ग्राउंड रिपोर्ट: हां, कैराना में लटके हैं हिंदुओं के मकानों पर ताले
कैराना के ज्यादातर घरों में ताले लटके हैं। दैनिक जागरण की टीम ने यहां पर जमीनी स्तर पर काम किया तो हकीकत खुलकर सामने आ गई।
कैराना [अवनीश त्यागी] । नवाब का तालाब के किनारे खड़े खजूर केपेड़ से लिपटे पीपल को शायर रियासत अली ताबिश भले ही कैराना की हिंदू-मुस्लिम एकता का कुदरती नमूना करार देते हों परन्तु चौक में राकेश, विक्की कंसल और टीचर्स कालोनी में अनुज व मनोज के घरों पर लटके ताले कुछ और ही कहानी सुनाते हैं। सच यही है कि हिंदुओं के मकानों व प्रतिष्ठानों पर ताले हैं। प्रशासन का पूरा जोर सांसद हुकुम सिंह द्वारा पलायन करने वाले 346 लोगों की संख्या को लेकर है। 150 से अधिक लोगों का सत्यापन करने के बाद चार-पांच लोगों के नाम गलत बता रहे प्रशासन का भी मानना है कि पलायन हुआ परन्तु यह समस्या पुरानी है।
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कस्बे में दहशत का आलम यह है कि ज्यादातर लोग अपनी पहचान छिपाकर रखने की शर्त पर ही खुलते हैं। करीब दो वर्ष पहले अपना चलता कारोबार बंद कर पानीपत में बस चुके नितिन मित्तल कैराना आने को राजी नहीं। कारोबार से अधिक जान की सलामती चाह रहे नितिन का कहना है कि रंगदारी वसूलने वालों की प्रशासन हिमायत करने लगे तो कौन वहां ठहरेगा। कैराना से उद्योग धंधे उजडऩे और चौपट होते कारोबार की वजह है कि यहां प्रतिदिन हजारों लोग यमुना नदी पार कर पानीपत, करनाल या सोनीपत में नौकरी और खरीदारी करने जाते हैं। उत्पीडऩ से भयभीत व्यापारी नेता घनश्याम के चेहरे पर गहरायी चिंता की लकीरों में पलायन का अक्स नजर आता है। उनका कहना है कि कैराना में बड़े उद्योगों के नाम पर केवल मीट फैक्ट्री रह गयी हैं। कभी फर्नीचर, हैंडलूम वस्त्रों और शानदार छपाई के लिए प्रसिद्ध कैराना का कारोबार करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित पानीपत स्थानांतरित हो चुका है। पुराने उद्योग धंधे पूरी तरह उजड़ गए हैं और नया कारोबार करने की हिम्मत कोई नहीं कर पा रहा। कारोबार में 60 से 70 फीसद तक गिरावट आयी है।
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जिलाधिकारी सुजीत कुमार भी कई वर्षो में नया उद्योग स्थापित नहीं होने की बात स्वीकारते है। उनका कहना है कि पानीपत, सोनीपत ओर करनाल नजदीक होने के कारण स्थानीय उद्यमी पलायन कर जाते है। उन्होंने उत्तराखंड की ओर भी उद्योगों का पलायन माना। उधर एडवोकेट मेहरबान अली के अनुसार पलायन केवल हिंदुओं का ही नहीं गरीब मुसलमान भी कस्बा छोडकर जा रहे हैं। सवाल संख्या का नहीं समस्या का है?
सोमवार को जेठ की चिलचिलाती धूप में जागरण टीम कचहरी पहुंची तो वहां वकीलों की हड़ताल होने के बावजूद चहलपहल थी। वकीलों के चैंबर में हिंदुओं के पलायन को लेकर चर्चाएं जोरों पर थीं। एडवोकेट वीर सिंह का कहना था कि आजादी मिलने के समय मुजफ्फरनगर और कैराना की आबादी बराबर थी। हिंदू मुसलमानों के आबादी अनुपात में भी ज्यादा अंतर नहीं था परन्तु अब हालात उलट हैं। कस्बे का आबादी अनुपात तेजी से बिगड़ता जा रहा है और सांसद द्वारा पलायन करने वालों की सूची को नकारा नहीं जा सकता।
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एक भी पेट्रोल पंप नहीं
एक लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर में जहां हजारों वाहन दौड़ते हों पर वहां एक भी पेट्रोल पंप न होना चौंकाने वाली बात हो सकती है परन्तु कैराना में ऐसा ही है। दो व्यापारियों ने पेट्रोल पंप लगाए परन्तु दबंगों के चलते बंद हो गये। ऐसा नहीं कि वहां तेल नहीं बिकता, बाजार में निकलें तो कदम-कदम पर दुकानों के बाहर ड्रम में तेल बिकता मिलेगा। अपनी बाइक में पेट्रोल डलवाकर आए एडवोकेट सुधीर सिंह का कहना है कि प्रशासन की शह पर तेल का काला कारोबार करते वाले एक वर्ष विशेष के लोग हैं उनका खौफ प्रशासन में इस कदर है कि सब कुछ जानने के बाद भी कार्रवाई नहीं होती।
थाने में नहीं सुनवाई चौपाल पर
कस्बे में ही नहीं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुख्यात मुकीम काला और उसको सत्ताधारी एक विधायक से मिल रहे संरक्षण का आतंक है। पीडि़त पक्ष की सुनवाई पुलिस थाने नही विधायक की चौपाल पर होती है। ग्राम अकबरपुर सुन्हैटी में अति पिछड़े वर्ग की महिला के साथ बलात्कार के बाद हत्या की वारदात में पुलिस द्वारा आरोपी के बजाय मृतका के परिवारीजन को फंसा देने का ताजा उदाहरण सबकी जुबान पर है। युवा रामरीछ पाल का कहना है कि अपराध करने वाले एक वर्ग विशेष से होते हैं तो पुलिस हाथ खड़े कर देती है। ऐसे में अपनी बहू बेटियों को घर से बाहर निकलना दिन ढलते ही बंद करना पड़ता है। राज्य योजना आयोग के सदस्य व ग्राम भैसावल निवासी डा. सुधीर पंवार भी अपराध बढऩे की बात स्वीकारते हैं परन्तु साथ ही उनका कहना है कि पलायन रोजगार की तलाश में ही हो रहा है। उन्होंने भाजपा की सूची पर भी सवाल खड़े किए।
सुरक्षा देने में सरकार नाकाम
निकटवर्ती थानाभवन क्षेत्र से भाजपा विधायक सुरेश राणा का कहना है कि करीब दो वर्ष पहले जिन दो व्यापारियों की हत्या हुई थी उनको सदन में मुआवजा देने की घोषणा के बावजूद सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हो सकी। ऐसे में लोगों का सरकार से भरोसा उठ जाना स्वाभाविक है। शामली क्षेत्र से कांग्रेस विधायक पंकज मलिक भी आतंक बढऩे और पलायन की बात स्वीकारते है। उनका कहना है कि प्रशासन जनता को सुरक्षा व संरक्षण देने में नाकाम रहा है।
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सूची का सत्यापन तीन दिन में
डीएम सुजीत कुमार का कहना है कि पलायन करने वालों की सूची का सत्यापन कराया जा रहा है। उन्होंने मुकीम काला गिरोह के 25 सदस्यों को पूर्वांचल की जेलों में भेजने की जानकारी देते हुए बताया कि जेलों से धमकी व रंगदारी वसूलने की शिकायतों की जांच करायी जा रही है।
तीन साल में बिगड़े हालात
दो तीन वर्ष में हालात ज्यादा बिगड़े हैं। मोहल्ला कायस्थवाड़ा में मात्र दो हिंदू परिवार रह गए। वरिष्ठ एडवोकेट ओंकार नाथ भटनागर के पुश्तैनी मकान पर ताला लटका है जबकि भटनागर शामली से अप-डाउन करते है।
-एडवोकेट ब्रह्मपाल सिंह
स्थानीय निवासी
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