सुरक्षित होंगे डिजिटल लेन देन, सरकार उठाएगी यह कदम
मोबाइल फोन से लेकर तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सुरक्षा ऑडिट से जुड़े मसलों पर देश में शोध व अनुसंधान का ढांचा बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है
नई दिल्ली (नितिन प्रधान)। देश में डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहन और बैंक खातों के साथ आधार और पैन के लिंक होने के बाद सरकार के लिए डाटा सिक्योरिटी बड़ी चिंता बन गई है। इससे निपटने के लिए सरकार ने वैश्विक स्तर की डिजिटल सिक्योरिटी व्यवस्था सुनिश्चित करने का फैसला किया है। इसके लिए मोबाइल फोन से लेकर तमाम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सुरक्षा ऑडिट से जुड़े मसलों पर देश में शोध व अनुसंधान का ढांचा बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
सरकार मान रही है कि देश में जिस तरह डिजिटल पेमेंट की रफ्तार बढ़ रही है और लोगों के बैंक खातों को आधार और पैन के साथ जोड़ा गया है उससे सुविधाएं तो बढ़ेंगी लेकिन ग्राहकों के डाटा को लेकर जोखिम भी उतना ही बढ़ रहा है। डिजिटल पेमेंट के लिए अब अधिकांश ग्राहक मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनके बैंक खाते आधार और पैन जैसी संवेदनशील निजी सूचनाओं से जुड़े हैं। डिजिटल इंडिया के निर्माण में डाटा पर किसी भी तरह का जोखिम काफी खतरनाक साबित हो सकता है। इसे देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय ने डाटा सिक्योरिटी के साथ डिजिटल सेवाओं में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सुरक्षा ऑडिट को भी गंभीरता से लिया है।
इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद की पहल पर देश में इस तरह की जांच के लिए बुनियादी ढांचा तेजी से तैयार करने की कवायद शुरू हो गई है। इस आशय का एक प्रस्ताव इसी सप्ताह सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय तैयार कर लेगा। इसके तहत उच्च स्तरीय संसाधनों वाले जांच केंद्र स्थापित किये जाएंगे जहां उपकरणों और डिजिटल सेवा प्रदाताओं का सुरक्षा ऑडिट करने की सुविधा होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट के लिए न केवल अवसर और सुविधाएं बढ़ी हैं बल्कि इसे अपनाने और इससे होने वाले लेनदेन में भी अभूतपूर्व तेजी आई है। लेकिन इसके साथ ही एक अनदेखा जोखिम भी तेजी से उभर रहा है। बीते दिनों डाटा लीक होने के मामलों ने इस आशंका को और बल दिया है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय की समीक्षा बैठकों में माना गया है कि इससे निपटने के लिए देश में सैन्य बलों के समकक्ष सुविधाओं की आवश्यकता है ताकि न केवल लोगों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की विश्वसनीयता की जांच की जा सके बल्कि डिजिटल लॉकर और निजी क्लाउड सेवा प्रदाताओं की तरफ से दी जा रही सुविधाओं की सुरक्षा की भी जांच हो सके। देश में इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे का सर्वथा अभाव है।
दिल्ली और बेंगलुरु में इस तरह की एक-एक परीक्षण सुविधा स्थापित करने का काम चल रहा है। इनके अक्टूबर 2017 तक शुरू हो जाने की संभावना है। इसके अलावा निजी स्तर पर ऐसी और लैबोरेटरी खोलने की भी तैयारी है। कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम-इन ने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के सिक्योरिटी ऑडिट के लिए 54 एजेंसियों को शुरुआती स्तर पर चुना है। लेकिन सरकार की कोशिश है कि इसके लिए देश में रक्षा क्षेत्र के समान सुविधाएं सार्वजनिक स्तर पर स्थापित की जा सकें।
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