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    मथुरा हिंसा : यूपी इंटेलिजेंस ने सरकार को 80 बार किया था आगाह

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 10 Jun 2016 01:00 PM (IST)

    मथुरा के जवाहरबाग हिंसा को लेकर इंटेलिजेंस ने 80 बार अपनी रिपोर्ट में जवाहरबाग की विस्तृत रिपोर्ट दी थी, लेकिन शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

    लखनऊ (वेब डेस्क)। मथुरा के जवाहरबाग हिंसा को लेकर एक चैनल के स्टिंग में उत्तर प्रदेश सरकार की अनदेखी सामने आ रही है। इंटेलिजेंस ने 80 बार अपनी रिपोर्ट में जवाहरबाग की विस्तृत रिपोर्ट दी थी, लेकिन शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

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    मथुरा के जवाहरबाग कांड में एक चैनल के स्टिंग के दौरान एलआइयू इंस्पेक्टर ने बताया है कि एलआइयू ने रामवृक्ष यादव के साथ ही उसके सभी हथियारबंद गुर्गों के बारे में सरकार को विस्तृत रिपोर्ट दी थी। इसके साथ ही घटना के एक दिन पहले ही बड़े मामले की आशंका जाहिर करने की रिपोर्ट भी शासन को भेजी गई थी।

    मथुरा के जवाहरबाग में दो जून को खूनी संघर्ष में दो पुलिस अफसरों समेत 29 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद आरोप-प्रत्यारोप के बीच सवालों के घेरे में यूपी सरकार भी है।

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    एक निजी समाचार चैनल की खुफिया टीम ने हाल ही एक स्टिंग किया, जिसने मथुरा कांड की परत दर परत खोलकर रख दिया। इस स्टिंग में पता चला कि कैसे 280 एकड़ जमीन पर कब्जे का बीज बोया गया और कैसे धीरे-धीरे हिंसा का बड़ा पेड बन गया। इन सब को लेकर इंटेलिजेंस ने 80 बार इनपुट और अलर्ट दिया। इसके बाद भी प्रदेश की अखिलेश यादव की सरकार और वहां की पुलिस सक्रिय नहीं हो सकी।

    झूठे साबित हो रहे हैं सीएम अखिलेश यादव

    मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि इंटेलिजेंस का फेल्योर था। जब स्टिंग किया गया तो पता चला कि लोकल इंटेलिजेंस ने तो पल-पल की जानकारी सरकार को दी थी, लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। स्टिंग में मथुरा के इंजेलिजेंस यूनिट प्रमुख मुन्नी लाल गौर ने सरकार को इनपुट भेजा। गौर इंटेलिजेंस यूनिट में बतौर इंस्पेक्टर 2012 से मथुरा में ही तैनात है।

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    मथुरा के हर कोने से अच्छी तरह वाकिफ गौर ने बताया कि हमने यूपी सरकार को एक दो बार नहीं बल्कि पूरे 80 बार जवाहरबाग का इनपुट भेजा था। उन्होंने बताया कि सब तो हमारी तो लिखा-पढ़ी में है। हमने करीब 80-80 प्रतिवेदन भेजे हैं। डीओ लेटर होते हैं। डीओ नोट्स भेजे हैं। 80 बार करीब 250-300 पन्नों की रिपोर्ट है। हमारी अलग अलग तारीखों को। एक महीने में कभी चार बार भेजे, कभी पांच बार भेजे. जब जब जैसी घटना परिस्थितियां आईं, वैसे मैं लिखता-भेजता रहा. लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया।

    जनवरी 2015 में भेजी थी छह पन्नों की रिपोर्ट

    इंस्पेक्टर गौर ने सरकार और शासन दोनों को चेताया कि मथुरा का जवाहर बाग बारूद के ढेर पर है। स्टिंग में गौर ने वो रिपोर्ट भी दिखाई, जिसको लखनऊ यानी अखिलेश सरकार को भेजा गया था। यह रिपोर्ट रोज ही भेजी है। सबसे पहले अवैध असलहों के संबंध में, टैग लगा है। इस संबंध में छह पन्नों की रिपोर्ट 23 जनवरी 2015 को भेजी गई। गौर सरकार और प्रशासन को गौर बार-बार चेताते रहे कि जवाहरबाग में कब्जेधारियों के पास भारी मात्रा में अवैध असलाह है।

    प्रशासन से लडऩे को तैयार सत्याग्रही

    मुन्नी लाल गौर ने रिपोर्ट में लिखा है कि ऐसा सुनने में आया है कि यह लोग अपने साथ अवैध असलहे भी रखे हुए हैं, जिनका समय आने पर प्रयोग करने में नहीं चूकेंगे. वर्तमान में जवाहरबाग में रह रहे सत्याग्रही अत्यधिक उत्तेजित और प्रशासन से लडऩे झगडऩे को तैयार हैं। अगर इनके पास पर्याप्त संख्या में पुलिस बल लेकर कार्रवाई नहीं की गई तो अपर्याप्त पुलिस बल के साथ कोई भी घटना घटित हो सकती है।

    एक जून को किया था आगाह

    गौर ने एक जून को यह रिपोर्ट मथुरा के डीएम व एसएसपी के साथ गृह सचिव को भी भेजी। यही नहीं, ऐसी 15 रिपोर्ट भेजी गईं। जिसे डीएम ने शासन को भेजा था। इनमें एक रिपोर्ट 10 नवंबर तथा 13 जनवरी 2015 की एक रिपोर्ट भी है, जिसमें मारपीट का जिक्र है। खूनी संघर्ष से ठीक एक दिन पहले यानी एक जून को भी सरकार को चेताया गया था।

    एक जून की रिपोर्ट

    एलआईयू के इंस्पेक्टर मुन्नी लाल गौर ने अपनी एक जून की रिपोर्ट में लिखा है कि कि जवाहरबाग को खाली करवाए जाने को लेकर नोटिस और पुलिस की कार्रवाई के चलते पड़ावरत सत्याग्रही हतोत्साहित न होने और एक बार फिर एकजुट होकर शक्ति प्रदर्शन करने वाले हैं। यह बताना चाह रहे हैं कि किसी भी कार्रवाई से कतई सशंकित नहीं हैं। यह दर्शाने के उद्देश्य से सत्याग्रहियों ने महिला, बच्चों को आगे कर मार्च निकाला गया। साथ ही ये भी जानकारी में आया है कि यह लोग छोटे-छोटे ईंट पत्थर के टुकड़े जवाहरबाग के अंदर जगह-जगह एकत्र कर रहे हैं। जिनका प्रयोग इनके पुलिस कार्रवाई के दौरान किया जा सकता है।

    लंबे समय से थी खूनी खेल की तैयारी

    जवाहरबाग में खूनी खेल की तैयारी तो लंबे समय से चल रही थी। मथुरा के खुफिया विभाग ने एक-एक हरकत की सूचना लिखत-पढ़त में दे दी थी। जवाहरबाग में तैनात सब इंस्पेक्टर सुनील कुमार तोमर ने देखा था कि किस तरह महीनों से रामवृक्ष के गुर्गे खुलेआम तमंचे लहराते हुए घूम रहे थे। मथुरा पुलिस को जवाहरबाग में सिर्फ पहरेदारी की जिम्मेदारी दी गई थी।

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    किसी भी तरह के एक्शन का अधिकार नहीं दिया गया था। दो जून को खूनी संघर्ष वाले दिन भी सुनील जवाहरबाग में ही थे। उन्होंने बताया कि जवाहर बाग की खरबों रुपये की कीमत की जमीन को रामवृक्ष को लीज पर देने का खेल चल रहा था।

    रामवृक्ष से मिलने आते थे अपराधी और नेता

    जवाहरबाग अराजक तत्वों का अड्डा बन चुका था। रामवृक्ष यादव को खादी का संरक्षण मिला हुआ था। अपराधी से लेकर नेता तक उससे मिलने आते थे। जवाहरबाग में फल और सब्जी उगाने का ठेका लेने वाले नारायण सिंह ने बताया कि जवाहरबाग अपराधियों का गढ़ बन चुका था और रामवृक्ष यादव इन्हें संरक्षण दे रहा था।

    2014 में भी रामवृक्ष के गुर्गों ने की थी पुलिस की पिटाई

    मथुरा के जिला अस्पताल में इलाज करा रहे कांस्टेबल मनोज यादव ने बताया कि जनवरी 2014 में पुलिस टीम रामवृक्ष के अवैध कब्जे की जांच करने जवाहरबाग पहुंची थी। तब भी रामवृक्ष के गुर्गों ने पुलिस टीम को घेरकर उनकी बुरी तरह पिटाई की थी।