हाथों से नहीं, गर्दन के इशारे पर चलेगी ये खास व्हीलचेयर
साल भर के शोध के बाद बनाई गई इस व्हीलचेयर की बैटरी एक बार चार्ज करने पर 24 घंटे चलेगी।
कानपुर (विक्सन सिक्रोड़िया)। हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के छात्रों ने एक ऐसी व्हीलचेयर बनाई है जो दिव्यांगों का इशारा समझकर उनका सहारा बनेगी। यह पहली ऐसी ऑटोमेटेड चेयर है जिसे चलाने में हाथ पैर की जरूरत नहीं होगी बल्कि यह गर्दन के इशारे पर चलेगी।
यह व्हीलचेयर ऐसे मरीजों के लिए वरदान होगी जिनके हाथ-पैर काम नहीं करते हैं। बीटेक इलेक्ट्रिकल इंजीनियङ्क्षरग अंतिम वर्ष के छात्र चंद्रशेखर शर्मा, विकास तिवारी व सुनील ने डीन प्लानिंग एंड रिसोर्स प्रो. यदुवीर सिंह के दिशा निर्देश में यह व्हीलचेयर तैयार की है। साल भर के शोध के बाद बनाई गई इस व्हीलचेयर की बैटरी एक बार चार्ज करने पर 24 घंटे चलेगी। इसमें दो सेंसर, डीसी मोटर, मोटर डिवाइस, कंट्रोलर्स, एलसीडी स्क्रीन लगी है जिससे यह कंट्रोल होती है।
क्यों है खास: ऑटोमेटेड व्हीलचेयर में बैठने वाले व्यक्ति के सिर पर लगे हेडफोन पर मिलने वाले सिग्नल पर यह काम करती है। गर्दन को आगे की ओर झुकाने पर यह नाक की सीध पर चलने लगती है। बाएं व दाएं गर्दन घुमाने पर वह उन दिशाओं में घूम जाती है जबकि गर्दन को सीधा करने पर रुक जाती है।
यह भी पढ़ें: अखिलेश और 'बुआ' आए करीब, पटना की रैली में होंगे साथ
70 किलोग्राम का वजन लेकर चल सकती है: 40 किलोग्राम के वजन की व्हीलचेयर 70 किलोग्राम का वजन लेकर चल सकती है। व्यक्ति को मिलाकर कुल 110 किलोग्राम का वजन लेकर यह चल सकती है। 50 से 60 बार प्रयोग करके इसे तैयार किया गया है। प्रो. यदुवीर सिंह ने बताया कि इसे बनाने की कीमत 45 हजार रुपये आई है जबकि कॉमर्शियल इस्तेमाल में यह 35 हजार में तैयार हो सकती है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।