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    बुंदेलखंड की एक और बदहालीः वंश चलाने को मोल की दुल्हन

    By Nawal MishraEdited By:
    Updated: Sat, 08 Jul 2017 10:14 PM (IST)

    बुंदेलखंड कृषि बदहाली किसी से छिपी नहीं है लेकिन यहां वंश चलाने के लिए समझौता या सौदा करके बहुएं लानी पड़ रही हैं।

    बुंदेलखंड की एक और बदहालीः वंश चलाने को मोल की दुल्हन

    बांदा (जेएनएन)। बुंदेलखंड के कृषि क्षेत्र की बदहाली तो किसी से छिपी नहीं है। रोटी की चिंता और वंश चलाने की फिक्र भी यहां की नियति बन चुकी है। रोटी जहां पलायन को मजबूर कर रही है वहीं वंश चलाने के लिए समझौता या सौदा करके बहुएं लानी पड़ रही हैं। गरीबी, पिछड़ापन व अशिक्षा ऐसे कारण हैं कि इन युवाओं से यहां कोई लड़कियां नहीं ब्याहना चाहता वहीं लड़कियों की कम होती संख्या को भी इसके लिए कुछ बहुत जिम्मेदार माना जा सकता है।

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    लिंगानुपात की समस्या

    उल्लेखनीय है कि गाजीपुर के छोटेलाल की शाली को हमीरपुर के बांकी गांव के एक लड़के के लिए बहू के तौर पर नौ हजार रुपए में खरीदा गया।  देश में अभी तक हरियाणा एक ऐसा राज्य था जहां लड़कियों का औसत काफी कम होने से बहुओं की खरीद के मामले चर्चा में रहते हैं लेकिन अब यही हालात बुंदेलखंड में भी दिखने लगे हैं। बुंदेलखंड की बात करें तो यहां लिंगानुपात एक हजार पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं 877 हैं जिनमें बांदा, हमीरपुर, जालौन का औसत तो बुंदेलखंड के औसत अनुपात से भी कम है। 

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    बांदा-हमीरपुर की खरीदी बहुएं

    अभी हाल ही की बात करें तो हमीरपुर के बांकी गांव में नौ हजार रुपये में बहू खरीदने का मामला प्रकाश में आया है। ऐसे कई मामले हैं जो चर्चा में तो आते रहते हैं हालांकि परिवारीजन खरीद-फरोख्त को तो नहीं स्वीकार करते हैं लेकिन शादी का खर्च उठाकर बहू लाने के बहुतायत मामले होते रहे हैं। बांदा में नरैनी की ग्राम पंचायत पुकारी के मजरा धोबिनपुर में इसी वर्ष 18 मई को दो भाइयों राजू व हरीशंकर की शादी मध्यप्रदेश के शिवराजपुर जिले के रीवां निवासी रामबली की पुत्रियों से हुई है जिसका पूरा खर्च लड़के वालों ने ही वहन किया है। इसी तरह कालिंजर के संजय की भी शादी मध्यप्रदेश के ही सीधी के चुरहट में सात मई को हुई है। यह मामले तो मात्र बानगी ही हैं जिनसे यह स्प्ष्ट होता है कि गरीबी के चलते कोई भी अपनी बेटी इन युवाओं को देने के लिए तैयार नहीं होता। जिससे उन्हें यह समझौता या सौदा करके वंश चलाने को गैर प्रांतों से बहू लाने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

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    प्रवासी बहुएं चला रहीं कुटुंब

    बांदा के चहितारा में नेपाली बहुएं कुटुंब चला रही हैं वहीं धोबिनपुर समेत कई ऐसे गांव हैं जहां देश के अन्य क्षेत्रों की बहुएं आई हैं। इसी तरह हमीरपुर के राठ व महोबा के खरेला आदि गांव में बाहर से लाई गई बहुएं वंश बढ़ा रही हैं वहीं जालौन में भी खरुआ, मिनौरा, मिनौरा, गोरा, सुरावली, रणधीरपुर आदि हैं। मिनौरा गांव ऐसा है जहां करीब पचास बहुएं महाराष्ट्र से आकर गृहस्थी का हिस्सा बनी हैं। 

    प्रतिदिन होती हालत खराब

    राजकीय महिला महाविद्यालय के प्रवक्ता व समाजसेवी लक्ष्मी किशोर त्रिपाठी ने बताया कि किसानों की दुर्दशा, उद्योगों के न होने से यहां के किसानों और युवाओं की हालत दिन पर दिन खस्ता होती जा रही है। बेटी देते समय लोग अच्छा घर व वर देखते हैं, जो उन्हें यहां नहीं मिलता। इसी के चलते लोगों को अपना वंश चलाने के लिए बाहर की बेटियों को बहू बनाकर लाना पड़ता है। चित्रकूट धाम मंडल के कमिश्नर अजय कुमार शुक्ला ने बताया तमाम विकास योजनाएं शासन द्वारा चलाई जा रही हैं। जिनको धरातल तक लागू किया गया है। जिनका लाभ भी लोगों को मिल रहा है और सुधार भी हो रहा है।

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    बुंदेलखंड में लिंगानुपात

    जिला    अनुपात      जनसंख्या

    बांदा      863       1799210

    हमीरपुर   861       1104285

    चित्रकूट   879        991730

    महोबा     878        875958

    जालौन     865       1689974

    झांसी       890       1998603

    ललितपुर   906        1221592

    नोट : अनुपात प्रति एक हजार पुरुषों पर महिलाओं का है। 

     

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