सबका होता है दोहरा व्यक्तित्व
धारावाहिक ‘प्यार का दर्द है मीठा मीठा प्यारा प्यारा’ की पंखुड़ी अर्थात दिशा परमार ने दो साल बाद छोटे पर्दे पर वापसी की है।
टीवी एक्ट्रेस दिशा परमार जी टीवी पर प्रसारित हो रहे धारावाहिक ‘वो अपना सा’ में जाह्नवी के रोल में हैं। उसकी सादगी, परवरिश और पारिवारिक मूल्यों ने उसे एक परिपक्व इंसान बनाया है। जिंदगी के प्रति जाह्नवी का नजरिया बहुत सकारात्मक है।
टीवी से दूर रहने की वजह
दिशा कहती हैं, ‘मैं चाहती थी कि दर्शक मेरा इंतजार करें। मैं कोई अन्य शो करने वाली थी, लेकिन किन्हीं कारणों से वह बन नहीं सका। उसके इंतजार में काफी वक्त जाया गया। हालांकि उस वक्त का मैंने सदुपयोग भी किया। मैं अमेरिका, थाइलैंड और कश्मीर सरीखी अपनी पसंदीदा जगहों पर गई। ये सब करते हुए दो साल गुजर गए। गैप के बावजूद मुझे किसी प्रकार की असुरक्षा महसूस नहीं हुई, क्योंकि इंडस्ट्री के लोग संपर्क में थे। मेरे पास शो के प्रस्ताव लगातार आ रहे थे, पर मैं किसी उम्दा शो की तलाश में थी। मेरा पंखुड़ी का किरदार सशक्त था। दूसरा शो भी दमदार भूमिका वाला चाहती थी। मैं और रोने-धोने वाले किरदार निभाने की इच्छुक नहीं थी।
नहीं हुआ ऑडिशन
मैं छुट्टियां मना रही थी। इसी दौरान चैनल से ऑडिशन देने का फोन आया। इसके बाद शो के निर्माता सिद्धार्थ मल्होत्रा से बातचीत हुई। उन्होंने किरदार की बारीकियों से अवगत कराया। किरदार को सुनकर लगा यह अलग है और मैंने हां कर दिया। उसके बाद कोई ऑडिशन नहीं हुआ और मेरा चयन हो गया। दिसंबर में हमने शो की शूटिंग आरंभ कर दी थी। मेरा किरदार बहुत रियल और जिंदादिल है। उसके पिता ने दूसरी महिला के लिए उसकी मां से किनारा कर लिया था। परिवार में बिखराव के बाद भी वह टूटी नहीं। अपनी जिंदगी को हंसते-मुस्कराते गुजार रही है। किरदार की यह बात मुझे छूती है। असल जिंदगी में देश-दुनिया में जाह्नवी जैसे किरदार मौजूद हैं। वह शान से जिंदगी जी रहे हैं। जाह्नवी की तरह मैं भी असल जिंदगी में सकारात्मक सोच रखती हूं।
रिद्धि से नहीं है कंप्टीशन
धारावाहिक में रिद्धि डोगरा निशा की भूमिका में हैं। शो में वह दोहरे चरित्र की महिला है। उसकी असलियत परिवार से छुपी है। उसकी हकीकत से सिर्फ उसका पति वाकिफ है। निशा के किरदार के बाबत दिशा कहती हैं, ‘निशा और जाह्नवी की ज्यादा मुलाकातें नहीं हुई हैं। उसे निशा अच्छी लगती है। आगे क्या होगा यह अभी नहीं बता सकती। सर्वविदित है कि औरतों को कोई नहीं समझ सकता। मेरा मानना है कि हर इंसान का दोहरा व्यक्तित्व होता है। अपने एक पहलू को वह दुनिया से छुपाकर रखते हैं। उससे उनके बेहद करीबी ही वाकिफ होते हैं। बहरहाल, रिद्धि और सुदीप के साथ काम करना अच्छा लग रहा है। सुदीप साहिर से पहली मुलाकात लुक टेस्ट के दौरान हुई थी। वहीं से हम घुल मिल गए थे। रिद्धि जैसी मंझी कलाकार के साथ काम करने को लेकर किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हुई। रिद्धि बेहद सरल और विनम्र स्वभाव की हैं। उनसे कांप्लेक्स होने का सवाल ही नहीं उठता है।
आम लोग हैं आदर्श
आमतौर पर कलाकार किसी न किसी को अपनी प्रेरणा मानते हैं। दिशा किसी व्यक्ति विशेष को अपना आदर्श नहीं मानती हैं। इसकी वजह बताते हुए वह कहती हैं, ‘हर इंसान में कोई न खूबी होती है। मैं रोजाना नए लोगों से मिलती हूं। अक्सर उनकी कुछ बातें या कार्य मुझे प्रभावित कर जाते हैं। वे मेरे आदर्श बन जाते हैं। वे कोई जानी-मानी हस्ती नहीं होते। मेरी मां मेरी आदर्श हैं। मेरे ईद-गिर्द के लोग भी मेरे आइडियल हैं। मैं उनसे बात करती हूं। उनकी सोच मुझे प्रभावित करती है। बहरहाल, ऐसे लोग जिन्हें पता है कि जिदंगी को कैसे जीना है, उन्हें मैं अपना आदर्श मानती हूं। कुछ लोग जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीते हैं। ऐसे लोग भी मेरे प्रेरणा होते हैं। ऐसे मिजाज के लोग अपनी धुन के पक्के होते हैं। वे परिस्थितियों के साथ समझौता करने में यकीन नहीं रखते। यही उनके व्यक्तित्व की पहचान होती है।
पहले शो से सीखा बहुत कुछ
दिशा को अपने शो ‘प्यार का दर्द है मीठा-मीठा प्यारा-प्यारा’ के लिए दर्शकों का बहुत प्यार मिला। वह करीब पांच साल तक चला था। इस शो से सीखने के बाबत दिशा कहती हैं, ‘वह मेरा पहला शो था। वह मेरे लिए एक्टिंग का इंस्टीट्यूट साबित हुआ। पंखुड़ी के किरदार ने मुझे भावनाओं को पर्दे पर व्यक्त करना सीखाया। इस शो से ही मुझे शोहरत मिली। भविष्य में मैं नकारात्मक किरदार निभाने की इच्छुक हूं। बचपन में मैंने प्रियंका चोपड़ा अभिनीत ‘एतराज’ देखी थी। उनके जैसा किरदार निभाने की ख्वाहिशमंद हूं। नकारात्मक किरदार में ढेरों शेड होते हैं। पॉजिटिव किरदार में आप सीमित हो जाते हैं।’
प्रस्तुति- स्मिता श्रीवास्तव
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