वाराणसी से सटे आजमगढ़ में भी आतंकियों का बड़ा नेटवर्क
आजमगढ़ का नाम दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद आतंकवाद के मामले में सुर्खियों में छा गया था। यहां के स्लीपिंग माड्यूल का नेटवर्क विदेशों तक है। ...और पढ़ें
वाराणसी (जेएनएन)। पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से सेट आजमगढ़ का नाम दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ के बाद आतंकवाद के मामले में सुर्खियों में छा गया था। यहां के स्लीपिंग माड्यूल का नेटवर्क विदेशों तक है। सब जुड़कर नेटवर्क तैयार करते हुए तमाम आतंकी एजेंसियों के लिए काम करते हैं।
यह लोग आइएसआइएस के लिए भी काम करते हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ से भी इनके तार जुड़े हैं। चार सितंबर को आइएस के संदिग्ध आतंकी अबु जैद को मुंबई एयरपोर्ट से पकड़ा गया था। आजमगढ़ के गंभीरपुर थाना क्षेत्र के के छाऊं गांव का रहने वाला अबु जैद युवाओं को आइएस से जोडऩे के लिए प्रलोभन देता था। साथ ही सोशल मीडिया के माध्यम से युवकों को आतंकी संगठन से जुडऩे के लिए भी उकसाता था।
मुंबई से अबु जैद का पकड़ा जाना और कल वाराणसी से आतंकी नईम की गिरफ्तारी यह संकेत दे रही है कि आतंकी संगठनों के निशाने पर किस तरह से प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र है। साथ ही पूर्वांचल में अपनी जड़ों को और गहरा करने की फिराक में आतंकी लगातार जुटे हुए हैं।
आजमगढ़ के पांच युवक अभी भी विदेश में पनाह लिए हुए हैं। यह पांचों पुलिस रिकार्ड में संदिग्ध आतंकी घोषित हैं। बाटला हाउस की घटना के बाद से उन पर दस-दस लाख का इनाम घोषित कर दिया गया।
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नईम और अबु जैद जैसे आतंकी स्लीपिंग माड्यूल को अपने नापाक इरादों या पाकिस्तान व अरब देश में बैठे आकाओं के इशारे पर किसी आतंकी हमले की घटना को अंजाम देने के लिए सक्रिय कर देते हैं।
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एटीएस और एनआइए की एक के बाद एक सफलता के बाद आतंकियों के नेटवर्क पर भी चोट पहुंच रही है। पहले अप्रैल में पकड़े गए चार आतंकियों से हुई पूछताछ में अब जैद पर शिकंजा कसने में कामयाबी मिली। अब नईम की गिरफ्तारी ने भी आतंकियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है।

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