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    यहां अकाल मृत्यु वालों को भी मोक्ष

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    Updated: Tue, 05 Aug 2014 12:52 PM (IST)

    कश्मीर के कई धार्मिक स्थल हैं, जो आतंकवाद के दौर में प्रभावित हुए लेकिन अब हालात सामान्य होने के बाद फिर से इनमें पहले जैसा माहौल बन रहा है। आतंकवाद के दौर के दौरान क्षतिग्रस्त हुआ एक और मंदिर शोपियां में है। जिला शोपियां के गांव दिगम में स्थित इस तीर्थ राज कपालमोचन में आठ अगस्त को यात्रा श

    जम्मू, राज्य ब्यूरो। कश्मीर के कई धार्मिक स्थल हैं, जो आतंकवाद के दौर में प्रभावित हुए लेकिन अब हालात सामान्य होने के बाद फिर से इनमें पहले जैसा माहौल बन रहा है। आतंकवाद के दौर के दौरान क्षतिग्रस्त हुआ एक और मंदिर शोपियां में है। जिला शोपियां के गांव दिगम में स्थित इस तीर्थ राज कपालमोचन में आठ अगस्त को यात्रा शुरू होने जा रही है।

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    कपालमोचन धार्मिक स्थल की वैसे तो देशभर में बहुत मान्यता है, लेकिन कश्मीरी पंडितों के बीच इसकी बहुत अधिक मान्यता है। यह तीर्थ स्थल देश के उन तीन प्रमुख स्थलों में से एक है, जहां पर अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए लोगों को मोक्ष प्राप्त होता है। राज्य में आतंकवाद के दौर से पहले इस जगह पर हजारों लोग पिंड दान के लिए आते थे। देश के विभिन्न कोनों से लोग यहां आकर मेले का आयोजन करते थे। यहीं पर अविवाहित और अकाल मृत्यु को प्राप्त युवाओं की क्रिया और श्राद्ध किया जाता है। देश में उज्जैन और चेन्नई के बाद यही एक जगह है जहां पर अकाल मृत्यु वालों को मोक्ष प्राप्त होता है।

    यहां पर स्थित शिवलिंग में कई छेद हैं। कहा जाता है कि ये हजारों आंखें हैं। आतंकवाद के दौर में यह लिंग खंडित हो गया था। मंदिर कमेटी के अध्यक्ष वीके लाहौरी के अनुसार, दो वर्ष पहले इसे फिर से ठीक करके स्थापित किया गया है। भगवान शिवलिंगम का पहले शुद्धिकरण किया गया है।

    वहीं, कमेटी के प्रवक्ता डॉ. रोहित लाहौरी ने बताया कि आठ अगस्त को मंदिर में हवन यज्ञ होगा और इसके बाद पिंड दान होगा। इस जगह का कश्मीरी पंडितों ही नहीं बल्कि देशभर के लोगों के लिए अहम स्थान है। अब भी अकाल मृत्यु को प्राप्त कई लोग यहां पर मोक्ष के लिए आते हैं। राज्य पर्यटन विभाग भी इस इस जगह के जीर्णोद्धार में लगा हुआ है। सरकार का पूरा प्रयास है कि इस मंदिर को पहले की तरह ही बनाया जा सके। मंदिर की चहारदीवारी करने के अलावा वहां पर स्थित चश्मों को भी साफ किया गया है।

    मंदिर के साथ जुड़ी मान्यता

    मान्यता है कि एक बार भगवान शिव के हाथ से ब्रह्मा जी का सिर अलग हो गया। मगर यह कपाल शिव जी के हाथ के साथ चिपक गया। भगवान शिव इससे पीछा छुड़ाने के लिए हिमालय और नासिक तक गए, लेकिन उन्हें इससे निजात नहीं मिली। जब वह दिगमा गांव में पहुंचे तो अचानक कपाल उनके हाथ से छूट गया। उस समय कुछ अनहोनी हुई और कई लोगों की अकाल मृत्यु हो गई। कहते हैं कि भगवान शिव उस समय बहुत आहत हुए और उन्होंने वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति अकाल मृत्यु को प्राप्त होगा, अगर उसका श्राद्ध यहां किया जाएगा तो उसे मोक्ष मिल जाएगा।

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    पंच केदार