शरीफ ने कश्मीर पर अमेरिका से फिर लगाई मध्यस्थता की गुहार
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात से पहले पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर पर अपने नापाक इरादे जाहिर कर दिए हैं। शरीफ कहा है कि यदि कश्मीर मामले में अमेरिका मध्यस्थता को राजी हो जाए तो यह मसला जल्द सुलझ जाएगा। बुधवार को ओबामा से मुलाकात के पहले आई शरीफ की इस मांग को अमेरिका ने ठुकरा दिया है। कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा बताते हुए ओबामा प्रशासन ने कहा कि इस मुद्दे पर अमेरिकी नीति पर कोई बदलाव नहीं आया है।
इस्लामाबाद। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात से पहले पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर पर अपने नापाक इरादे जाहिर कर दिए हैं। शरीफ कहा है कि यदि कश्मीर मामले में अमेरिका मध्यस्थता को राजी हो जाए तो यह मसला जल्द सुलझ जाएगा। बुधवार को ओबामा से मुलाकात के पहले आई शरीफ की इस मांग को अमेरिका ने ठुकरा दिया है। कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा बताते हुए ओबामा प्रशासन ने कहा कि इस मुद्दे पर अमेरिकी नीति पर कोई बदलाव नहीं आया है।
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वैसे कश्मीर मसले पर पाक का अमेरिकी मध्यस्थता का राग नया नहीं है। अमेरिका के बार-बार मना करने के बावजूद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कश्मीर मसले पर वाशिंगटन से मध्यस्थता की गुहार लगाते रहे हैं। अमेरिका पहले भी कई बार साफ कर चुका है कि भारत एवं पाकिस्तान को द्विपक्षीय वार्ता के जरिये ही इस मुद्दे का हल निकालना होगा।
अमेरिका की तीन दिवसीय सरकारी यात्रा पर रवाना हुए शरीफ रविवार को कुछ देर के लिए लंदन में रुके। यहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जुलाई, 1999 में कारगिल संघर्ष के समय मैंने तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन से कहा था कि यदि अमेरिका कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करे तो इसका समाधान निकल सकता है। शरीफ के मुताबिक उस समय क्लिंटन ने इस पर गौर करने का वादा किया था, लेकिन उसके बाद हालात बदल गए। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं जिससे यह क्षेत्र परमाणु खतरे से घिरा हुआ है। संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन के दौरान ड्रोन हमले के मुद्दे को उठा चुके शरीफ ने कहा कि ओबामा के साथ बैठक के दौरान वह फिर अमेरिकी ड्रोन हमले उनके देश की संप्रभुता के खिलाफ है।
तनाव के बावजूद वार्ता चाहता है पाकिस्तान
दूसरी ओर, सीमा पर जारी तनाव के बीच पाकिस्तान ने वार्ता का राग अलापा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एजाज चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से हो रही गोलीबारी पर सफाई देते हुए कहा कि हम केवल भारतीय सेना की गोलीबारी का जवाब दे रहे हैं। हम बिना उकसावे के गोलीबारी नहीं करते। दोनों मुल्कों को संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करना चाहिए। यदि वार्ता होगी तो ऐसा कोई समाधान जरूर निकल आएगा जिससे दीर्घकालीन शांति स्थापित होगी। चौधरी के मुताबिक दोनों देशों को आरोप-प्रत्यारोप से ऊपर उठकर शांति के महान लक्ष्य के लिए वार्ता शुरू करनी चाहिए।
भारत को अमेरिकी हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं
नई दिल्ली। कश्मीर समस्या को सुलझाने में अमेरिकी हस्तक्षेप की पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मांग को भारत ने सिरे से खारिज किया है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, दोनों देशों के बीच हुए शिमला समझौते में जिसे द्विपक्षीय मुद्दा माना गया है, उसमें हस्तक्षेप भारत को स्वीकार्य नहीं है। कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, लिहाजा उसपर सवाल उठाने की इजाजत किसी को नहीं है। इसपर बात करना समय की बर्बादी है। पाकिस्तान की गोलीबारी से संघर्ष विराम समाप्त होने के सवाल पर खुर्शीद ने कहा, मैं नहीं समझता कि यह सही है। संघर्ष विराम का कई बार उल्लंघन किया गया है, जो अस्वीकार्य है। लेकिन यह कहना कि संघर्ष विराम समाप्त हो गया है, हालात का उचित आकलन नहीं होगा।
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