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    लघुकथा: कर्मो का फल

    By Babita kashyapEdited By:
    Updated: Wed, 02 Nov 2016 04:24 PM (IST)

    राजा ने अपने मंत्रियों को दरबार में बुलाया और तीनों को आदेश दिया कि एक-एक थैला लेकर बगीचे में जाए और वहां से अच्छे- अच्छे फल जमा करके लाएं ...और पढ़ें

    एक दिन एक राजा ने अपने मंत्रियों को दरबार में बुलाया और तीनों को आदेश दिया कि एक-एक थैला लेकर बगीचे में जाए और वहां से अच्छे- अच्छे फल जमा करके लाएं तो तीनों मंत्री अलग अलग बाग में प्रविष्ट हो गए। एक मंत्री ने सोचा की राजा के लिए अच्छे-अच्छे फल जमा कर लेता हूँ ताकि राजा को पसंद आये और उसने चुन- चुन कर फलों को अपने थैले में भर लिया जबकि दूसरे ने सोचा कौन सा राजा ने फल खाने है तो उसने अच्छे बुरे जो भी फल थे जल्दी -जल्दी इकठा करके थैला भर लिया और तीसरे मंत्री ने सोचा कि समय क्यों बर्बाद किया जाये राजा तो मेरा भरा हुआ थैला ही देखेगे तो उसने घास फूस से थेले को भर लिया और तीनों मंत्री राजा के पास लौटे तो राजा ने बिना देखे ही अपने सैनिकों को उन तीनों मंत्रियों को तीन महीने के लिए जेल में बंद करने का आदेश दिया ।

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    वहां उनके पास सिवाय उनके थैलों के कुछ भी नहीं था और राजा ने उन्हें खाना पानी नहीं देने की व्यवस्था कर दी ताकि कोई भी उनको भोजन नहीं दे पाएं तो जिस मंत्री ने अच्छे-अच्छे फल चुने थे वो बड़े आराम से फल खाता रहा इन दिनों में और जिस मंत्री ने ऐसे ही लापरवाही से फल चुने थे वो कुछ दिन तो आराम से रहा फिर सड़े गले फल खाने की वजह से वो बीमार हो गया और उसे बहुत परेशानी उठानी पड़ी लेकिन जिस मंत्री ने घास फूस से अपना थैला भरा था तो भूख से मर गया।

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