जब 10 हजार अफगानों से भिड़ गए थे 21 सिख सैनिक
ब्रिटिश-एंग्लो सेना और अफगान सेना के बीच लड़ी गई 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' में सिर्फ 21 सिक बांकुरों ने हजारों अफगानियों को धूल चटा दी थी। जानें कैसे ?
फिरोजपुर, [प्रदीप कुमार सिंह]। 12 सितंबर, 1897 की तारीख इतिहास में सिखों के अतुल्य साहस के रूप में दर्ज है। ब्रिटिश-एंग्लो सेना व अफगान सेना के बीच लड़ी यह लड़ाई 'बैटल ऑफ सारागढ़ी' के नाम से मशहूर है। इसे विश्व की महानतम लड़ाइयों में शुमार किया गया है। इस युद्ध में सिख रेजीमेंट के 21 जवान अफगानों की 10 हजार की फौज से भिड़ गए थे और उन्होंने करीब 600 अफगानों को मौत के घाट उतारकर शहादत पाई।
इस ऐतिहासिक वीरगाथा की यादें फिर ताजा होने जा रही हैं। फिरोजपुर में इन वीर सैनिकों की याद में बनाए गए स्मारक में सेना व जिला प्रशासन की ओर से एक भव्य समागम आयोजन किया जा रहा है। जिला संपर्क अधिकारी अमरीक ङ्क्षसह ने बताया कि सैनिक वेलफेयर के नेतृत्व में सेना व जिला प्रशासन की ओर से यहां प्रदर्शनी लगाई जाएगी। जवानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। पिछले वर्ष हुए कार्यक्रम में यहां इग्लैंड व न्यूजीलैंड से भी प्रतिनिधि आए थे।
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जवानों को मरणोपरांत इंडियन मेरिट ऑफ ऑर्डर सम्मान
ब्रिटेन की संसद में इन 21 वीरों की बहादुरी को सलाम किया गया था। इन सभी को मरणोपरांत इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया गया, जो परमवीर चक्र के बराबर का सम्मान था। युद्ध में शहीद सिख सैनिकों का संबंध फिरोजपुर व अमृतसर से था। जिसे देखते हुए ब्रिटिश सेना ने दोनों जगह मेमोरियल बनाए।
महाराजा रणजीत सिंह ने बनाया था किला
अफगानिस्तान के गुलिस्तान और लोखार्ट नामक किले महाराजा रणजीत ङ्क्षसह ने बनवाए थे। इस पर उस समय अंग्रेजों का कब्जा था और यह नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर स्टेट के अंतर्गत था। इन किलों में संचार के लिए अंग्रेजों ने सारागढ़ी नाम की एक सुरक्षा चौकी बनाई थी, जहां पर 36वीं सिख रेजीमेंट के 21 जवान तैनात थे। फिरोजपुर गुरुद्वारे पर अंकित व प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार अगस्त के अंतिम हफ्ते से 11 सितंबर के बीच विद्रोहियों ने किले पर दर्जनों बार हमले किए।
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12 सितंबर की सुबह करीब 12 हजार अफगान पश्तूनों ने लोखार्ट के किले को चारों ओर से घेर लिया। हमले की शुरुआत होते ही सिग्नल इंचार्ज गुरुमुख सिंह ने ले. कर्नल जॉन होफ्टन को जानकारी दी, लेकिन किले तक तुरंत सहायता पहुंचाना काफी मुश्किल था।
लांस नायक लाभ सिंह और भगवान सिंह ने गोली चलाना शुरू कर दिया। हजारों की संख्या में आए पश्तूनों की गोली का पहला शिकार बने भगवान सिंह। हवलदार ईशर सिंह ने नेतृत्व संभालते हुए अपनी टोली के साथ 'जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल' का नारा लगाया और दुश्मन पर टूट पड़े।
पश्तूनों से लड़ते-लड़ते सुबह से रात हो गई और अंत में 21 रणबांकुरे शहीद हो गए। इन रणबांकुरों ने करीब 600 अफगान मार गिराए। हालांकि कुछ जगह यह आंकड़े 1400 भी दर्ज हैं। वहीं अफगान सैनिकों की संख्या भी 12 हजार बताई गई है।
सिख रेजीमेंट के योद्धा
1. हवलदार ईशर सिंह
2. नायक लाल सिंह
3. नायक चंदा सिंह
4. लांस नायक सुंदर सिंह
5. लांस नायक राम सिंह
6. सिपाही उत्तम सिंह
7. सिपाही साहिब सिंह
8. सिपाही हीरा सिंह
9. सिपाही दया
10. सिपाही जीवन सिंह
11. सिपाही भोला सिंह
12. सिपाही नारायण सिंह
13. सिपाही गुरमुख सिंह
14. सिपाही जीवन सिंह
15. सिपाही गुरमुख सिंह
16. सिपाही राम सिंह
17. सिपाही भगवान सिंह
18. सिपाही भगवान सिंह
19. सिपाही बूटा सिंह
20. सिपाही जीव सिंह
21. सिपाही नंद सिंह
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