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महापौरों को हटाने का अध्यादेश लायेंगे आजम

राज्य सरकार और राजभवन के बीच तल्खी और बढ़ सकती है। महापौरों के अधिकारों में कटौती कर उन्हें पद से हटाने संबंधी विधेयक के एक साल से राजभवन में लटकने से खफा नगर विकास मंत्री आजम खां अब अध्यादेश लाने वाले हैं। आजम का कहना है कि विधेयक के लटकने

By Ashish MishraEdited By: Published: Tue, 19 Apr 2016 10:40 AM (IST)Updated: Tue, 19 Apr 2016 10:44 AM (IST)

लखनऊ [अजय जायसवाल] । राज्य सरकार और राजभवन के बीच तल्खी और बढ़ सकती है। महापौरों के अधिकारों में कटौती कर उन्हें पद से हटाने संबंधी विधेयक के एक साल से राजभवन में लटकने से खफा नगर विकास मंत्री आजम खां अब अध्यादेश लाने वाले हैं। आजम का कहना है कि विधेयक के लटकने से सरकार जनहित से जुड़े काम नहीं कर पा रही है।

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सोमवार को आजम विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय से मिलने उनके दफ्तर गए तो वहीं उन्होंने 'दैनिक जागरण से इस मुद्दे पर बात की। आजम ने राज्यपाल द्वारा महापौरों को पद से हटाने संबंधी विधेयक रोके जाने का जिक्र करते हुए दोहराया कि क्या ऐसा करके महापौरों के भ्रष्टाचार को संरक्षण नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वह ऐसा नहीं होने देंगे। राजभवन के प्रति तल्ख नगर विकास मंत्री ने कहा कि विधेयक को मंजूरी के लिए अब और इंतजार नहीं किया जा सकता है। आजम ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस संबंध में अब अध्यादेश लाया जाएगा।

इस सवाल पर कि अध्यादेश को भी तो लागू करने के लिए राज्यपाल की मंजूरी चाहिए होगी, ïवधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि निश्चित तौर पर राज्यपाल की मंजूरी के बाद ही अध्यादेश लागू हो सकता है। ऐसे में महापौरों को पद से हटाए जाने संबंधी विधेयक वाली व्यवस्था अध्यादेश में भी होने पर क्या राजभवन से उसे मंजूरी मिल पाएगी। वहीं मौजूद विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा भेजे जाने वाले अध्यादेश को मंजूरी देने में राजभवन को सिर्फ उसकी आकस्मिकता देखनी होती है न कि उसके गुण-अवगुण। क्या हाल-फिलहाल विधानसभा सत्र बुलाए जाने की उम्मीद नहीं है। अध्यक्ष ने बताया कि फिलहाल सदन बुलाए जाने की तारीख तय नहीं है। हालांकि उन्होंने मई अंत में सदन की बैठक बुलाने के संकेत दिए।

अध्यादेश भी लटक सकता है

कानून के जानकारों का कहना है कि विधानमंडल सत्र के न चलने के दौरान सरकार को किसी भी मामले में अध्यादेश लाने का पूरा अधिकार है। सदन के न चलने पर अध्यादेश की आकस्मिकता को देखते हुए राज्यपाल द्वारा अमूमन ऐसे अध्यादेशों को बिना देरी किए मंजूरी दे ही दी जाती है। चूंकि वर्तमान में सत्र स्थगित है न कि सत्रावसान, इसलिए अध्यादेश राजभवन में रोका जा सकता है। अध्यादेश को मंजूरी देने से पहले राज्यपाल सरकार से पूछ सकते हैं कि आखिर क्या आकस्मिकता है? जानकार बताते हैं कि अध्यादेश, सांविधानिक व्यवस्था के अनुरूप न होने पर राज्यपाल उसे रोक भी सकते हैं।


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