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गोल्डन टेंपल मेल अब 130 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी, छह घंटे जल्दी पहुंचेगी मुंबई

अमृतसर से मुंबई तक चलने वाली गोल्डन टेंपल मेल अब 130 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी। यह मुंबई छह घंटे जल्दी पहुंचेगी। यह ट्रेन 29 मई को शाम सात बजे अमृतसर रेलवे स्टेशन से रवाना होगी। इसमें हाई स्पीड क्षमता वाले एलएचबी कोच लगाए जाएंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 22 May 2021 10:13 PM (IST)Updated: Sun, 23 May 2021 07:39 AM (IST)
गोल्डन टेंपल मेल अब 130 किमी की रफ्तार से दौड़ेगी, छह घंटे जल्दी पहुंचेगी मुंबई
130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी गोल्डन टेंपल मेल। सांकेतिक फोटो

अमृतसर [विक्की कुमार]। अमृतसर से मुंबई तक चलने वाली गोल्डन टेंपल मेल ट्रेन (02903-04) में अब सफर और भी आरामदायक होने जा रहा है। अब यह ट्रेन 29 मई से 22 एलएचबी (लिंक हाफमैन बुश) कोच के साथ मुंबई के लिए रवाना होगी। अभी तक इसमें आइसीएफ कोच लगे हैं। कोच बदलने के बाद इस ट्रेन की स्पीड 130 किलोमीटर प्रति घंटा हो जाएगी।

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वहीं, रेलवे ने अब इस ट्रेन का समय भी बदल दिया है। अमृतसर से यह ट्रेन पहले 9.25 बजे रवाना होती थी और करीब 34 घंटे का सफर तय कर सुबह करीब पांच बजे मुंबई पहुंचती थी। अब 29 मई से यह ट्रेन अमृतसर से शाम सात बजे रवाना होगी और 28 घंटे में मुंबई पहुंचेगी। ट्रेन को एलएचबी कोच लगने के बाद ट्रेन की जहां स्पीड बढ़ जाएगी, वहीं करीब छह घंटे का सफर भी कम हो जाएगा। इससे यात्री के समय की भी बचत होगी। बता दें कि मुंबई से यह ट्रेन 27 मई को अमृतसर के लिए रवाना होगी। इसके बाद अमृतसर से 29 मई को एलएचबी कोचों के साथ रवाना हो जाएगी।

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एलएचबी कोच की यह है खूबियां

  • ज्यादा स्पेस है और सीटें आरामदायक है जिससे यात्री आराम से पैर फैलाकर सीट पर बैठ व लेट सकता है।
  • यह कोच पारंपरिक कोच की तुलना में डेढ़ मीटर लंबे हैं।
  • बड़ी खिड़कियां हैं। बायो टायलेट्स व सामान रखने की अधिक स्पेस है।
  • एलएचबी कोच में दो डिब्बे अलग तरह से कप¨लग किए जाते हैं, जिससे दुर्घटना की स्थिति में डिब्बे एक के ऊपर एक नहीं चढ़ते। इसमें एंटी टेलीस्कोपिक सिस्टम भी होता है, जिससे डिब्बे आसानी से पटरी से नहीं उतर पाते।
  • एलएचबी कोच के डिब्बे स्टेनलेस स्टील और एल्यूमिनियम के बने होते हैं। इसमें डिस्क ब्रेक सिस्टम होता है, जिससे ट्रेन को जल्दी रोका भी जा सकता है।
  • यदि दुर्घटना हुई तो यह कोच पारंपरिक कोच के मुकाबले कम क्षतिग्रस्त होते हैं। इनकी सेल्फ लाईफ भी पारंपरिक कोच के मुकाबले ज्यादा होती है।
  • एलएचबी कोच माइक्रोप्रोसेसर से कंट्रोल होता है। इसमें एयर कंडीशनिंग सिस्टम होता है, जो कोच के तापमान को नियंत्रित करता है। इससे ट्रेन सुरक्षित रहती है।
  • लंबे कोच होने के कारण ट्रेन की यात्री वहन की क्षमता बढ़ती है। मतलब ज्यादा यात्री भी सफर कर सकते हैं। 

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