यहां के 'मॉस्क्यूटो फैक्ट्री' में बनते हैं ऐसे मच्छर जो 'जीका' को रखेंगे दूर
लैबोरेट्री में वोलबचिया बैक्टीरिया के साथ मच्छरों के अंडों को डाला और तब संक्रमित नर मच्छरों को रिलीज किया, ये मच्छर संक्रमण को फैलाएंगेे नहीं बल्कि बीमारियों को दूर रखेंगेे
बीजिंग। चीन में मच्छरों की ऐसी फैक्टरी विकसित की गयी है जो बीमारियों को बढ़ाएंगेे नहीं बल्कि इन्हें खत्म करेंगे। डेंगू और जीका जैसी बीमारियों को खत्म करने के लिए हर सप्ताह, दक्षिणी चीन में वैज्ञानिक 3 किमी लंबे आइलैंड पर 3 मिलियन बैक्टीरिया संक्रमित मच्छरों को रिलीज करते हैं। प्रयोगशाला में वैज्ञानिक वोलबचिया बैक्टीरिया के साथ मच्छरों के अंडों को इंजेक्ट करते हैं। इसके बाद आइलैंड व गुआंगझोउ के इलाके में संक्रमित नर मच्छरों को छोड़ देते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, जंगली मच्छरों की प्रजाति में यह बैक्टीरिया स्वभाविक रूप से करीब 28 फीसद मौजूद होता है, और मादा मच्छरों से मिलने के बाद ये उन्हें स्टर्लाइज कर देते हैं। इस पूरी प्रक्रिया का लक्ष्य यही है कि बीमारियों के संक्रमण को अधिक फैलने से रोका जा सके।
पिछले साल ब्राजील में जीका वायरस का प्रसार अमेरिका व चीन के अलावा भी कई जगहों में हो गया था। अमेरिकी स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि गर्भवती महिलाओं में जीका संक्रमण से ‘माइक्रोसिफैली’ हो सकता है। माइक्रोसिफैली जन्मजात दोष है जिसके कारण बच्चे के सिर का आकार छोटा होता है और उनकी वृदि्ध में समस्या होती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि जीका से न्यूरोलॉजिकल सिंड्रोम ‘गुइलैन-बर्रे’ भी होता है जो व्यस्कों में पैरालाइसिस का कारण बनता है। सन यात-सेन यूनिवर्सिटी सेंटर के डायरेक्टर, झियोंग जी ने कहा कि अनेकों देशों विशेषकर ब्राजील और मेक्सिको ने इस प्रयोग में रूचि दिखायी है।
5,000 मादा मच्छरों और 1,600 नर मच्छरों वाले ब्रीडिंग केज से प्रयोगशाला में मच्छरों के अंडे का संग्रह किया जाता है और इसे वोलबाचिया बैक्टीरिया के साथ रखा जाता है। जी के पास ऐसी सुविधा उपलब्ध है जहां एक हफ्ते में पांच मिलियन मच्छरों की ब्रीडिंग हो सकती है।
जी का ये ‘सेटअप’ 3,500 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। जी के अनुसार, 2012 में बने इस ‘मॉस्क्यूटो फैक्टरी’ के जरिए मच्छरों की जनसंख्या में 90 फीसद से अधिक की कमी आयी है। इस आइलैंड पर 6 दशकों तक रहने वाले एक 66 वर्षीय ग्रामीण, लियांग जिंतियान ने कहा, ‘अध्ययन काफी प्रभावी था और उन्हें मच्छरदानी में नहीं सोना पड़ता था। पहले यहां काफी मच्छर थे।‘
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