डिजिटल पेमेंट की तरफ बढ़ रहा भारत, ग्राहकों ने जताई मोबाइल भुगतान की इच्छा
वीजा मोबाइल पेमेंट रेडिनेस सर्वे के मुताबिक, ग्राहकों का यह मानना है कि मोबाइल से भुगतान करने में समय की बचत होती है
नई दिल्ली। देश में ज्यादातर लोग लेन-देन के लिए डिजिटल पेमेंट की तरफ बढ़ रहे हैं। नोटबंदी के बाद से सरकार की यही कोशिश रही है कि देश कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़े। वीजा मोबाइल पेमेंट रेडिनेस सर्वे के मुताबिक, ग्राहकों का यह भी मानना है कि मोबाइल से भुगतान करने में समय की बचत होती है। देश में ज्यादातर ग्राहक मोबाइल भुगतान के उपयोग के लिए तैयार हैं। सर्वे में 1000 ग्राहकों से मोबाइल भुगतान को लेकर उनके रुख के बारे में पूछा गया था, जिसमें 93 फीसदी ग्राहकों ने इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के उपयोग में रुचि दिखाई। ऐसे में रिपोर्ट में कही गई यह बात सकारात्मक संकेत देती है।
वीजा ग्रुप के क्षेत्रीय प्रबंधक (भारत और दक्षिण एशिया) टी आर रामचंद्रन ने कहा, ‘‘नोट और सिक्कों के उपयोग की तुलना में नकद रहित भुगतान त्वरित और ज्यादा आसान है।’’ वीजा ग्रुप के अनुसार पिछली तिमाही में देश में भुगतान मात्रा में करीब 75 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और लेन-देन की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई। सर्वे के अनुसार, करीब 89 फीसदी प्रतिभागी इस बात से अवगत हैं कि मोबाइल भुगतान का उपयोग छोटे मूल्य की रोजाना की खरीद में किया जा सकता है।
नोटबंदी के बाद से तेज हुआ डिजिटल लेन-देन: 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद पेटीएम और मोबीक्विक जैसे मोबाइल वॉलेट का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में मोबाइल वॉलेट के जरिए 7 करोड़ 53 लाख लेन-देन किया गया, जिनकी कीमत 3192 करोड़ रुपये थी। नवंबर में लेन-देन की संख्या 13 करोड़ 80 लाख पर पहुंची, जिसकी कीमत थी 3305 करोड़ रुपये थी। वहीं, दिसंबर में लेन-देन की संख्या 21 करोड़ 31 लाख पर पहुंच गयी, जिसकी कीमत 7448 करोड़ रुपये थी।
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