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    डाटा सिक्योरिटी के मामले में 9 और कंपनियों को मिला सरकार का नोटिस

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 21 Aug 2017 01:02 PM (IST)

    सरकार ने 9 और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को सुरक्षा मानक साझा करने को लेकर नोटिस भेजा है ...और पढ़ें

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    डाटा सिक्योरिटी के मामले में 9 और कंपनियों को मिला सरकार का नोटिस

    नई दिल्ली (जेएनएन)। स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों के सुरक्षा मानकों को जांचने के लिए सरकार ने 9 और स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को नोटिस भेजा है। सरकार ने इन कंपनियों से सुरक्षा के मानकों की विस्तृत जानकारी साझा करने को कहा है। इन 9 कंपनियों में मोटोरोला, आसुस, हॉनर, वनप्लस, कूलपैड, इनफोकस, ब्लू, ओप्पो और नूबिया शामिल हैं। इससे पहले सरकार ने 21 स्मार्टफोन निर्माता कंपनियों को नोटिस भेजा था, जिसमें से ज्यादातर कंपनियां चीन की थी।

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    क्या है मंत्रालय का कहना?

    इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का यह कदम देश में साइबरस्पेस और डिजिटल ढांचे की सुरक्षा को लेकर उठाया गया है। इससे सरकार देश के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहती है। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, भारत में जो भी फोन बनाता या बेचता है, उसे सुरक्षा मानकों की पूरी जानकारी देनी होगी। साथ ही अधिकारी ने बताया कि अब तक 30 कंपनियों को नोटिस भेजा जा चुका है।

    जानें क्यों उठाया गया यह कदम:

    सरकार ने यह कदम यूजर्स की निजी जानकारी सुरक्षित रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया है| क्योंकि कुछ कंपनियों द्वारा यूजर्स की जानकारी चोरी होने की आशंका जताई जा रही है| साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि इन जानकारियों को दूसरी कंपनियों को बेचा भी जा सकता है। सरकार ने जिन कंपनियों को नोटिस भेजा है, उनमें चीन की मोबाइल निर्माता कंपनी वीवो, ओप्पो, शाओमी और जियोनी शामिल हैं। आपको बता दें कि यूजर्स की जानकारी चार तरीकों से चोरी की जा रही है। नीचे हमने इन चारों तरीकों के बारे में बताया है।

    इन चार तरीकों से चोरी हो रही जानकारी:

    मैसेज: यूजर्स की काफी जानकारी व्हाट्सएप से इक्ट्ठा की जाती है। इन जानकारियों का इस्तेमाल हैकर्स गलत तरीके से भी कर सकते हैं। इससे यूजर्स की प्राइवेसी को खतरा हो सकता है।

    लोकेशन: कई यूजर्स के फोन में लोकेशन हमेशा ऑन रहती है। ऐसे में हैकर्स के हाथ अगर आपकी लोकेशन की जानकारी लग जाए तो किडनैपिंग जैसे हालात भी बन सकते हैं।

    कॉन्टेक्ट लिस्ट: फोन की कॉन्टैक्ट लिस्ट के डाटा को टेलीकॉलर्स या विज्ञापन कंपनियों को बेचा जाता है। इससे यूजर्स को ब्लैकमेलिंग का सामना भी कर पड़ सकता है।

    फोटो: यूजर्स के फोन में कई निजी फोटोज भी सेव रहती हैं। ऐसे में अगर यह फोटोज हैकर्स के लग जाती हैं तो उनका गलत इस्तेमाल किया जा सकता है। यह ब्लैकमेलिंग का बड़ा जरिया बन सकता है।

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