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लघुकथा: हिम्मत व बुद्धि से लें काम

मैं डरा हुआ था, तभी मुझे अपने पापा की कही बात याद आई कि नए रास्ते पर जाते समय रास्ते की कुछ चीजें या पहचान याद रखनी चाहिए, ताकि हमे रास्ता ढूंढऩे में परेशानी न हो।

By Babita kashyapEdited By: Published: Fri, 04 Nov 2016 12:34 PM (IST)Updated: Fri, 04 Nov 2016 12:41 PM (IST)
लघुकथा: हिम्मत व बुद्धि से लें काम

दोस्तों, हम अपने जीवन में कभी न कभी ऐसी स्थिति में जरूर फंसते हैं, जब हम बहुत डर जाते हैं और हमें कोई रास्ता नहीं दिखता है। उस समय सिर्फ हमारी कोशिश ही हमें उस स्थिति से निकालती है। बात उन दिनों की है, जब मैं बहराइच शहर में नया आया था।

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मेरा एडमिशन शहर से बाहर स्थित एक स्कूल में कराया गया और स्कूल आने-जाने के लिए एक वैन लगा दी गई। सुबह मैं अपनी वैन से स्कूल गया, पर छुट्टी के समय मैं अपनी वैन नहीं ढूंढ़ पाया। सभी बच्चे अपने-अपने वाहनों में बैठ कर जाने लगे। मैं डर के कारण चर्च के पास जाकर रोने लगा। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं। तभी मुझे याद आया कि मेरी वैन में एक गुडिय़ा टंगी थी। मैं भागकर उस वैन को ढूंढऩे लगा, पर गुडिय़ा कई और वैन में भी टंगी थी। मैंने ड्राइवरों से पूछने की कोशिश की, पर शोरगुल की वजह से वे मेरी आवाज नहीं सुन पा रहे थे। मैं हिम्मत करके एक वैन में बैठ गया, पर मुझे लग रहा था कि वैन मेरी वाली नहीं है। वैन चल पड़ी।

मैं डरा हुआ था, तभी मुझे अपने पापा की कही बात याद आई कि नए रास्ते पर जाते समय रास्ते की कुछ चीजें या पहचान याद रखनी चाहिए, ताकि हमे रास्ता ढूंढऩे में परेशानी न हो। मुझे याद आया कि सुबह आते समय एक क्रॉसिंग पड़ी थी। बहराइच एक छोटा शहर है, वहां एक ही रेलवे लाइन थी। जब वैन वहां से गुजरी तो मुझे हिम्मत आई। उसके बाद वह जिला अस्पताल के सामने से निकली, मैं वहां कई बार पापा के साथ

गया था। मुझे लगा कि रास्ता सही है। जिला अस्पताल के बाद डीएम आवास आया। अब रास्ता मुझे याद आ गया था। रास्ते में बच्चे उतरते रहे। डिग्री कॉलेज पहुंचते-पहुंचते सारे बच्चे उतर गए, सिर्फ मैं ही बचा। तब ड्राइवर ने मुझसे पूछा, तुम कहां उतरोगे। मैंने कहा, बस थोड़ा आगे। आगे जाते ही मेरा घर दिखने लगा। मैंने वैन को रोकने के लिए कहा। मेरी मम्मी व छोटी बहन रिद्धिमा बाहर इंतजार कर रही थीं। मैं भाग कर पहुंचा और मैंने मम्मी को सारी घटना बताई। मम्मी और मैंने ड्राइवर को धन्यवाद कहा। इस घटना के बाद मैं जब भी टैक्सी से जाता हूं, उसका नंबर या कोई पहचान जरूर याद कर लेता हूं, ताकि कोई दुर्घटना न हो पाए।

आप सभी लोग भी ऐसी स्थिति में हिम्मत और बुद्धि से काम लें।

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