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    पाक ने टेके घुटने, तालिबान के खिलाफ नहीं होगी सैन्य कार्रवाई

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    Updated: Wed, 18 Dec 2013 09:50 AM (IST)

    पाकिस्तान सरकार ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से इन्कार कर दिया है। सरकार ने कहा है कि वह शांति वार्ता के जरिये आतंकवादियों के हथियार डलवाएगी। लेकिन पाक तालिबान ने सरकार की ओर से की गई पहल को नजरअंदाज कर दिया है। पाकिस्तान के एक अखबार के मुताबिक तालिबान के प्रवक्त

    इस्लामाबाद। पाकिस्तान सरकार ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के खिलाफ सैन्य कार्रवाई से इन्कार कर दिया है। सरकार ने कहा है कि वह शांति वार्ता के जरिये आतंकवादियों के हथियार डलवाएगी। लेकिन पाक तालिबान ने सरकार की ओर से की गई पहल को नजरअंदाज कर दिया है। पाकिस्तान के एक अखबार के मुताबिक तालिबान के प्रवक्ता शाहीदुल्लाह शाहिद ने साफ कर दिया है कि वह सरकार से कोई बातचीत नहीं करने वाले हैं।

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    पाक तालिबान का आरोप है कि सरकार एक ओर जहां बातचीत का ऑफर कर रही है वहीं दूसरी ओर वह उनके खिलाफ बडा आर्मी ऑपरेशन करने की फिराक में है। उनका कहना है कि इसके लिए सरकार ने पूरी तरह से तैयारी कर ली है। उन्होंने सरकार पर पैसों का लालची और अमेरिका का पिठठू होने का आरोप लगाया हे। शाहिद ने कहा है कि इससे पहले भी पाक सरकार इस तरह का विश्वासघात कर चुकी है।

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    प्रधानमंत्री कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारी तारिक अजीम ने मंगलवार को कहा कि तालिबान भले ही कड़ा रुख अपना रहा हो, लेकिन इससे यह कयास नहीं लगाना चाहिए कि बातचीत के प्रयास असफल हो चुके हैं। अजीम के मुताबिक तालिबान वार्ता के प्रति उत्साहित है। हालांकि, अजीम के इस बयान पर तालिबान की ओर से बयान नहीं आया है। जबकि पाकिस्तान तालिबान का नया सरगना मुल्ला फजलुल्ला शांति वार्ता से इन्कार करता रहा है।

    उसने आतंकियों को संदेश दिया है कि वे हमले बढ़ाकर सरकार का तख्तापलट कर देश में इस्लामी कानून लागू कर दें। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने मंगलवार को कैबिनेट की राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक की। बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि सरकार ने चरमपंथ और आतंकवाद के खिलाफ रणनीति पर चर्चा की है। इसमें तय हुआ है कि सरकार पाकिस्तान तालिबान के विभिन्न गुटों के साथ इन गंभीर मुद्दों पर चर्चा करे।

    समिति ने प्रधानमंत्री से साफ कहा कि वार्ता के अलावा जो भी विकल्प हैं, उन्हें अंतिम मानकर ही आगे बढ़ा जाए। फजलुल्ला उर्फ मुल्ला रेडियो के दोबारा पाकिस्तान लौटने से अफगान सीमा से सटे पश्तून इलाकों में स्थिति हाथ से बाहर जाती दिखाई दे रही थी। उसके नेतृत्व में ही स्वात घाटी पर तालिबान का कब्जा हुआ था। सेना ने 2009 में अभियान चलाकर तालिबान आतंकियों के कब्जे से घाटी को मुक्त कराया था।

    फजलुल्ला अफगानिस्तान भाग था। लेकिन, एक नवंबर को ड्रोन हमले में टीटीपी सरगना हकीमुल्ला महसूद की मौत के बाद वह वापस लौट आया है। हालांकि, महसूद की मौत के बाद कोई बड़ा हमला नहीं हुआ है। लेकिन, सरकार इसे तूफान से पहले की शांति बता रही है।

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