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    आजम ने विधानसभा में राजभवन की कार्यशैली पर उठाए सवाल

    By Ashish MishraEdited By:
    Updated: Wed, 24 Aug 2016 09:00 AM (IST)

    संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने राजभवन पर निशाना साधा है। मंगलवार को विधानसभा में आजम ने राजभवन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल राम नाईक को घेरा।

    लखनऊ (जेएनएन)। एक बार फिर संसदीय कार्यमंत्री आजम खां ने राजभवन पर निशाना साधा है। मंगलवार को विधानसभा में आजम ने राजभवन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए राज्यपाल राम नाईक को घेरा। आजम के इस रुख के पीछे राजभवन में लंबित वह विधेयक था जिसके जरिए महापौर के अधिकारों पर अंकुश लगाने के साथ ही उनके खिलाफ जांच कराने का अधिकार सरकार को मिलना है।

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    दरअसल, राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ता हित संरक्षण विधेयक-2015 के बारे में कुछ सुझाव दिए थे। पत्र के माध्यम से राज्यपाल ने उत्तर प्रदेश वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ता हित संरक्षण विधेयक 2016 को राष्ट्रपति द्वारा स्वीकृति देने के बाद उत्तर प्रदेश वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ता हित संंरक्षण विधेयक- 2015 को वापस लेने के भारत सरकार के आदेश का अनुपालन करने का कहा था।

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    अध्यक्ष ने सदन में पत्र पढ़कर कहा कि विधानसभा में उत्तर प्रदेश वित्तीय अधिष्ठानों में जमाकर्ता हित संरक्षण विधेयक 2015 को वापस लेने पर विचार किया जाएं। अध्यक्ष के पत्र पढ़ते ही आजम खां खड़े हो गए और एतराज जताते हुए कहा कि विधेयक को राजभवन में रोकने की वजह भी बतानी चाहिए ताकि स्थिति स्पष्ट हो सके। आजम ने कहा कि जिस तरह इस विधेयक के बारे में कहा जा रहा है उसी तरह अन्य लंबित विधेयकों को भी लेकर तत्परता दिखानी चाहिए। 'जो आईना दूसरों को दिखाया जाए, उसका रुख अपनी तरफ करना भी जरूरी है। आजम खां यहीं नहीं ठहरें और लंबित विधेयकों को लेकर दर्द जाहिर किया। खासकर उस नगर निगम संशोधन विधेयक का जिक्र किया जिसमें महापौरों पर अंकुश लगाने का प्रावधान किया गया है।

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    उन्होंने कहा कि ढाई वर्ष से विधेयक लंबित है, इसको न मंजूरी प्रदान की जा रही है और न कोई वजह बतायी गयी। अगर विधेयक में कोई बुराई है, कोई कमी है तो वह बताया जाए उस को सुधार लेंगे या विधेयक वापस ले लेंगे।
    बात बढ़ती देख अध्यक्ष माता प्रसाद ने उन्हें टोकने की कोशिश भी की। इस पर आजम नहीं माने और कहा कि अपनी बात सदन में नहीं कहेंगे तो और कहां कही जाए। उन्होंने कहा कि यह विधेयक जौहर विश्वविद्यालय से जुड़ा नहीं है, प्रदेश के विकास को बढ़ावा देने और भ्रष्टाचार रोकने के लिए लाया गया था। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि राज्य से जुड़े हुए विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने की बाध्यता नहीं। माहौल बिगड़ता देख कर अध्यक्ष ने अलग से विचार करने का आश्वासन देकर आजम खां को संतुष्ट किया। अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 200 की विस्तृत व्याख्या की गयी है, जिसमें किसी भी विधेयक को रोकने का अधिकार, राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार और सुझाव के साथ विधानसभा को वापस करने का अधिकार राज्यपाल के पास है।

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    संसदीय कार्यमंत्री आजम खां द्वारा विधानसभा में राजभवन को लेकर की गई टिप्पणी को राज्यपाल राम नाईक ने गंभीरता से लिया है। राज्यपाल ने बताया कि वह मंगलवार को एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए कानपुर गए थे। देर शाम वापस आने पर पता चला कि उनको लेकर सदन में आजम ने टिप्पणी की है। ऐसे में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को पत्र लिखकर सदन की संबंधित असंपादित कार्यवाही व वीडियो-आडियो सीडी जल्द से जल्द उपलब्ध कराने के लिए कहा है। राज्यपाल ने बताया कि पूरी कार्यवाही देखने के बाद ही वह इस संबंध में कोई निर्णय करेंगे। उल्लेखनीय है कि संबंधित विधेयक को ही लेकर आठ मार्च को भी आजम ने विधान सभा में राज्यपाल पर टिप्पणी की थी जिसका संज्ञान लेते हुए नाईक ने अध्यक्ष से कार्यवाही मांगी थी। कार्यवाही देखने के बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आजम के ससंदीय मंत्री होने पर सवाल उठाए थे।