी है। अब यह बैठक शुक्रवार को होगी। इस बैठक में सपा महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव भी शामिल होंगे। कल रामगोपाल यादव की अखिलेश से ही भेंट होनी है। इस बीच मुलायम के घर चल रही मैराथन मीटिंग समाप्त हो गई है। पांच घंटे से ज्यादा चली मीटिंग में अहम फैसले किए गए हैं। अब शुक्रवार को मुलायम सिंह यादव इस मामले पर फैसला लेंगे।

    किसी को हटाना या रखना मुख्यमंत्री का विषेशाधिकार

    उल्टा पड़ा मुलायम का दांव

    दरअसल, मुलायम सिंह ने इस बार डैमेज कंट्रोल का जो नुस्खा अपनाया है, वह उलटा पड़ सकता है। मुलायम ने मंत्रियों की बर्खास्तगी को हरी झंडी देकर तो अखिलेश की बेदाग छवि का सफल संदेश दे दिया मगर शिवपाल मामले में वह चूक गए। शिवपाल के विभागों में कटौती की भरपाई उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नहीं हो सकती। यही एक कदम पूरे घटनाक्रम को जल्दबाजी का फैसला करार दे रहा है। जब अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने की बात हुई थी, तब अंदर खाने कई वरिष्ठ सपाई नाखुश थे जिनकी आवाज में शिवपाल यादव ने हां में हां मिलाई थी। अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सत्ता के समानांतर केंद्र विकसित होते रहे जिन्हें समाजवादी परिवार के अंदर भी लोग हवा देते रहे। चूंकि परिवार का एक हिस्सा अघोषित रूप से शिवपाल और दूसरा अखिलेश के साथ रहा, इससे दोनों के बीच की खाई बढती चली गई। ऊपर से बर्खास्त मंत्री गायत्री प्रजापति के परिवार के अंदर बढ़ते दखल से भी कुनबे की रार में इजाफा हुआ।

    घर में ही पक्ष-विपक्ष

    ऐन चुनाव के मौके पर सपा परिवार के लिए विकट चुनौती है। हालात यह हैं कि पक्ष और विपक्ष घर ही में दिख रहे हैं। उलझाव ऐसा कि विरोधी पार्टियों को अब हमलावर होना ही नहीं पड़ रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं को जब क्षेत्र में जुटने की जरूरत है तो ऐसे नाजुक मौके पर वह अंदरखाने मचे तमाशे का क्लाइमेक्स देख रहे हैं। पिछले चार साल का घटनाक्रम देखें तो साफ हो जाता है कि सपा परिवार में उपजे विवादों के बीज चार साल पहले ही पड़ गए थे। एक तरफ प्रोफेसर रामगोपाल और अखिलेश रहे तो दूसरी ओर शिवपाल। दोनों ही पक्ष एक दूसरे को मात देने का मौका तलाशते रहे और वार भी करते रहे। कौमी एकता दल के विलय को नकार अखिलेश गुट ने बढ़त बनाई तो शिवपाल गुट ने प्रो. रामगोपाल समर्थित एमएलसी और जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अवैध कब्जों की जांच का मामला छेड़ दिया। शह मात का यह खेल अब निर्णायक मोड़ पर है।

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    अखिलेश अब बच्चे नहीं बड़े हो गए

    चेन्नई में सपा सांसद अमर सिंह ने कहा कि अखिलेश को कल और आज में समन्वय करना होगा। अखिलेश मेरे बच्चे की तरह है लेकिन वह अब बच्चे नहीं बड़े हो गए हैं। फिलहाल मैं किसी भी मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करूंगा। कुछ और कुरेदने पर अमर सिंह ने कहा कि मुलायम मुझे प्यार करते हैं ये लोगों को समस्या है। कुछ लोग चाहते हैं की वो मुझसे घृणा करें। मुलायम कहेंगे तो खुद को दोषी मान लूंगा। मुलायम सिंह से मुलाकात करता रहता हूं। इससे पहले उन्होंने कहा कि अखिलेश ने मुझे आज तक कुछ नहीं कहा।

    कल पूरे दिन चला धूप-छांव का खेल

    सियासी परिवार में कल दोपहर से रात तक धूप-छांव का खेल चलता रहा। कद्दावर मंत्री शिवपाल यादव के चेहरे के रह-रहकर बदले भावों को थोड़ा पढऩे की कोशिश करें तो यूं ही लगा कि वह खुद उलझे रहे कि ये वक्त उनके लिए 'मुलायम है या 'कठोर। उनके अजीम दीपक सिंघल की कुर्सी छिनने के बाद 'चाचा-भतीजे प्रकरण गर्माने से पहले परिवार और दल के मुखिया मुलायम सिंह ने छोटे भाई को प्रदेश की कमान सौंप कर बेहतर 'संतुलन का प्रयास किया।

    मगर, रात होते ही उनके मंत्रलय में फेरबदल पर सवालों के बदले मिली शिवपाल की खामोशी और चेहरे पर शिकन। इटावा में लोक निर्माण विभाग के डाक बंगले में और बाद में कानपुर देहात के आंट गांव में पत्रकारों से बातचीत करते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि यह मुख्यमंत्री की मर्जी पर निर्भर करता है कि वे किससे सलाह लें या न लें। अगर मुख्यमंत्री उनसे सलाह मांगेंगे तो वे अपनी सलाह देंगे।

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    तीन फैसलों से बढ़ी रार

    समाजवादी कुनबे की रार में तीन फैसलों ने उत्तर प्रदेश की सियासत और नौकरशाही में हलचल पैदा कर दी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मुख्य सचिव दीपक सिंघल की छुट्टी करते हुए उनकी जगह राहुल भटनागर की ताजपोशी कर दी तो शाम होते-होते सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने अनुज और मंत्री शिवपाल सिंह यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद की कमान सौंप दी थी। अभी तक यह दायित्व मुख्यमंत्री के ही पास था। इसके कुछ देर बाद ही मुख्यमंत्री ने मंत्री शिवपाल सिंह यादव से सभी महत्वपूर्ण विभाग ले लिए। समाजवादी कुनबे में ये तीनों फैसले बड़े कलह की ओर इशारा कर रहे थे।

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    महत्वपूर्ण विभाग छिन गए

    सभी महत्वपूर्ण विभाग छिनने से नाराज शिवपाल सिंह इस्तीफा देने की तैयारी कर चुके थे। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के प्रस्ताव पर राज्यपाल राम नाईक ने मंत्रियों के विभागों में फेरबदल का आदेश रात जारी कर दिया था। अब शिवपाल यादव के पास परती भूमि विकास, भूमि विकास एवं जल संसाधन के साथ समाज कल्याण विभाग का अतिरिक्त कार्यप्रभार रहेगा। पीडब्लूडी और सिंचाई शिवपाल का पसंदीदा विभाग है। अब पीडब्लूडी मुख्यमंत्री के पास रहेगा। राज्यपाल ने मंत्री अवधेश प्रसाद को सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण का अतिरिक्त प्रभार दिया है जबकि बलराम यादव को वर्तमान विभाग के साथ ही राजस्व, अभाव, सहायता एवं पुनर्वासन।

    मुख्य सचिव को हटाया जाना

    मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दो मंत्रियों को बर्खास्त किये जाने के अगले ही दिन कल मुख्य सचिव दीपक सिंघल को भी हटा दिया। 1982 बैच के आइएएस सिंघल को मुख्य सचिव के साथ ही प्रमुख स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली और अध्यक्ष पिकप, उत्तर प्रदेश के पद से भी हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया गया है। सिंघल की जगह 1983 बैच के आइएएस राहुल भटनागर को मुख्य सचिव का दायित्व सौंपा गया है। भटनागर के पास पिकप और प्रमुख सचिव स्थानिक आयुक्त का भी दायित्व रहेगा। अभी तक वित्त आयुक्त एवं प्रमुख सचिव वित्त संस्थागत, वित्त एवं चीनी उद्योग तथा गन्ना विकास के पद पर रहे राहुल भटनागर प्रदेश के 49 वें मुख्य सचिव होंगे। भटनागर ने कल दोपहर कार्यभार भी ग्रहण कर लिया।

    अन्तर्कलह दूर करने का प्रयास

    मुलायम सिंह यादव ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी ऐसे समय पर सौंपी है जिसे परिवार की अन्तर्कलह दूर करने का प्रयास माना जा रहा है। दरअसल, मंत्रियों गायत्री प्रसाद प्रजापति और राजकिशोर सिंह की बर्खास्तगी और कल मुख्य सचिव दीपक सिंघल को अचानक हटा दिए जाने से यह सवाल उठने लगा था कि चाचा-भतीजे के बीच फिर रार बढ़ेगी। दीपक सिंघल और राजकिशोर शिवपाल के ही करीबी माने जाते हैं। वैसे भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और मंत्री शिवपाल सिंह यादव के तल्ख रिश्ते समय-समय पर सार्वजनिक होते रहे हैं। कभी शिवपाल ने आगे बढ़कर इस पर विराम लगाया तो कभी खुद मुख्यमंत्री ने। मगर इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि दोनों के बीच सब कुछ सामान्य नहीं है।