पचास साल पहले चली थी पहली बुलेट ट्रेन
पचास साल पहले टोक्यो स्टेशन से चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन ने जल्द ही न सिर्फ देश के सारे बड़े शहरों को जोड़ा, बल्कि जापान को एक ऐसी आधुनिक आर्थिक महाशक्ति बना दिया, जिससे दुनिया को ईष्र्या हो।
ओमिया। पचास साल पहले टोक्यो स्टेशन से चलने वाली पहली बुलेट ट्रेन ने जल्द ही न सिर्फ देश के सारे बड़े शहरों को जोड़ा, बल्कि जापान को एक ऐसी आधुनिक आर्थिक महाशक्ति बना दिया, जिससे दुनिया को ईष्र्या हो।
जापान के आत्मविश्वास का प्रतीक थी 'शिनकासेन' दूसरे विश्वयुद्ध में हार से बर्बाद हो चुके जापान ने दो दशक के अंदर ही आकर्षक और हवाई जहाज के आकार की बुलेट ट्रेन 'शिनकासेन' चालू की। रेलवे के पूर्व इंजीनियर फुमिहिरो अराकी बताते हैं, 'शिनकासेन' के आगमन से हमें लगा कि जापान के बुरे दिन खत्म होने वाले हैं और देश तेजी से बदलने जा रहा है। फिलहाल टोक्यो के उत्तर में ओमिया में रेलवे संग्रहालय के उपनिदेशक 73 वर्षीय अराकी आगे बताते हैं, 'शिनकासेन दुनिया की सबसे तेज बुलेट ट्रेन थी, इसने जापान के लोगों को उम्मीद दी। इसे 'सपनों की सुपरएक्सप्रेस' नाम दिया गया।
पटरी से उतरने या टकराने की एक भी घटना नहीं
'शिनकासेन' जापान के दो बड़े शहरों राजधानी टोक्यो और ओसाका के बीच की 515 किलोमीटर की दूरी को 210 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दो घंटे 33 मिनट में पूरा करती है। इस रास्ते में 66 सुरंगें और 96 पुल हैं। आज बुलेट ट्रेन की रफ्तार 320 किलोमीटर प्रति घंटा तक है। खास बात यह है कि पचास साल के इतिहास में शिनकासेन न कभी पटरी से उतरी और न किसी चीज से टकराई। यही नहीं, बुलेट ट्रेन कभी एक मिनट से ज्यादा लेट नहीं हुई।
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