गुरमेहर की मां बोली, बेटी को मैंने बताया था कि तेरे पापा को युद्ध ने मारा
विवादों के बीच गुरमेहर कौर की मां ने अपना और गुरमेहर का नजरिया रखा है। जिंदगी से जुड़ी खास बातें शेयर कर कहा कि उन्हाेंने ही बेटी को बताया कि उसके पापा को युद्ध ने मारा।
जालंधर, [कुसुम अग्निहोत्री]। दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढऩे वाली शहीद फौजी अफसर मनदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौर को लेकर सियासत तेज होती जा रही है। गुरमेहर के वीडियो संदेश 'पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, जंग ने मारा' पर देश में माहौल गर्म है। इस मामले में बेटी के समर्थन में मां राजविंदर कौर फिर सामने आई हैं। उन्होंने कहा, बेटी को मैंने ही बताया कि उसके पिता को युद्ध ने मारा।
मां राजविंदर कौर ने साझा की गुरमेहर की जिंदगी से जुड़ी खास बातें
गुरमेहर कौर की मां राजविंदर कौर से जागरण ने गुरमेहर की परवरिश सहित मौजूदा चुनौतियों पर बातचीत की। राजविंदर का कहना है कि 'पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, जंग ने मारा' के एक लाइन से उसने युद्ध के खिलाफ अपनी भावना व्यक्त की। उसका मकसद एक खास घटना का हवाला देकर अपनी बात को कहना था। छोटी होने पर उसके अंदर नफरत थी। तब उसे मैंने समझाया था कि पाकिस्तान ने उसके पिता को नहीं बल्कि जंग ने मारा था।
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राजविंदर ने कहा, दीर्घ परिप्रेक्ष्य में गुरमेहर यही बताना चाहती थी कि युद्ध क्या है। युद्ध विनाश है, ऐसी स्थिति जिसमें लोग आपस में लड़ते हैं, देश आपस में लड़ते हैं। मैं अपनी बेटी के मन में पड़ोसी देश की ऐसी छवि नहीं बनने देना चाहती थी जो उसमें जहर भरे या भविष्य में शांति के मौके को अवसर देने के लिए तैयार न हो।
बोलीं, मैं नहीं चाहती थी कि बेटी के मन में पड़ोसी देश के प्रति नफरत पैदा हो
राजविंदर कौर कहती हैं कि संस्कारी बच्चे की कामना करते हुए गुरमेहर के जन्म से पूर्व परिवार ने दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा में अरदास की थी। हम दोनों पति-पत्नी के लिए गुरमेहर अनमोल थी। गुरमेहर ने एक साल की उम्र से ही बोलना शुरू कर दिया था। उन दिनों गुरमेहर के पिता कुपवाड़ा में तैनात थे। गुरमेहर दो साल की होगी जब उसके पिता फोन पर बात करते थे तो वह वंदेमातरम् कहती थी।
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उन्होंने कहा कि गुरमेहर के पिता उसे गुलगुल के नाम से बुलाते थे। वह जब फोन पर कहते थे गुलगुल गाना सुनाओ तो गुरमेहर गाती थी- सोल्जर, सोल्जर... मीठी बातें बोलकर दिल को चूहा ले गया। गुरमेहर चुरा कर नहीं बोल पाती थी इसलिए चूहा कहती थी।
राजविंदर ने कहा, गुरमेहर की परवरिश के दौरान मुश्किलों का सामना करने के सवाल पर राजविंदर कौर कहती हैं कि गुरमेहर के पिता के शहीद होने के बाद छोटी सी बच्ची को ये समझाना बहुत मुश्किल था कि उसके पापा इस दुनिया में नहीं रहे। उसके पापा जब भी घर आते थे तो उससे बहुत लाड-प्यार करते थे, इसलिए वह उनको ज्यादा मिस करती थी। अक्सर पूछती थी कि मम्मा, मेरे पापा कब आएंगे।
उन्होंने कहा, उन दिनों सीरियल आता था-क्योंकि सास भी कभी बहू थी। उसमें मिहिर नाम के पात्र की मौत हो जाती है. लेकिन सीरियल में दिखाया गया था कि मिहिर कुछ महीने बाद लौट आता है। ये देखकर गुरमेहर ने कहना शुरू कर दिया कि मेरे पापा भी वापस आएंगे। ये वह समय था जब मैंने सख्त लहजे में गुरमेहर को समझाया कि पापा कभी वापस नहीं आएंगे, वह शहीद हो गए हैं। एक मां के लिए छोटी बच्ची को मौत के बारे में समझाना किसी चुनौती से कम नहीं था।
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कुछ लोगों द्वारा गुरमेहर को राष्ट्रविरोधी कहने के सवाल पर राजविंदर कौर ने कहा, मैं जानती हूं कि वह क्यों शांति की बात करती है। वह इस वेदना को भीतर से महसूस कर सकती है, क्योंकि एक बच्चे के लिए उसका पहला हीरो पिता होता है. आप उस बच्चे की मन:स्थिति समझ सकते हैं, जब उसका इस असलियत से सामना होता है कि पिता दुनिया में नहीं रहे।
वह आगे बोलीं, प्री नर्सरी स्कूल में जब मैं उसका दाखिला कराने ले गई तो वहां सब बच्चों के मम्मी-पापा दोनों साथ आए हुए थे। ये गुरमेहर भी देख रही थी, उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। उस वक्त 15-20 मिनट तक मेरी आंखों में आंसू रहे। यही सोचती रही कि जब मेरा ये हाल है तो ये सब देख छोटी सी गुरमेहर पर क्या बीत रही होगी? शहीद की पत्नी होना आसान नहीं है, शहीद की बेटी होना तो और भी आसान नहीं है।
सहवाग, फोगाट की बात का बुरा नहीं मानती
राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों द्वारा गुरमेहर पर निशाना साधने के सवाल पर राजविंदर कौर कहती हैं कि गुरमेहर खुद भी टेनिस खिलाड़ी है। वह अच्छी तरह समझती है कि टेनिस प्लेयर एक-दूसरे के साथ कैसे हमेशा मजाक करते हैं। मैं इसे बुरा नहीं मानती। सहवाग सीनियर क्रिकेट खिलाड़ी हैं, साथ ही इस देश का गौरव हैं। मैं फोगाट बहनों का भी सम्मान करती हूं, वे महिला शक्ति की प्रतीक हैं। मेरी खुद भी दो बेटियां हैं, उन्होंने जो कहा वह देश के लिए अपने प्रेम की वजह से कहा। उन्होंने समझा कि गुरमेहर की अभिव्यक्ति शायद कुछ अलग है।
गुरमेहर हैलो की जगह वंदेमातरम् बोलती थी
राजविंदर कौर कहती हैं कि गुरमेहर भी अपने देश से बहुत प्यार करती है। यह वह लड़की है जिसने फोन पर हैलो की जगह वंदेमातरम् कहने की शुरुआत की। उसने देशविरोधी जैसा कुछ नहीं कहा। उसने लाइफ इज ब्यूटीफुल जैसी फिल्में देखकर अपनी तार्किक सोच विकसित की। वह बहुत पढ़ती भी है, जो पढ़ती है उसे अंदर तक महसूस करती है। डरने के सवाल पर राजविंदर कौर ने कहा, मैं डरी हुई नहीं हूं। वह फौजी की बेटी है, बहादुर है, अपने फैसले लेती है। वह कायर नहीं साहसी इंसान है।
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