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    कानूनी खामियों से लखवी पा गया जमानत

    By Sachin kEdited By:
    Updated: Sat, 27 Dec 2014 05:06 PM (IST)

    26/11 मुंबई हमले के साजिशकर्ता जकी उर रहमान लखवी को जमानत मिलने के पीछे कानूनी खामियां, कमजोर सुबूत व उसके खिलाफ लगी बेवजह की धाराएं जिम्मेदार थीं। पा ...और पढ़ें

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    इस्लामाबाद। 26/11 मुंबई हमले के साजिशकर्ता जकी उर रहमान लखवी को जमानत मिलने के पीछे कानूनी खामियां, कमजोर सुबूत व उसके खिलाफ लगी बेवजह की धाराएं जिम्मेदार थीं। पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी अदालत (एटीसी) ने अपने आदेश में यह बात कही है।

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    अब तक जमानत आदेश न मिलने का हवाला दे रही पाकिस्तानी सरकार की पोल डॉन अखबार ने खोल दी है। खबर छपने के बाद पाकिस्तान सरकार ने आदेश की प्रति मिलने की बात स्वीकार करते हुए जल्द अपील दायर करने की बात कही है।

    मुख्य अभियोजन अधिकारी चौधरी अजहर ने शनिवार को कहा कि छुट्टियां खत्म होने के बाद जनवरी के पहले हफ्ते में जमानत आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की जाएगी।

    गौरतलब है कि आतंकवाद विरोधी अदालत के जज सैयद कौसर अब्बास जैदी ने बीते 18 दिसंबर को 54 वर्षीय लखवी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए थे। हालांकि, जमानत मिलने के बाद लखवी को दोबारा हिरासत में लेकर रावलपिंडी जेल भेज दिया गया था।

    जज ने अपने आदेश में लिखा है कि लखवी के खिलाफ सारे सुबूत जांच अधिकारियों के बयान पर आधारित थे, जो जमानत देने से मना करने के लिए अपर्याप्त थे। इस मामले के गवाह मोहम्मद मुमताज ने लखवी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा था। एफआइआर व उसमें लगी विभिन्न धाराओं का लाभ भी लखवी को मिल गया।

    अदालत ने अपने आदेश में कहा कि एफआइआर को देखने से यह भी पता चलता है कि नवंबर 2008 में हुए हमले की रिपोर्ट 2 फरवरी, 2009 को दर्ज की गई। अदालत के अनुसार, अपराध प्रक्रिया संहिता में एफआइआर दर्ज कराने में देरी का लाभ हमेशा अभियुक्त को मिल जाता है। हालांकि पाकिस्तान के पूर्व डिप्टी अटार्नी जनरल तारिक जहांगीर अदालत के इस मत से सहमत नहीं हैं।

    उनके मुताबिक, आपराधिक मामलों में कई महीने बाद तक प्राथमिकी दर्ज की जाती है। आदेश में कहा गया है कि कमजोर सुबूत, अप्रासंगिक धाराओं में प्राथमिकी, कभी न खत्म होने वाली सुनवाई और कही-सुनी बातें लखवी के पक्ष में चले गए।

    लखवी को पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी (एफआइए) ने हमले में एकमात्र जिंदा बचे आतंकी अजमल आमिर कसाब के बयान के आधार पर फरवरी 2009 में गिरफ्तार किया था। कसाब को 21 नवंबर, 2012 में भारत में फांसी दे दी गई थी।

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