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    पाक पीएम की अपने मंत्रियों को नसीहत, कहा-भारत के खिलाफ न बोलें

    By Manoj YadavEdited By:
    Updated: Sat, 19 Dec 2015 12:48 PM (IST)

    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने मंत्रियों को सख्त हिदायत दी है। शरीफ ने अपने मंत्रियों से भारत के खिलाफ कोई भी बयान देने से मना किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से शांति वार्ता पर अशर होता है। नवाज शरीफ के करीबी सूत्र का कहना है कि

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    इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने मंत्रियों को सख्त हिदायत दी है। शरीफ ने अपने मंत्रियों से भारत के खिलाफ कोई भी बयान देने से मना किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से शांति वार्ता पर की जा रही पहल पर असर होगा। नवाज शरीफ के करीबी सूत्र का कहना है कि मंत्रियों और अधिकारियों से कहा गया है कि वे भारत के खिलाफ ऐसा कोई बयान न दें जिससे शांति वार्ता में कोई रुकावट आए। केवल ऐसे बयान दें जिससे शांति वार्ता संभव हो।

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    प्रधानमंत्री ने अपने करीबियों से कहा कि वे शांति वार्ता को प्रोत्साहित करें। नवाज शरीफ भारत के साथ शांति वार्ता को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनका मानना है कि इससे दोनों देशों का लाभ होगा। वे इस बात से नाराज थे कि भारत केवल पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर ही बातचीत करना चाहता है। लेकिन हम यह समझते हैं कि यह भारत की नीति नहीं है। शरीफ भारत के साथ बेहतर रिश्ते बनाकर व्यापार को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसके साथ वे आतंकवाद पर भी बात करना चाहते हैं। इसमें दो राय नहीं है कि दोनों देश इच्छुक होंगे तो मुख्य मुद्दों पर भी बातचीत होगी। नवाज शरीफ और पीएम मोदी के साथ पेरिस में बातचीत और बैंकाक में दोनों देशों के एनएसए के साथ बातचीत ने द्विपक्षीय वार्ता में सुधार की स्थिति पैदा हो गई।

    इसके साथ भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी आठ दिसंबर को भारत दौरा किया और हार्ट ऑफ एशिया के कांफ्रेंस में शामिल हुई। जहां पर वह पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और विदेश मंत्री सरताज अजीज से भी अलग से मुलाकात की। वहीं यह भी उम्मीद की जा रही है कि जनवरी में नवाज शरीफ और मोदी की स्विटजरलैंड में एक बार फिर मुलाकात होगी।

    दोनों देशों के प्रमुख 46 वीं वर्षागाठ के मौके पर वर्ल्ड इकोनिमिक फोरम के आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ)में हिस्सा लेने के लिए जा सकते हैं। जानकारों की की मानें तो भारत-पाक दोनों देश नये संबंध सुधार की तरफ हैं। इससे दोनों देशों के सभी विवादित मुद्दों को भी बातचीत के जरिए सुलझाया जा सकता है।

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