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इलाहाबाद हाईकोर्ट का दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी से रोक से इन्कार

हाईकोर्ट ने दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी से रोक लगाने से इन्कार करने के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से इस प्रकरण पर जवाब मांगा है। अब मामले की अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 11:28 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 12:03 PM (IST)
इलाहाबाद हाईकोर्ट का दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी से रोक से इन्कार

लखनऊ (वेब डेस्क)। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आज भारतीय जनता पार्टी से निष्कासित नेता दयाशंकर सिंह को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने दयाशंकर सिंह की गिरफ्तारी से रोक लगाने से इन्कार करने के साथ ही उत्तर प्रदेश सरकार से इस प्रकरण पर जवाब मांगा है। अब मामले की अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।

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बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती पर अमयार्दिंत टिप्पणी करने के मामले में नामजद दयाशंकर सिंह ने हाईकोर्ट में गिरफ्तार से बचने के साथ ही अपनी खिलाफ एफआइआर को रद करने की मांग को लेकर लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी।

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याचिका में बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मुखिया तथा पूर्व मुख्यमंत्री मायावती पर अपमानजनक टिप्पणी के मामले में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी है। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी पर भी रोक लगाने की मांग की है। आज इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति अजय लाम्बा व न्यायमूर्ति रविंद्र नाथ मिश्रा (द्वितीय) की खंडपीठ ने की।

माना जा रहा है इलाहाबाद हाईकोर्ट से याचिका रद होने के बाद अब नेता दयाशंकर सिंह का जेल जाना तय है। फिलहाल सीजेएम लखनऊ की कोर्ट से दयाशंकर सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। अब पुलिस उनकी गिरफ्तारी न होने पर कुर्की की कार्रवाई करेगी।

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हाईकोर्ट में दयाशंकर की याचिका पर भाजपा के विधि प्रकोष्ठ के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक व वरिष्ठ अधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने उनका पक्ष रखा। उधर इसके विरोध में बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव तथा राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्रा ने दयाशंकर सिंह की याचिका का विरोध किया। दयाशंकर सिंह की ओर से याचिका दाखिल करने वाले अधिवक्ता दिलीप कुमार श्रीवास्तव के अनुसार याचिका में कहा गया है कि दयाशंकर सिंह निर्दोष हैं। रिपोर्ट से स्पष्ट है कि उनके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता।

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यह भी तर्क दिया गया है कि घटनास्थल मऊ है तो लखनऊ में प्राथमिकी कैसे दर्ज की जा सकती है। साथ ही एससी-एसटी अधिनियम के तहत भी कोई अपराध नहीं बनता। याचिका के अनुसार दयाशंकर को राजनीतिक रंजिश की वजह से फंसाया जा रहा है और केस की निष्पक्ष विवेचना होनी चाहिए।

पुलिस की छानबीन में दयाशंकर के खिलाफ लखनऊ की हसनगंज कोतवाली में दर्ज पांच मुकदमें अब तक सामने आए हैं। इनमें एक ऐसा भी है, जिसमें दयाशंकर के खिलाफ कोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया था। न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय की कोर्ट में चल रहे इस मामले में अग्रिम सुनवाई तीस 30 जुलाई को होनी है।

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1995 में लखनऊ विश्वविद्यालय के तत्कालीन छात्रसंघ अध्यक्ष ने दयाशंकर के खिलाफ धोखाधड़ी, मारपीट, जान से मारने की धमकी सहित अन्य धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसमें वर्ष 2013 में ट्रायल शुरू हुआ था। आइजी जोन ए.सतीश गणेश के मुताबिक पुलिस यह तैयारी इसलिए कर रही है ताकि कोर्ट में दयाशंकर की जमानत का विरोध किया जा सके। पुलिस की एक टीम गैरजमानती वारंट को तामील कराने बलिया स्थित उनके आवास भेजी गई है, ताकि कुर्की के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की जा सके।


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