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    सपा घमासानः अमर सिंह को तवज्जो से सपा धुरंधरों को चित करने में जुटे मुलायम

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Mon, 12 Dec 2016 07:50 PM (IST)

    अमर सिंह को तवज्जो से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पार्टी के अंदर बेअंदाज धुरंधरों को चित करने में जुट गए हैं।

    लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पार्टी के अंदर बेअंदाज धुरंधरों को चित करने में जुट गए हैं। अमर सिंह को संसदीय बोर्ड सदस्य नामित करने के बाद उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी का स्टार प्रचारक बनाने की तैयारी से यह सवाल उठा है। समाजवादी कुनबे की रार जितनी तिलिस्मी है, उतनी ही पार्टी में अमर सिंह की वापसी, उन्हें ' बाहरी ' की संज्ञा देने और सपा से निकालने की मांग भी है। इस सबके बावजूद मुलायम सिंह यादव ने प्रो.राम गोपाल यादव से अमर सिंह को संसदीय बोर्ड के सदस्य का पत्र जारी करवाया जो उनके मुखर विरोधी हैं।

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    बड़बोलेपन पर नकेल

    सपा पार्लियामेंट्री बोर्ड (संसदीय बोर्ड) की टिकट वितरण में अहम भूमिका होती है। सपा में चर्चा है कि मुलायम सिंह ने दल के कुछ नेताओं के बड़बोलेपन पर नकेल कसने के लिए यह फैसला किया। विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी की ओर से तैयार हो रही स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम शामिल करने की मुलायम की हिदायत से साफ है कि जब भी उनके इशारों व फैसलों को नजरअंदाज करने का प्रयास होगा, वह चौंकाने वाले फैसले लेने से नहीं हिचकेंगे।

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    मुलायम उन्हें 'अपना ' बताते रहे

    अमर सिंह को दल के कई नेताओं ने 'बाहरी ' कहा। उनके पुतले फूंके गए मगर मुलायम उन्हें 'अपना ' बताते रहे। मुलायम का यह अमर प्रेम है जो परिवार में मचे घमासान के बीच भी उनका साथ छोडऩे को तैयार नहीं। हालांकि चर्चा है कि अमर सिंह को स्टार प्रचारकों की अंतिम लिस्ट में स्थान मिल गया तो मुख्यमंत्री अखिलेश अपनी युवा ब्रिगेड के कुछ सदस्यों के नाम भी लिस्ट में शामिल कराने पर अड़ सकते हैं। ऐसे में अगर अब कोई नया विवाद मुखर हुआ तो उसका सीधा प्रभाव समाजवादी पार्टी की चुनावी तैयारियों पर पड़ेगा।

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    अमर के विरोध में अखिलेश

    अखिलेश यादव ने अमर सिंह का कई बार मुखर विरोध किया है। उनका मानना है कि अमर सिंह ही वह 'बाहरी ' व्यक्ति हैं जिनके चलते परिवार व पार्टी में फूट की नौबत आई। अभी हाल में ही दिल्ली में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अखिलेश ने दो टूक कहा कि अगर वह प्रदेश अध्यक्ष होते तो अमर सिंह को बाहर का रास्ता दिखाने का प्रस्ताव करते। रामगोपाल यादव भी अमर सिंह के मुखर विरोधी रहे हैं जबकि प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को अमर सिंह के शुभचिंतकों में शुमार किया जाता है।

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    सपा में अभी सब ठीक नहीं!

    मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकार पर फोकस करने और पार्टी की गाजीपुर, बरेली में हुई चुनावी रैलियों से दूरी बनाने से समझा जा सकता है कि दल के अंदर चल रहा संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। उसके बाद तीन दिन पहले मुख्यमंत्री ने उन जावेद अब्बास आब्दी को सिंचाई विभाग में सलाहकार नामित किया, जिन्हें प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने रजत जयंती के मंच से हटाया था। वहीं शिवपाल ने 23 प्रत्याशियों की सूची घोषित करते हुए उसमें आपराधिक छवि के उन अतीक अहमद को शामिल किया जिन्हें मुख्यमंत्री अखिलेश नापसंद करते हैं। इस सूची में कई ऐसे लोगों का टिकट काटा गया, जिन्हे मुख्यमंत्री की पसंद वाला माना जाता है। ये परिस्थितियां संकेत कर रही हैं कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है।

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