विश्व के नेताओं ने माना परमाणु हथियारों की सुरक्षा सबसे बड़ी जरूरत
आतंक के साए में जी रही दुनिया के शक्तिशाली नेताओं ने शनिवार को परमाणु हथियारों की सुरक्षा को समय की सबसे बड़ी मांग बताया।
वाशिंगटन। आतंक के साए में जी रही दुनिया के शक्तिशाली नेताओं ने शनिवार को परमाणु हथियारों की सुरक्षा को समय की सबसे बड़ी मांग बताया। इन नेताओं ने कहा, आतंकियों के हाथ ये हथियार आए तो वे इस्तेमाल करने से चूकेंगे नहीं- दुनिया का नक्शा बदल जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर परमाणु हथियारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण उपायों के बारे में जानकारी दी।
मोदी ने बताया कि भारत में इन हथियारों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं। सरकार ने न परमाणु अप्रसार, तस्करी और तकनीकी के गलत हाथों में जाने से रोकने के पर्याप्त उपाय कर रखे हैं। आतंकियों के परमाणु हथियारों तक पहुंचने के रास्ते नहीं छोड़े गए हैं। मोदी ने परमाणु सुरक्षा पर आयोजित सम्मेलन में 50 से ज्यादा देशों के नेताओं के समक्ष यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत में सुरक्षा का दायित्व संभालने में प्रशिक्षित लोगों की टीम लगी है। अवांछित तत्वों से हथियारों को बचाने लिए मानव सुरक्षा के साथ ही तकनीकी रुकावट पैदा की गई है। इनके कार्यो की समीक्षा का कार्य लगातार चलता है।
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इस पर एक स्वतंत्र एजेंसी नजर रखती है और अपनी रिपोर्ट देती है। यह सारा कार्य देश के बड़े प्रशासनिक ढांचे में होता है। यहां तक कि प्रयुक्त होने वाले रेडियोएक्टिव तत्वों को तकनीकी रूप से कम सक्रिय तौर पर रखा जाता है और जरूरत के वक्त ही उनको सक्रिय किया जाता है। परमाणु सुरक्षा के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) को और सक्रिय किए जाने का पक्षधर है। इसके लिए वह आइएईए को दस लाख डॉलर (करीब सात करोड़ रुपये) की मदद दे रहा है। मोदी ने इस मौके पर भारतीय सुरक्षा व्यवस्था को विश्व हित में अंगीकार किए जाने की जरूरत बताई। भारत सन 2017 में परमाणु आतंकवाद पर होने वाले सम्मेलन की मेजबानी करेगा।
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पाकिस्तान को एनएसजी का सदस्य बनाया जाए
इस मौके पर पाकिस्तान की ओर से कहा गया कि उसमें परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य बनने के सभी गुण मौजूद हैं। इसलिए उसे अविलंब इस समूह में शामिल किया जाना चाहिए। यह बात पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल में शामिल विदेश राज्य मंत्री सईद तारिक फातमी ने कही।
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