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Unwanted कॉल्स से हैं परेशान तो ट्राई को दें सुझाव

ट्राई ने अनवॉन्टेड कॉल्स के लिए यूजर्स से सुझाव मांगे हैं। आपको बता दें कि ऐसी कॉल्स पर अंकुश लगाने के प्रावधान सबसे पहले 2010 में लागू किए गए थे

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Fri, 15 Sep 2017 10:34 AM (IST)Updated: Fri, 15 Sep 2017 10:34 AM (IST)
Unwanted कॉल्स से हैं परेशान तो ट्राई को दें सुझाव
Unwanted कॉल्स से हैं परेशान तो ट्राई को दें सुझाव

नई दिल्ली (जेएनएन)। अवांछनीय मार्किटिंग कॉल्स पर अंकुश के प्रयासों के बावजूद टेलिकॉम उपभोक्ताओं को ऐसी कॉल्स से पूरी तरह निजात नहीं मिल सका है। लिहाजा और कड़े कदम उठाने के लिए ट्राई ने लोगों से सुझाव मांगे हैं। अवांछनीय मार्किटिंग कॉल्स पर अंकुश लगाने के प्रावधान सबसे पहले 2010 में लागू किए गए थे। इनमें समय-समय पर संशोधन होता रहा। इससे कुछ फर्क तो पड़ा परंतु अवांछनीय कॉल्स बंद नहीं हुई हैं। व्यापारिक प्रतिष्ठानों ने इनके नए तरीके ईजाद कर लिए हैं। अब वे कंप्यूटर जनित ऑटो डायलर्स, रोबो कॉल्स तथा साइलेंट कॉल्स का सहारा लेने लगे हैं।

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अवांछनीय कॉल्स के विरुद्ध मौजूदा प्रावधान ग्राहक को पूर्ण समाधान नहीं देते क्योंकि इनका दायरा व्यापक होने के साथ-साथ सीमित भी है। शिकायत दर्ज कराने पर कुछ तरह की कॉल्स तो बंद हो जाती हैं। परंतु कुछ अन्य प्रकार की कॉल्स आती रहती हैं। इसके अलावा वरीयता दर्ज कराने में सात दिन का और कार्रवाई होने में इससे भी लंबा वक्त लग जाता है। कॉल्स के अलावा व्यापारिक प्रतिष्ठानों की ओर से लाखों अवांछनीय एसएमएस भी ग्राहकों को भेजे जाते हैं। कंपनियां किसी भी तरीके से ग्राहक की सहमति लेकर असीमित एसएमएस भेजने लगती हैं। यह सहमति कब और कैसे ली गई, इसका कंपनियों के पास कोई उचित रिकॉर्ड नहीं होता।

देश में कितनी पंजीकृत टेली मार्किटिंग कंपनियां और कंटेंट प्रोवाइडर हैं और उनके लिए कौन सी कंपनियां कॉल्स और एसएमएस भेजने का काम करती हैं, इसका भी पता नहीं है। ऐसे में ट्राई मौजूदा प्रिफरेंस रजिस्ट्रेशन सिस्टम में सुधार करना चाहता है। ताकि ग्राहकों को कॉल्स पर रोक के ज्यादा विकल्प हासिल हो सकें। इसी के साथ कंटेट प्रोवाइडर, एग्रीगेटर और इंटरमीडियरी कंपनियों का रिकॉर्ड बनाने के साथ-साथ कॉल्स को रिकार्ड करने की प्रणाली भी विकसित की जाएगी। ताकि दोषी कंपनियों को खोज कर उन पर सबूतों के साथ कार्रवाई की जा सके।

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