टाट उतरवाने पर बागी हुआ था रामवृक्ष, आश्रम पर कब्जे का रिहर्सल
रामवृक्ष यादव का मुख्य मकसद जयगुरुदेव के साम्राज्य पर कब्जा करना था। यह सपना वो बाबा जय गुरुदेव के साथ रहने के दौरान ही देखने लगा था।
मथुरा [राजेश मिश्रा]। नेताजी सुभाष चंद बोस के नाम का सहारा लेकर आगे बढ़े रामवृक्ष यादव का मुख्य मकसद जयगुरुदेव के साम्राज्य पर कब्जा करना था। यह सपना वो बाबा जय गुरुदेव के साथ रहने के दौरान ही देखने लगा था।
टाट के वस्त्र पहनकर रामवृक्ष यादव बाबा जय गुरुदेव के साथ इमरजेंसी में कानपुर जेल भी गया। मगर उसके मंसूबों की भनक लगते ही बाबा ने उससे टाट के वस्त्र उतरवा लिए थे। इसी के बाद रामवृक्ष जयगुरुदेव संस्था से बागी हो गया था।
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बाबा जयगुरुदेव के सबसे पुराने 80 वर्षीय अनुयायी हरी सिंह पैतृक गांव जरामई, थाना भोगांव, मैनपुरी में रह रहते हैं। 'जागरण' से बातचीत में हरी सिंह बताते हैं देश में लगे आपातकाल से कई वर्ष पहले ही रामवृक्ष बाबा जयगुरुदेव का अनुयायी बन चुका था और टाट (बोरा) के कपड़े पहनता था। उनके तमाम शिष्यों की तरह वह भी आपातकाल के दौरान कानपुर जेल गया था।
बाबा जयगुरुदेव के तत्कालीन शिष्यों में रामवृक्ष की छवि पढ़े-लिखे, तेज-तर्रार व अडिय़ल, आक्रामक व निरंकुश व्यक्ति की थी। उसकी संस्था विरोधी गतिविधियों के कारण नब्बे के दशक में बाबा जयगुरुदेव ने टाट के कपड़े उतरवाकर उसे बाहर निकाल दिया। बाबा के अनुयायियों में टाट के कपड़े उतरवाने का आशय है कि वो व्यक्ति अब बाबा का शिष्य नहीं रहा।
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इसके बाद रामवृक्ष खुलकर बाबा जयगुरुदेव के संगठन का विरोधी हो गया और साम्राज्य पर कब्जा करने का सपना देख लिया था। इसके लिए रामवृक्ष ने पहले अपनी ताकत बनानी शुरू कर दी। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर स्वाधीन भारत सुभाष सेना व स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह नामक संगठन खड़े कर अपनी गतिविधियों को संचालित करता रहा।
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वर्ष 2011 में अपनी बेजा मांगों को लेकर करीब चार सैकड़ा समर्थकों के साथ मध्य प्रदेश के सागर जिले से किसी मिशन की 'यात्रा' पर निकला था। जयगुरुदेव आश्रम मथुरा पर उसने कब्जे का एक 'रिहर्सल' भी किया था। बाबा जय गुरुदेव पेट्रोल पंप पर धावा बोला था। यहां मुंह की खाने के बाद रामवृक्ष और बौखला गया था। बाबा के बुजुर्ग अनुयायी बताते हैं 18 मई 2012 को बाबा के ब्रहमलीन होने पर रामवृक्ष आश्रम पर आया था, मगर कोई हरकत नहीं की।
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