550 किमी गंगा यात्रा के लिए उफनाती गंगा में नन्ही जलपरी
भारत माता और गंगा मइया के जयघोष के बीच आज सुबह 11 वर्षीय जलपरी श्रद्धा शुक्ला उफनाती गंगा में तैरकर कानपुर से वाराणसी के लिए रवाना हो गई। ...और पढ़ें

उन्नाव (जेएनएन)। भारत माता और गंगा मइया के जयघोष के बीच आज सुबह 11 वर्षीय जलपरी श्रद्धा शुक्ला उफनाती गंगा में तैरकर कानपुर से वाराणसी के लिए रवाना हो गई। पहले दिन उसने उन्नावतक का सफर तय किया। वह दस दिनों में कानपुर से वाराणसी की 550 किलोमीटर की गंगा यात्रा पूरी करेगी।
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दो साल की आयु से गंगा की लहरों के बीच दादा मुन्नू शुक्ला से तैराकी सीखने वाली श्रद्धा के पिता ललित गोताखोर हैं। ललित के मुताबिक यूं तो सड़क मार्ग से वाराणसी पास है लेकिन गंगा काफी घूमती हुई पहुंचती है, इसलिए दूरी ज्यादा है। एमएलसी रामपाल कश्यप ने हरी झंडी दिखाकर कर श्रद्धा को रवाना किया। श्रद्धा के साथ आठ गोताखोर, दो शूटरों की टीम भी चल रही है। उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए सहारनपुर के डॉ. सुभाष भी टीम में हैं। चार गोताखोर उसके आसपास लगातार तैरेंगे, बाकी चार साथ चल रही नाव में रहेंगे। दो जाल भी साथ रखे गए हैं। गंगा में किसी खतरनाक जलीय जीव से श्रद्धा को बचाने के लिए शूटरों की व्यवस्था की गई है। श्रद्धा के मुताबिक इस यात्रा का उद्देश्य गंगा को स्वच्छ रखने का संदेश देना है।
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28 से सीधे 550 किमी लक्ष्य
पहला दिन वह सिद्धनाथ घाट से चन्द्रिका देवी मंदिर उन्नाव दूरी 100 किमी तय कर रही हैं। दूसरे दिन चंद्रिका देवी से संकटा देवी मंदिर रायबरेली दूरी 40 किमी तय होगी। श्रद्धा ने छह वर्ष की उम्र में 2010 में शुक्लागंज से अग्रसेन व्यायामशाला कुल छह किमी तैरकर रिकार्ड बनाया। 2011 मे शुक्लागंज से जाजमऊ पुल तक कुल सात किमी और 2012 में ही गंगा बैराज से मैसेकर घाट तक 10 किमी की दूरी तय की। इसके बाद 16 किमी और 282.5 किमी दूरिया तय करने के बाद सीधे 550 किमी का लक्ष्य रखा है।
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