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    सत्ता परिवर्तन से ज्यादा व्यवस्था परिवर्तन की जरूरत : वरुण गांधी

    By Dharmendra PandeyEdited By:
    Updated: Sat, 03 Sep 2016 08:00 PM (IST)

    वरुण गांधी ने कहा कि निश्चित रूप से सत्ता परिवर्तन एक लक्ष्य है लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण व्यवस्था परिवर्तन है। हम ऐसे देश में रहते हैं जहां दो चेहरे दिखते हैं।

    लखनऊ (वेब डेस्क)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के महासचिव व सांसद वरुण गांधी सत्ता परिवर्तन से ज्यादा व्यवस्था परिवर्तन की जरूरत को महत्व देते हैं। वरुण गांधी कल लखनऊ में थे।

    कार्यक्रम में युवाओं को संबोधित करते हुए वरुण गांधी ने कहा कि देश में पूंजीपति बैंकों का पैसा हड़प रहे हैं और गरीब लोन लेकर सुसाइड कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विजय माल्या बैंकों का करोड़ों रुपया दबाकर देश से भाग जाते हैं, जबकि केरल में एक किसान लोन न चुकाने के कारण आत्महत्या कर लेता है। यह कम से कम भारत में नहीं होना चाहिए।

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    सुल्तानपुर से भाजपा सांसद ने कहा कि वह गांधी परिवार से न होते तो भाषण देने के बजाय भाषण सुनने वालो में होते। कॉन्कलेव में शामिल होने आए वरुण गांधी ने कहा कि निश्चित रूप से सत्ता परिवर्तन एक लक्ष्य है लेकिन ज्यादा महत्वपूर्ण व्यवस्था परिवर्तन है। हम ऐसे देश में रहते हैं जहां दो चेहरे दिखते हैं। एक चेहरा केरल के किसान टी जोसेफ का है जो कर्ज न चुका पाने की वजह से जेल गया, वहीं दूसरा चेहरा भगौड़े विजय माल्या का है जो कर्ज लेकर भाग गया।

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    इसके लिए व्यवस्था ही जिम्मेदार है। वरूण गांधी ने कहा कि माल्या के भागने से परेशान किसान मनमोहन भी हुआ, जिसके बैंक खाते में मात्र 1200 रुपए थे और उसे माल्या का गारंटर दिखाया गया। मुझे लगता भी नहीं कि माल्या कभी देश वापस भी आएगा।

    सांसद वरुण ने कहा कि देश की राजनीति और नेताओं से जुड़ी से कई बातों पर शर्म आती है। बहुत बुरा लगता है जब करोड़पति जनता के प्रतिनिधि वेतन बढ़ाने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि जब मैंने संसद में देखा कि कई एमपी सदन में खड़े होकर अपनी सैलरी बढ़ाने की पैरवी कर रहे हैं, तब तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार को पत्र लिख कर मैंने कहा कि अगर सैलरी बढ़ाई जाती है तो मुझे यह स्वीकार नहीं, मेरी न बढ़ाई जाए।

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    उन्होंने कहा राजनीति सुधर सकती है जब जार्डन व सिंगापुर देश की तरह युवाओं को राजनीति में आमंत्रित किया जाए। वरुण गांधी ने कहा कि राजनीति में सफल 82 प्रतिशत नौजवान राजनीतिक परिवारों से हैं। मैं फिरोज वरुण गांधी हूं इसी कारण से इस स्तर पर हूं। उन्होंने कहा कि हमें प्रधान स्तर से ही ऐसे नौजवानों के लिए जगह आरक्षित कर देनी चाहिए जो किसी राजनीतिक परिवार से न हों।

    वरुण ने कहा कि सिंगापुर में ग्रुप रिप्रेजेंटेशन सिस्टम लागू है। इसके तहत किसी व्यक्ति विशेष के बजाय किसी ग्रुप (व्यक्तियों का समूह) को चुनाव में उतारा जाता है जो किसी मुद्दे को लेकर एक साथ होते हैं। इस तरह की व्यवस्था में भारत में लागू की जा सकती है या फिर एक वर्ग विशेष जैसे की किसान और बुनकर आदि का प्रतिनिधित्व करने के लिए किसी व्यक्ति को राज्यसभा में मौका देना चाहिए।

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    वरुण ने वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि शहरों में गरीबी के कारण 20 प्रतिशत लोग इलाज तक नहीं करा पाते। शिक्षा का क्षेत्र बदहाल है। राइट टु एजुकेशन के तहत एक लाख करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, लेकिन भवन बना देने से बच्चे शिक्षित नहीं हो जाते। देश के सरकारी स्कूलों में कक्षा पांच के लगभग आधे बच्चे कक्षा एक की किताब नहीं पढ़ सकते। इनको पढ़ाने वाले ही नहीं है, तो फिर यह कैसे पढ़ेंगे। देश में अभी भी छह लाख शिक्षक कम हैं। इनकी भर्ती हो फिर उसके बाद अगले कदम के बारे में विचार हो।

    हर समस्या की जड़ है राजनीति

    वैसे तो भाजपा के युवा सांसद वरुण गांधी आए थे एक यूथ कॉन्क्लेव में, लेकिन उन्होंने राजनीति में व्याप्त दोहरे मापदंड और शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं की खस्ताहालत पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि हर समस्या की जड़ ही राजनीति है। आज राजनीति में सफल 82 प्रतिशत नौजवान राजनीतिक परिवार से हैं। यदि मेरे नाम के आगे तिवारी या प्रसाद लिखा होता तो मैं भी दर्शकों की लाइन में होता।

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    वरुण गांधी ने कहा आर्थिक व सामाजिक रूप से मजबूत लोग ही राजनीति में आगे बढ़ते हैं। एक सांसद की संपत्ति औसतन 14.6 करोड़ रुपये है, उनमें मैं भी हूं। मुझे शर्म आती है जब महंगी कारों से चलने वाले आधे से अधिक सांसद अपनी तनख्वाह बढ़ाने की मांग करते हैं। गरीब सांसदों की गिनती चार से पांच है। हमारी जमात में बहराइच के 1962 के विधायक भगवती प्रसाद की तरह ईमानदार भी हैं, जिनके निधन पर परिवार के पास लकड़ी का इंतजाम करने का भी पैसा न हो।

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