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    ..नवाज शरीफ मदद करते तो नहीं होता 9/11

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    Updated: Mon, 21 Oct 2013 09:22 AM (IST)

    यदि पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 1

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    वाशिंगटन। यदि पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने 1998 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की मदद की गुहार पर ईमानदारी से मदद की होती तो 9/11 हमला नहीं हुआ होता। क्लिंटन से शरीफ ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि तालिबान बेहद अड़ियल लोग हैं। वे मेरी बात नहीं सुनेंगे।

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    एक दस्तावेज के मुताबिक, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को भनक लग गई थी कि अलकायदा उन पर हमले की साजिश रच रहा है। इसलिए क्लिंटन ने फोन कर नवाज से मदद की अपील की। उन्होंने कहा कि अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन हमले की साजिश रच रहा है। आप तालिबान से वार्ता कर लादेन की रोकने की कोशिश करें। मुझे ऐसा करने में आपकी मदद की जरूरत है। उस समय अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था। छह मिनट तक चली वार्ता के दौरान शरीफ ने कहा कि मैं आपकी परेशानी को समझता हूं। लेकिन, तालिबान किसी की बात नहीं सुनते। इस संबंध में सऊदी के प्रिंस तुर्की ने भी वार्ता की है। मैं आपकों आश्वस्त करता हूं कि हम हरसंभव कदम उठाएंगे।

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    क्लिंटन ने साफ किया था कि लादेन 48 घंटे के अंदर हमला करने वाला है। इसे अफगानिस्तान से अंजाम दिया जाएगा। मुझे लगता है कि पाकिस्तान का तालिबान पर बहुत प्रभाव है। तालिबान को अंतरराष्ट्रीय समुदाय स्वीकार कर सकता है। लेकिन यदि उन्होंने हम पर हमला किया तो ऐसा कभी संभव नहीं होगा। हमने तालिबान को चेतावनी दे दी है। आप हर वो कदम उठाएं जिससे कि ऐसा हमला टाला जा सके।

    इस वार्ता के लगभग 15 साल बाद 23 अक्टूबर को ऐसी ही कहानी फिर दोहराई जाएगी। इस दिन नवाज अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मिलेंगे। ओबामा उनसे तालिबान के साथ अफगानिस्तान में होने वाली शांति वार्ता में मदद मांगेंगे। देखने वाली बात यह होगी कि इस बार शरीफ का जवाब क्या होगा।

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