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    भगवान ने लिखी मेरी पटकथा

    धारावाहिक ‘कुसुम’, ‘कसौटी जिंदगी की’, ‘कुमकुम’ व ‘क्योंकि सास भी बहू थी’ ने अभिनेत्री तसनीम शेख को खासी लोकप्रियता दिलाई थी। एक लंबे अंतराल के बाद वह फिर से लौट आई हैं टीवी पर...

    By Srishti VermaEdited By: Updated: Sat, 25 Feb 2017 02:28 PM (IST)
    भगवान ने लिखी मेरी पटकथा

    एकता कपूर की पसंदीदा कलाकारों की फेहरिस्त में ऊंचे पायदान पर हैं तसनीम शेख। धारावाहिकों में सफल पारी खेलकर उन्होंने परिवार की जिम्मेदारी ली। ग्लैमर जगत से साढे़ आठ साल दूर रहीं। अब उसी परिवार के सबसे अहम सदस्य यानी अपनी बिटिया के कहने पर उन्होंने ऐंड टीवी के शो ‘एक विवाह ऐसा भी’ से करियर की दूसरी पारी का आगाज किया है। संयोगवश उनकी वापसी जिस शो से हो रही है, उसकी प्रोड्यूसर एकता कपूर कैंप की निवेदिता बासू हैं।

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    मायके से मासी के घर
    तसनीम शेख अपनी वापसी को भगवान की लिखी पटकथा करार देती हैं। उनके शब्दों में, ऊपरवाले ने मेरी कहानी बड़ी तसल्ली से लिखी है। एकता कपूर का प्रोडक्शन हाउस यानी बालाजी मेरे लिए मेरा मायका है। वहांमुझे नाजों के साथ पाला गया है। लिहाजा मेरी दिली ख्वाहिश यही थी कि मेरी वापसी उन्हीं के या उनके जानने वाले के शो से हो। इत्तफाकन उन्हें लंबे समय से जानने वाली निवेदिता बासू ने मुझे यह शो ऑफर किया। मेरी तमाम सुविधाओं का ख्याल रखा गया। शूटिंग भी ऐसी जगह हो रही है, जो मेरे घर से महज आधे घंटे की दूरी पर है। नतीजतन मैंने शो को हां कहा।

    काम से ब्रेक
    मैं अपनी बिटिया टिया निरूरकर के साथ बहुत खुश थी। उसका ख्याल रखना मेरी पहली प्राथमिकता थी। तभी मैंने काम से साढे़ आठ साल का ब्रेक लिया। कामकाजी औरतें इसे कुर्बानी न समझें। ऐसा कर मैंने सिर्फ अपना फर्ज निभाया है। परिवार के लिए काम से ब्रेक लेने को मैं दकियानूसी भी नहीं मानती। ऐसा कर मैं अपनी बेटी में जो संस्कार दे रही हूं, वह मेरे जाने के बाद भी उसके साथ रहेंगे। रहा सवाल साढे़ आठ साल के गैप का तो उसकी भरपाई मैं अब आगे दो साल में काम से कर लूंगी।

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    तभी बहू से नहीं पटती


    बहरहाल, मैं शो में मित्तल परिवार की सर्वेसर्वा हूं। उसका बेटा विधवा से शादी कर लेता है, जिसकी देवरानियां भी पहले से उसके दो और छोटे बेटों की बीवी हैं। ऊपर से उसके बेटे की सास भी उसी के घर में डेरा जमा बैठने वाली है। जाहिर है मेरे किरदार के सब्र का बांध छलकेगा। साथ ही वह खुदगर्ज भी है। लिहाजा किसी की आपस में नहीं पटने वाली। असल जीवन में भी सास-बहू के बीच कम ही पटती है। उसकी जड़ में उनकी असुरक्षाएं होती हैं। सास को अपने बेटे को खोने का डर। बहू को अपने पति को मुट्ठी में रखने की जद्दोजहद। जहां इनमें से कोई एक चीज होगी, टकराव तय है। हालांकि अब वैसी टिपिकल सास- बहुएं देखने को कम मिलती हैं।

    बेटी के कहने पर वापसी
    मैंने काम से इरादतन ब्रेक लिया था। मन बना चुकी थी कि अभी काम नहीं करना है, पर मेरी सात साल की बेटी ने ऐसा नहीं होने दिया। स्कूल से लौटने पर, जब वह मुझे घर में खाली देखा करती तो उसे जरा भी अच्छा नहीं लगता। इस शो के लिए वह मुझे छह महीने तक प्रोत्साहित करती रही। कहती रही कि ममा, जब आप काम करने लगोगे तो बोरियत महसूस नहीं करोगे। तब जाकर मैंने हामी भरी। खुश हूं कि इस किरदार ने मुझे चैलेंज किया है। मैं असल जीवन में मिसेज मित्तल सी कतई नहीं हूं। लिहाजा खुद के बिल्कुल अपोजिट वाले रोल निभाने में बड़ा मजा आता है। ऐसा करने के लिए मुझे किसी लंबी प्रक्रिया से गुजरना नहीं पड़ता। डायरेक्टर के एक्शन बोलते ही मैं किरदार के रंग में रंग जाती हूं। मेरे लिए कैरेक्टर को दिल-दिमाग या कंधों पर ढोकर ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती।

    एकता हैं रचनात्मक
    मैं एकता कपूर की ताउम्र शुक्रगुजार रहूंगी।उनमें रचनात्मकता कूट-कूट कर भरी है। काम का दौर चल रहा हो तो वह मुश्किल से एक-दो घंटे ही नींद लेती हैं। लेखन से लेकर निर्माण तक की हर बारीकी में वह पूरी शिद्दत से भाग लेती हैं। वह बहुत टफ टास्क मास्टर हैं और अपने लगन की जीती- जागती मिसाल हैं। उन्होंने अपने घर में गैराज में ऑफिस खोला था। आज बहुमंजिला इमारत में उनका दफ्तर है।

    नागिन-वागिन सब मिले थे
    एक विवाह ऐसा भी से मेरी गर्व भरी वापसी हुई है। इससे पहले मुझे नागिन व दूसरे सुपरनेचुरल शो ऑफर हुए थे, पर मैंने वह सब नहीं किया। मुझे फिल्में भी मिली थीं, मगर उनके लिए मुझे मुंबई से दूर जाना पड़ता। वह भी 15-20 दिनों के लिए। वह मुझे मंजूर नहीं था। साथ ही मैं वैसी फिल्मों का हिस्सा नहीं बनना चाहती, जहां महज शो पीस के तौर पर नजर आऊं। मैं काम और परिवार के बीच संतुलन साध कर चलना चाहती हूं।

    प्रस्तुति- अमित कर्ण

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