Mathura clash: जवाहरबाग के सत्याग्रही रामवृक्ष के मददगारों की तलाश
मथुरा के जवाहर बाग से नेटवर्क चलाने वाले सत्याग्रही रामवृक्ष के मददगारों की तलाश जारी है। उसकी जवाहरबाग में ही नहीं देश के कई हिस्सों तक जड़े फैली थीं।
लखनऊ (जेएनएन)। स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह बैनर तले मथुरा के जवाहर बाग से नेटवर्क चलाने वाले रामवृक्ष के मददगारों की तलाश की जा रही हैं। उसकी जवाहर बाग में ही नहीं देश के कई हिस्सों तक जड़े फैली हुई थीं। खूनी संघर्ष में रामवृक्ष का अंत होने के बाद अब उसके कथित सत्याग्रहियों और उपद्रवियों की मदद करने वालों की तलाश हो रही है। वैसे तो पूरे प्रदेश में कथित सत्याग्रहियों का जाल फैला था लेकिन प्रदेश के 16 जिलों के लोगों की संख्या ज्यादा थी, इन जिलों में विशेष सक्रियता रखने की बात कही गई है।
स्वाधीन भारत विधिक सत्याग्रह के अध्यक्ष रामवृक्ष का काला खेल सामने आ गया। कथित सत्याग्रहियों के साथ मथुरा के जवाहर बाग में 15 मार्च 2014 से पड़ाव डाले रामवृक्ष, सत्संग की आड़ में धर्म के नाम पर जेहादी बनाता था। दो जून को हुए खूनी संघर्ष के बाद जवाहर बाग में रामवृक्ष का तो अंत हो गया लेकिन अभी उसकी जड़ें फैली बताई जा रही हैं। मथुरा एसएसपीकी तरफ से हरदोई, कानपुर नगर, कन्नौज, फर्रुखाबाद, औरैया, बदायूं, शामली, वाराणसी, प्रतापगढ़, झांसी जिलों को भेजे गए पत्र में बताया कि रामवृक्ष के कथित सत्याग्रहियों में इन जिलों की महिलाएं और उनके च्च्चे अधिक संख्या में थे। दूसरी तरफ अब जवाहर बाग भले ही साफ हो गया लेकिन कथित सत्याग्रही चारों तरफ फैल गए हैं। पुलिस और प्रशासन को आशंका है कि वह कभी भी पनप सकते हैं। मथुरा पुलिस की तरफ से कथित सत्याग्रहियों की आपस में हुई वार्ता के जुटाए गए नंबरों के आधार पर कथित सत्याग्रहियों और उनकी मदद करने वालों पर नजर रखने की बात कही गई है। पुलिस अधीक्षक उमेश कुमार ङ्क्षसह ने बताया पुलिस उपद्रवियों और उनकी मदद करने वालों पर नजर रखे है। जो भी उपद्रवियों के साथ या उनकी मदद करता मिलेगा उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होगी।
अक्सर जाता था खितौरा आश्रम
रामवृक्ष यादव इटावा के मूल निवासी बाबा जय गुरुदेव का खास सिपहसालार था। वह बाबा जय गुरुदेव की जन्मस्थली खितौरा आश्रम में नामदान कार्यक्रम में अक्सर बाबा के साथ आता था और उन्हीं के साथ वापस चला जाता था। खितौरा ग्राम के ग्रामीणों ने बताया कि बाबा जय गुरुदेव के खास सिपहसालारों में उमाकांत तिवारी व रामवृक्ष यादव शामिल थे। ग्रामीणों के अनुसार उस समय बाबा के जन्मस्थली वाले आश्रम की आधारशिला रखी गयी थी और जयगुरुदेव द्वारा आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रम तंबुओं और टेंटों में ही आयोजित किये जाते थे। बाबा जय गुरुदेव की तंबू में ठहरने की व्यवस्था रहती थी। इन तंबुओं में बाबा के परिवारीजन के अलावा केवल उमाकांत तिवारी व रामवृक्ष यादव को ही आने जाने की अनुमति थी।
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