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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए एक कदम बढ़ा भारत

सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का दावा कर रहे भारत को इस दिशा में बड़ी सफलता मिली है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सुरक्षा परिषद के विस्तार पर चर्चा को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इसका विषय 'सुरक्षा परिषद की सदस्यता में बढ़ोतरी या बराबरी का प्रतिनिधित्व'

By Test1 Test1Edited By: Published: Mon, 14 Sep 2015 09:12 PM (IST)Updated: Tue, 15 Sep 2015 02:15 PM (IST)
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए एक कदम बढ़ा भारत

संयुक्त राष्ट्र। सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का दावा कर रहे भारत को इस दिशा में बड़ी सफलता मिली है। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सुरक्षा परिषद के विस्तार पर चर्चा को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। इसका विषय 'सुरक्षा परिषद की सदस्यता में बढ़ोतरी या बराबरी का प्रतिनिधित्व' है। महासभा के 193 सदस्य देश इससे संबंधित दस्तावेज के मसौदे पर अगले एक साल तक चर्चा करने के लिए राजी हो गए। चीन चाहकर भी इस मसौदे का विरोध नहीं कर सका।

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संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में यह पहला मौका है, जब महासभा के सदस्य देशों ने लिखित में सुझाव देकर बताया कि प्रस्ताव में क्या लिखा जाए। हालांकि अमेरिका, चीन और रूस ने इस कवायद में शामिल न होकर भारत के प्रयास में अड़ंगा डालने की कोशिश की। महासभा के अध्यक्ष सैम कुटेसा की अध्यक्षता में सदस्य देशों की आम बैठक के दौरान सुरक्षा परिषद के विस्तार पर चर्चा का फैसला लिया गया। बैठक के दौरान कुटेसा ने इस मुद्दे पर अमेरिका, रूस और चीन के रुख से भी महासभा को अवगत कराया।

इस बाबत पूर्व में संरा में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि हालांकि यह महत्वपूर्ण कदम है और हम इसका स्वागत करते हैं, लेकिन हम एक संतोषजनक परिणाम के करीब नहीं पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि सच यह है कि हम 23 साल बाद अंतत: हमारे राजनयिक विषय को संयुक्त राष्ट्र में रखने में कामयाब रहे।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई देशों से सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के लिए सहयोग मांग चुके हैं। उनका कहना है कि इस साल संयुक्त राष्ट्र अपनी 70वीं वर्षगांठ मना रहा है और सुधार के लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकता है।

धरे रह गए ड्रैगन के मंसूबे

चीन सुरक्षा परिषद के विस्तार का कड़ा विरोध करता रहा है। खबर है कि वह सुधार के ढांचे पर चर्चा के इस प्रस्ताव पर वोटिंग कराना चाहता था, लेकिन उसे दूसरों का साथ नहीं मिला। इसके बाद उसने वोटिंग पर जोर भी नहीं डाला। चीन अगर वोटिंग पर जोर डालता, तो भारत को दूसरे देशों को अपने पक्ष में करने के लिए मेहनत करनी पड़ सकती थी। अमेरिका और रूस ने भारत की सदस्यता का मौखिक रूप से जरूर समर्थन किया था, लेकिन इस पर कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया।

अब आगे क्या होगा

* महासभा द्वारा चर्चा के लिए स्वीकृत प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के अगले साल के एजेंडे पर बात की गई है।

* एक बार मसौदा तैयार हो जाने के बाद उसे महासभा में मतदान के लिए रखा जाएगा।

* यहां उसे पास होने के लिए दो तिहाई वोट की जरूरत पड़ेगी।

सबसे बड़ी पंचायत

* सुरक्षा परिषद इस वैश्विक संगठन में निर्णय लेने वाला शीर्ष अंग है।

* इसकी शक्तिशाली भूमिका के चलते इसे दुनिया की सबसे बड़ी पंचायत कहा जाता है।

* इसके पांच स्थायी और 10 अस्थाई सदस्य होते हैं।

* अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।

* 10 अस्थाई सदस्य देशों का चुनाव दो साल के लिए किया जाता है।

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'महासभा ने आज जो मसौदा मंजूर किया है, वह कई मायनों में ऐतिहासिक है। सुरक्षा परिषद इसी तरह निष्प्रभावी बनी रही, तो लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।' -अशोक मुखर्जी, संरा में भारत के राजदूत

'दो दशक से ज्यादा समय बाद भारत के लिए एक बड़ा अवसर आया है। अब हम सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए लिखित दस्तावेज के आधार पर बातचीत शुरू कर सकते हैं।' -विकास स्वरूप, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता

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