Mathura Clash: जवाहरबाग के बच्चे खोलेंगे रामवृक्ष के नेटवर्क की कुंडली
रामवृक्ष नेटवर्क खंगालने का रास्ता मथुरा प्रशासन को मिल गया है। इससे अब उत्तर प्रदेश और बिहार में फैले गिरोह के जाल को प्रशासन तार-तार कर सकता है। इसके लिए आपरेशन जवाहरबाग में बिछड़े बच्चों का सहारा लिया जा कहा है।
लखनऊ (जेएनएन)। मथुरा में जवाहरबाग के रामवृक्ष नेटवर्क की जड़ों तक पहुंचने का रास्ता प्रशासन को मिल गया है। यदि पड़ताल में कोई सियासी खलल न पड़ा, तो उत्तर प्रदेश और बिहार में फैले इस बड़े गिरोह के जाल को प्रशासन तार-तार कर सकता है। ऑपरेशन जवाहरबाग में अपने परिजनों से बिछड़े बच्चों को उनके घर पहुंचाने के साथ ही प्रशासन विद्रोहियों की कुंडली तैयार करेगा। दरअसल, सनकी रामवृक्ष की बातों में आए परिजनों के साथ बच्चे और किशोर भी जवाहरबाग में दशहत का हथियार बने। ऑपरेशन जवाहर बाग में कई कथित सत्याग्रही मारे गए, कुछ को जेल भेज दिया गया और कुछ यहां से भाग निकले। इस दौरान बहुत से बच्चे अपने परिजनों से बिछुड़ गए। खोजबीन में ये बच्चे पुलिस को मिल गए। इनमें 10 साल तक की उम्र के 10 बच्चे राजकीय बाल गृह (शिशु) में पहुंचा दिए गए, तो 18 साल तक की 20 किशोरियों को महिला शरणालय में आश्रय दिया गया। बहुतों को अलग-अलग जिलों के आश्रय सदनों में भेज दिया गया है। अब पुलिस-प्रशासन एक तीर से दो निशाने साधने के फॉर्मूले पर काम कर रहा है। बाल कल्याण समिति ने इनके पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन बिछड़े हुए बच्चों और किशोर-किशोरियों से उनका, उनके परिजनों का नाम और पता लिया जा रहा है। अब तक पूछताछ में अधिकतर बच्चे उप्र और बिहार के ही निकले हैं। बाल कल्याण समिति इनके नाम-पते संबंधित जिलों के प्रोबेशन अधिकारियों को भेज रही है। टीम भेजकर एक-एक नाम-पते का सत्यापन कर पूरी रिपोर्ट मथुरा भेरी जाएगी और इसके बाद ही बच्चों को उनके घर पहुंचाया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि पुलिस-प्रशासन रिपोर्ट के इंतजार में है। यह पहले ही सामने आ चुका है कि रामवृक्ष यादव ने उप्र और बिहार में समर्थकों या कहें कि विद्रोही मानसिकता वाले लोगों का बहुत बड़ा नेटवर्क खड़ा कर दिया था। अब जब यह बच्चे घर भेजे जाएंगे, तो उनके ब्योरे के साथ पुलिस-प्रशासन तफ्तीश आसानी से कर सकेगा कि संबंधित गांव, मजरे या जिले से कितने लोग रामवृक्ष से जुड़े हुए थे।
एलआइयू देगी रिपोर्ट
पुलिस सूत्रों ने बताया कि जिनके नाम-पते मिल जाएंगे, उन परिवारों तक तो पुलिस-प्रशासन सीधे पहुंच जाएगा। इसके अलावा जब गांव और क्षेत्र का पता चल जाएगा, तो वहां एलआइयू की टीम को लगा दिया जाएगा। तब एलआइयू के लिए भी तार से तार जोड़कर पूरे नेटवर्क की रिपोर्ट तैयार करने में आसानी होगी।
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