स्वास्थ्य बिगडऩे के बावजूद गंगा की लहरें चीरती रही जलपरी श्रद्धा
गंगा की लहरों में जूझते हुए कानपुर से वाराणसी के लिए निकलीं जलपरी श्रद्धा शुक्ला की तबीयत इलाहाबाद में आज बिगड़ गई। गले में दर्द असहनीय हुआ। ...और पढ़ें

इलाहाबाद (जेएनएन)। गंगा की लहरों में जूझते हुए कानपुर से वाराणसी के लिए निकलीं जलपरी श्रद्धा शुक्ला की तबीयत इलाहाबाद में आज बिगड़ गई। गले में दर्द असहनीय हुआ तो चिकित्सक को दिखाया गया। डाक्टरों ने आराम की सलाह दी। इसलिये सुबह का कार्यक्रम रद करना पड़ा। देर शाम 20 किलोमीटर का सफर तय कर श्रद्धा हनुमानगंज के कोटवा गांव पहुंच गई। यही वह रात्रि विश्राम करेंगी। कल सुबह वह यहीं से विंध्याचल के लिए रवाना होंगी।
जलचरों से जख्म लेकर रायबरेली से आगे बढ़ी नन्ही जलपरी
रविवार को कानपुर से श्रद्धा शुक्ला ने गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज कराने के लिए वाराणसी तक की यात्रा शुरू की थी। गोताखोरों, पिता व परिवार के कुछ सदस्य भी उनके साथ दो नावों पर हैं। रायबरेली, प्रतापगढ़ व कौशांबी होते हुए बुधवार रात वह इलाहाबाद में रसूलाबाद घाट पहुंचीं थीं। स्वागत के बाद परिवार वालों के साथ वह बैरहना स्थित भारत सेवाश्रम पहुंची और भोजन के बाद रात्रि विश्राम किया। पिता ललित शुक्ला का कहना है कि तो भोर में तीन बजे श्रद्धा ने उन्हें जगाया और गले में दर्द की बात बताई। सूजन लग रही थी, साथ ही सांस लेने में भी दिक्कत आ रही थी। पानी भी उसके गले से नीचे नहीं उतर रहा था। कुछ भी खाने पीने में सक्षम नहीं थीं। इस पर चिकित्सक को बुलाया गया।
गंगा यात्रा के लिए उफनाती गंगा में नन्ही जलपरी
चिकित्सक का कहना था कि गले में गंदे पानी की वजह से इंफेक्शन हो गया है। ललित के अनुसार रसूलाबाद में मिट्टी की कटान से फेन बहुत बन रहा था। वहां से गुजरते फेन श्रद्धा के मुंह में चला गया। लगातार खांसी भी आ रही है। चिकित्सक की दवाओं से कुछ आराम मिला। जलपरी के पिता ने शाम चार बजे के आसपास फिर यात्रा शुरू होने की जानकारी दी थी, हालांकि इसमें विलंब हो गया। इसके बाद सफर शुक्रवार को शुरू करने की जानकारी दी गई, लेकिन शाम 4.30 बजे के करीब अदम्य साहस की धनी जलपरी गंगा की लहरों में उतर पड़ीं। संगम में करीब दो किमी तेज लहरों की वजह से वह नाव पर ही रहीं। छतनाग में स्थानीय लोगों ने उनका स्वागत किया। नीवा व हनुमानगंज कोटवा में भी बड़ी संख्या में लोग स्वागत के लिए जुटे थे।

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