2 करोड़ 72 लाख! ये संपत्ति का ब्यौरा नहीं मोबाइल का बिल है
आप हर महीने अपने मोबाइल का बिल जरूर चुकाते होंगे। कुछ लोगों का मोबाइल बिल सैकड़ों में होता है तो कुछ लोगों का हजारों में। ऐसे कम ही लोग होंगे जिनका मोबाइल बिल लाखों में आता हो। लेकिन जब मोबाइल बिल करोड़ों में आ जाए तो फिर आप क्या करेंगे। हैरान हो गए न। जी हां ऑस्ट्रेलिया में एक शख्स ऐसा है जिसका मोबाइल बिल करोड़ों
मेलबोर्न। आप हर महीने अपने मोबाइल का बिल जरूर चुकाते होंगे। कुछ लोगों का मोबाइल बिल सैकड़ों में होता है तो कुछ लोगों का हजारों में। ऐसे कम ही लोग होंगे जिनका मोबाइल बिल लाखों में आता हो। लेकिन जब मोबाइल बिल करोड़ों में आ जाए तो फिर आप क्या करेंगे। हैरान हो गए न। जी हां ऑस्ट्रेलिया में एक शख्स ऐसा है जिसका मोबाइल बिल करोड़ों में आया है।
दरअसल ऑस्ट्रेलिया में एक शख्स का फोन चोरी हो गया था उसके बाद जो बिल आया उसें देखकर उसकी आंखे फटी की फटी रह गई। इस फोन का बिल आया 5 लाख ऑस्ट्रेलियन डॉलर यानि लगभग 2 करोड़ 72 लाख रूपये। हालांकि यह मामला तब दुनिया के सामने आया जब इस बिल से परेशान होकर फोन के मालिक ने ऑस्ट्रेलियाई टेलीकॉम लोकपाल के पास इसकी शिकायत दर्ज कराई। जैसे ही फोन चोरी हुआ यह शख्स उसकी चोरी रिपोर्ट लिखवा चुका था। टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनी इस ग्राहक से बिल चुकता करने को लेकर अड़ी हुई थी।
मामला जोर पकड़ने पर जब इस फोन की कॉल की जांच की गई तो और भी ज्यादा चौंकाने वाले सच सामने आएं। चोरी होने के बाद इस फोन से ज्यादातर कॉल सोमालिया की गई थी। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसका फोन उसके बेटे के पास से चोरी हुआ था, जब वह वह यूरोप घूमने गया था। दरअसल इन दोनों महादेशों के टाइमजोन में फर्क होने की वजह से चोरी होने की शिकायत घटना के एक दिन बाद दर्ज हो पाई। लेकिन जब ऑस्ट्रेलिया में इस फोन का बिल 2 करोड़ 72 लाख आया तो इस शख्स के पैरों तले की जमीन खिसक गई। हालांकि मामले में राहत की बात ये रही कि टेलीकॉम लोकपाल के हस्तक्षेप के बाद कंपनी ने इस ग्राहक का बिल माफ कर दिया।
गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में फोन की रोमिंग दरें बहुत महंगी हैं। ओईसीडी संगठन की 2011 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक रोमिंग दरों के मामले में ऑस्ट्रेलिया दुनिया के सबसे महंगे देशों में से एक है। हालांकि यूरोपियन यूनियन ने इस साल एक फैसले में कहा है कि रोमिंग दरों को यूरोपीय देशों में कम किया जाना चाहिए, लेकिन टेलीकॉम कंपनियों की ओर से इस फैसले का विरोध किया जा रहा है।
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