पीएम नरेंद्र मोदी के साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ भी आतंकियों के रडार पर
आतंकी नईम के रडार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। नईम का वाराणसी के साथ ही लगातार लखनऊ भी आना जाना ...और पढ़ें
लखनऊ (जेएनएन)। वाराणसी से एएटीएस की गिरफ्त में आए कुख्यात लश्कर -ए- तैयबा से जुड़े आतंकी नईम के रडार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। नईम का वाराणसी के साथ ही लगातार लखनऊ भी आना जाना लगा रहता है। जांच एजेंसियों को पता चला है कि वह लखनऊ के केंट क्षेत्र में भी घूमता-फिरता था।
हैदराबाद ब्लास्ट के आरोपित नईम के उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लगातार भ्रमण करने के खुलासे ने खुफिया एजेंसियों के होश उड़ा दिए हैं। बताया गया कि नईम कई बार लखनऊ आया था और खासकर यहां वह कैंट क्षेत्र में घूमता था। वाराणसी के भीड़भाड़ वाले घाटों के अलावा वह आगरा में ताज महल के पास भी कई बार गया था। बताया गया कि नईम की बेहतर रेकी व प्लानिंग के लिहाज से पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर के लोग उसे 'हेडली-टू' मानने लगे थे। ऐसे में बड़ा सवाल अब यही है कि नईम उत्तर प्रदेश में किन लोगों की मदद से रेकी कर रहा था। उसने किन सूचनाओं को पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को पहुंचाया है। सूचनाओं के आदान-प्रदान व आपसी संपर्क का मुख्य जरिया क्या था। ऐसे कई सवाल जांच एजेंसियों के अधिकारियों को भी मथ रहे हैं।
आतंकी नईम ने एटीएस की गिरफ्त में आने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में पंद्रह दिनों से ठिकाना बना रखा था। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसी को इसकी भनक लग चुकी थी। आतंकी नईम लंबे समय से वाराणसी के साथ ही लखनऊ में सक्रिय था। वह होटल व लॉज बदलकर ठिकाने बनाता था। वाराणसी में नईम के दो ठिकाने पता चले हैं, जहां वह नाम बदलकर ठहरा था। इनमें एक होटल में वह शेख उल्ला के नाम से ठहरा था। नईम के एक लॉज में प्रवीण नाम से ठहरने की जानकारी भी सामने आई है। एटीएस व एनआइए अब उसके स्थानीय लिंक खंगालने में जुट गई है। खासकर यह पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि वह उत्तर प्रदेश में किन लोगों के संपर्क में था और किन अन्य शहरों में उसका ज्यादा आना-जाना था। जांच एजेंसियों के अधिकारी अभी उसके बारे में अधिक बोलने से कतरा रहे हैं।
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वाराणसी में पांच दिनों तक निगरानी के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने उसे दबोचा। काशी के पहले उसने पटना (बिहार) को अपना ठिकाना बनाया था। पटना में भी उसने छावनी समेत अन्य स्थानों की रेकी की थी। पटना के बाद वह काशी आया और घाट किनारे राजघाट से लेकर दशाश्वमेघ घाट के बीच जगह बदल - बदल कर रहा था। केंद्रीय जांच एजेंसियों की माने तो नईम यहां हिंदू नाम से रह रहा था ताकि किसी को शक नहीं हो। घाट किनारे धर्मशाला, गेस्टहाउस में रुकने के दौरान नईम ने छावनी, डीरेका समेत उसने उन स्थानों की भी रेकी जहां अमेरिकी व इजराइली पर्यटक ठहरते हैं। वह गंगा आरती के दौरान ही काशी में विस्फोट करने की तैयारी थी क्योंकि गंगा आरती में स्थानीय लोगों के साथ ही साथ विदेशी पर्यटक भी होते हैं। माना जा रहा है कि जल्द एटीएस यूपी की टीम दिल्ली जाकर नईम से सीधे पूछताछ भी करेगी। फिलहाल उससे मिले इनपुट के आधार पर कुछ अन्य संदिग्धों की तलाश की जा रही थी।
आतंकी खतरा टला नहीं
नईम के पकड़े जाने के बाद वाराणसी में आतंकी हमले का खतरा अभी टला नहीं है। खुफिया एजेंसियों की माने तो नईम ने काशी में ठहरने के दौरान यहां सुप्तावस्था में पड़े स्लीपर सेल को सक्रिय किया था। पंद्रह दिनों तक वह लगातार स्लीपर माड्यूल के साथ होटल के कमरे आतंकी हमले की साजिश की तैयारी में जुटा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसियों के हत्थे नईम तो आ गया लेकिन पकड़े जाने से पहले उसने स्लीपर सेल तक आकाओं का संदेश पहुंचा दिया था। सुरक्षा एजेंसियों के लिए स्लीपिंग माड्यूल इस समय बड़ी चिंता हैं।
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...तो नदी के रास्ते भाग जाता
हैदराबाद ब्लास्ट के आरोपी नईम ने काशी में रेकी के दौरान अपना ठिकाना ऐसे स्थान पर बना रखा था, जहां से निकलने के लिए सड़क, रेल व जल मार्ग का सहारा लिया जा सकता था।
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नईम ने गंगा किनारे जहां अपना ठिकाना बनाया था वहां से कुछ दूरी पर काशी रेलवे स्टेशन था तो बगल में ही बिहार को जाने वाली सड़क। सूत्रों की माने तो उसने घाट किनारे एक नाव वाले से भी संपर्क में था ताकि किसी तरह का अंदेशा होने पर वह रात में भी नौका से फरार हो जाए।
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प्रतापगढ़ से उठाया गया एक संदिग्ध
एटीएस व एनआइए की टीम ने नईम से मिले इनपुट के आधार पर प्रतापगढ़ से एक संदिग्ध युवकों को हिरासत में लिया है।सूत्रों के मुताबिक डीआइजी एनआइए व अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में उससे लखनऊ में लंबी पूछताछ की गई। उससे मिले सूचनाओं के आधार पर आगे की छानबीन की जा रही है। युवक के बारे में और गहनता से पड़ताल कराई जा रही है।

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