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    अकाली दल और भाजपा के गठजोड़ में दरार!

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Fri, 13 Nov 2015 01:23 PM (IST)

    पिछले करीब 19 साल से पंजाब में गठबंधन धर्म निभाते आ रहे अकाली-भाजपा गठजोड़ के धागे अब मजबूत नहीं दिखते। भाजपा ने लगातार दो दिन ऐसे संकेत दिए हैं जिस ...और पढ़ें

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    चंडीगढ़ [हरिश्चंद्र]। पिछले करीब 19 साल से पंजाब में गठबंधन धर्म निभाते आ रहे अकाली-भाजपा गठजोड़ के धागे अब मजबूत नहीं दिखते। पंजाब में चाहे भाजपा गठजोड़ में छोटे घटक दल की भूमिका अदा कर रही हो लेकिन केंद्र में बड़े भाई की भूमिका में है। एेसे में भाजपा ने लगातार दो दिन ऐसे संकेत दिए हैं जिससे स्पष्ट हो गया है कि दोनों के रिश्तों में अब पहले वाली 'मिठास' और विश्वास नहीं रहा।

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    प्रधानमंत्री मोदी की पंजाब यात्रा की पंजाब सरकार को नहीं दी गई जानकारी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिवाली के दिन पंजाब के दो सीमावर्ती जिलों का दौरा करने से पहले पंजाब सरकार को सूचित तक न करने से राज्य में अकाली-भाजपा के रिश्तों को लेकर सुगबुगाहट होने लगी है। सूबे में मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तक को मोदी के दौरे बारे बताया तक नहीं गया और न ही इसकी भनक प्रदेश सरकार में किसी भी स्तर पर लगने दी गई। पंजाब पुलिस के इंटेलीजेंस विंग को भी प्रधानमंत्री के अमृतसर व फिरोजपुर जिलों के दौरे संबंधी कोई खबर नहीं थी।

    यह भी पढ़ें : फिरोजपुर प्रशासन को नहीं लगी मोदी के दौरे की भनक

    हालांकि, भाजपा नेताओं का कहना है कि यह सरकारी दौरा था जो रक्षा मंत्रालय की ओर से बनाया गया था। लेकिन यह बात पचती नहीं हे। अब तक किसी प्रधानमंत्री ने शायद ही पिछले दो दशक में ऐसा दौरा किया होगा जिसमें संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री तक को न बताया गया हो।

    केंद्र ने पंजाब को नजरअंदाज कर दीनानगर हमले की जांच एनआइए को सौंपी

    इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा दीनानगर आतंकी हमले की जांच एनआइए को सौंपने से भी केंद्र व पंजाब सरकार के रिश्तों में बनी दूरी स्पष्ट हो जाती है। पंजाब सरकार अब तक इस आतंकी हमले की जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपने से साफ इंकार करती रही है।

    पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, जिनके पास गृह विभाग की जिम्मेदारी भी है, यही कहते रहे हैं कि पंजाब पुलिस ही इस मामले की जांच करेगी। लेकिन, केंद्र सरकार ने अचानक इसकी जांच एनआइए को सौंपने का मन बना लिया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन सूत्रों के मुताबिक केंद्र की राजग सरकार ने इस मामले में पड़ोसी देश की भूमिका होने के मद्देनजर अब जांच शीर्ष जांच एजेंसी को सौंपे दी है।

    केंद्र का मानना है कि आतंकी हमले और खासकर इसमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशी ताकतों की भूमिका स्पष्ट होने के बाद इसकी जांच एनआइए को ही करनी चाहिए। खास बात यह है कि ऐसी किसी भी जांच के लिए हमेशा संबंधित राज्य सरकार की सहमति ली जाती है लेकिन इस बार केंद्र ने यह सहमति लेनी भी जरूरी नहीं समझी। बल्कि राज्य सरकार के इंकार को नजरअंदाज कर यह जांच केंद्रीय एजेंसी को सौंपी गई है।

    केंद्रीय जांच से संबंधित नियमों के मुताबिक केंद्रीय एजेंसी से जांच के लिए राज्य सरकार से सहमति लेनी होती है। यहां तक कि सीबीआइ जांच के लिए भी राज्य सरकार कहे, तभी केंद्र दखल देता है। केंद्र ने इस मामले को जिस तरह एनआइए को जांच सौंपने का फैसला किया है, उसे पंजाब सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है।