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    फ्री वाई-फाई यूजर्स की निजी जानकारी खतरे में, जानें कैसे बचें

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 18 Oct 2017 02:45 PM (IST)

    आपने कई बार फ्री वाई-फाई का इस्तेमाल किया होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह कितना खतरनाक साबित हो सकता है

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    फ्री वाई-फाई यूजर्स की निजी जानकारी खतरे में, जानें कैसे बचें

    नई दिल्ली (जेएनएन)। कभी-कभी फ्री वाई-फाई का इस्तेमाल करना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। सिक्योरिटी रिसर्चर्स मैथी वैनहूफ ने अपनी रिसर्च में पाया है कि हैकर्स यूजर्स की जानकारी को फ्री वाई-फाई के जरिए हैक कर सकते हैं। ऐसा मोबाइल और वाई-फाई के बीच के ट्रैफिक को पढ़कर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि WPA2 नेटवर्क सिक्योरिटी से जुड़े एक प्रमुख सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन होने के चलते वाई-फाई सिक्योरिटी वैश्विक तौर पर काफी कमजोर है।

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    निजी जानकारी हो सकती है हैक:

    रिसर्चर्स ने इसे KRACK का नाम दिया है। इसके तहत हैकर्स वाई-फाई के जरिए किसी भी डिवाइस में वायरस या मालवेयर इंस्टॉल कर सकते हैं। ऐसा तभी किया जा सकता है जब यूजर्स किसी वायरस प्रभावित वाई-फाई से अपनी डिवाइस को कनेक्ट करते हैं। KRACK का इस्तेमाल किसी की क्रेडिट कार्ड नंबर्स, पासवर्ड्स, चैट मैसेज, ईमेल्स, फोटोज जैसी निजी जानकारी को हैक करने में किया जा सकता है।

    एन्क्रिप्टेड डाटा को नहीं पढ़ सकते हैकर्स:

    आपको बता दें कि वाई-फाई राउटर से मोबाइल तक डाटा, पैकेट्स के तौर पर ट्रैवल करता है। हालांकि, यह डाटा एन्क्रिप्टेड होता है। इससे, अगर कोई हैकर इसे हैक करता भी है तो भी वो यह जान नहीं पाएगा कि इस पैकेट में क्या है। लेकिन चिंता का विषय यह है कि अगर यूजर किसी इंफेक्टेड वाई-फाई से डिवाइस को कनेक्ट करता है और उसके बीच के ट्रैफिक को हैकर पढ़ लेता है तो उसे यह पता चल जाएगा कि यूजर इंटरनेट पर क्या कर रहा है। यह स्थिति काफी खतरनाक साबित हो सकती है।

    वाई-फाई एलायंस ने दिया बयान:

    इस मामले को लेकर वाई-फाई एलायंस ने बयान देते हुए कहा, "वाई-फाई की सुरक्षा में किसी भी तरह की सेंध लगने के कोई भी सबूत नहीं पाए गए हैं। सिक्योरिटी से संबंधित सभी परेशानियों को एक सॉफ्टवेयर अपडेट से सही किया जा सकता है। इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। KRACK से संबंधित सिक्योरिटी पैचेज को जारी कर दिया गया है।" वहीं, गूगल ने कहा है कि सभी प्रभावित एंड्रॉयड डिवाइसेज को ठीक करने के लिए गूगल ने हर संभव मदद उपलब्ध करा दी है।

    जानें कैसे बचें?

    इस समस्या से बचने के लिए यूजर्स को यह ध्यान देने की आवश्यकता है कि वो किसी भी फ्री और अनप्रोटेक्टेड वाई-फाई नेटवर्क पर लॉगइन न करें।

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