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    नोटबंदीः जमा पुराने नोट गिनने में पांच और नष्ट करने में डेढ़ साल लगेंगे

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sun, 18 Dec 2016 10:07 PM (IST)

    बैंक करेंसी चेस्ट में एक चौथाई नोट गिनकर गड्डी बन चुकी है। नए सिरे से पांच महीने लगेंगे और कानपुर आरबीआइ को नष्ट करने में एक साल से अधिक लगेगा। ...और पढ़ें

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    कानपुर (जेएनएन)। बैंकों की करेंसी चेस्ट में जमा पुराने नोटों को फिर से गिनने और छांटने में लगे बैंक कर्मचारी सांसत में हैं। सरकार के आदेश के बाद इन नोटों की दोबारा गिनती होनी है। अधिकतर बैंकों की करेंसी चेस्ट में एक चौथाई नोट गिनकर 10-10 गड्डियों की बंडलिंग की जा चुकी है। नए सिरे से गणना करने पर अब कई बैंकों को इन नोटों को गिनने में चार से पांच महीने लगेंगे। वहीं आरबीआइ कानपुर में आने वाले नोटों को नष्ट करने में एक साल से अधिक समय लगेगा। कानपुर जिले में करीब 15000 करोड़ रुपये, आरबीआइ रीजन में करीब 70 हजार करोड़ रुपये जमा होने की सूचना है। एक बैंक की करेंसी चेस्ट में (सुरक्षा कारणों से नाम नहीं) करीब 26 सौ करोड़ रुपये आ चुके हैं। इसमें कानपुर, कानपुर देहात और ïउन्नाव की शाखाओं के रुपये हैं। इस चेस्ट के पास तीन काउंटिंग मशीन है और लगातार आठ घंटे तक तीनों मशीनें 240 बंडल (प्रति बंडल में सौ सौ की 10 गड्डियां) गिन सकती हैं। ऐसे में बैंक को पुराने नोटों के बंडल बनाने में कम से कम 150 कार्य दिवस लगेंगे। इनकी बंडलिंग के बाद आरबीआइ के पास पैसा भेजा जाएगा।

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    सूत्रों का कहना है कि आरबीआइ ने एक जनवरी के बाद पुराने नोटों को भेजने के लिए कहा है। आने वाले दिनों में परेशानी न हो, इसलिए बैंक अभी से बंडलिंग कर रहे हैं। दोबारा गिनने के आदेश के बाद बंडल खोल कर फिर से गिने जाएंगे। ऐसे में बैंक को नोट गिनने और आरबीआइ भेजने में पांच महीने लगेंगे। सूत्रों के अनुसार आरबीआइ कानपुर रीजन के अधीन आने वाली करीब 13000 बैंक शाखाओं के पास करीब 70 हजार करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं। इसमें करीब 40000 करोड़ रुपये पांच सौ के नोटों में और करीब 30 हजार करोड़ रुपये एक हजार रुपये के नोटों में हैं। आरबीआइ सूत्रों का कहना है कि इन नोटों के करीब 1.10 लाख बंडल बनेंगे। आरबीआइ की कटिंग मशीन एक दिन में 250 बंडल काट पाती है। हालांकि यह आंकड़ा बढ़ सकता है, लेकिन मौजूदा राशि के नोटों को काटने में एक साल से अधिक लगेगा। छुट्टियां मिलाकर आरबीआई को करीब डेढ़ साल लग जाएंगे।

    • कानपुर में अनुमानित जमा 15 हजार करोड़, आरबीआइ रीजन के बैंक में 70 हजार करोड़ से अधिक
    • कानपुर आरबीआइ में पश्चिमी उप्र और उत्तराखंड के 48 जिलों के 259 करेंसी चेस्ट से आएंगे पुराने नोट
    • कानपुर में 12 बैंकों के 23 करेंसी चेस्ट, सभी बैंकों में खाताधारकों की संख्या करीब साठ लाख

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    पहले छांटेंगे फिर काटेंगे

    आरबीआइ के पास पैसा पहुंचने के बाद संबंधित बैंक के अधिकारी बुलाए जाते हैं। नोटों का वेरीफिकेशन होता है। सारे नोट सही पाए जाने पर एक हजार नोट का एक बंडल बनता है। इन्हें क्षेत्रीय निदेशक के प्रतिनिधि, करेंसी विभाग और जीएम के प्रतिनिधि के सामने काटने के लिए भेजा जाता है। कटिंग टेबल का औचक सत्यापन किया जाता है। सब कुछ सही होने पर बंडल मशीनों में डाल दिए जाते हैं। दो सत्रों में चलने वाली मशीन नोटों का बुरादा और फिर बुरादे की ईंट बनाकर निकाल देती है। अगर नकली नोट मिलते हैं तो उसे रिकार्ड में शामिल कर कानूनी कार्यवाही की जाती है।