प्रणब-दलाई लामा मुलाकात पर भारत चीन आमने सामने
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने संवाददाताओं को बताया कि विरोध के बावजूद भारत ने हमारी भावनाओं को दरकिनार करते हुए राष्ट्रपति से दलाई लामा की मुलाकात का कार्यक्रम रखा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और चीन के रिश्तों में किसी न किसी वजह से कटुता बढ़ती जा रही है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बौद्धों के अध्यात्मिक नेता दलाई लामा से एक कार्यक्रम में मुलाकात के बाद चीन की कड़ी प्रतिक्रिया को भारत ने एक सिरे से खारिज कर दिया है।
भारत ने कहा है कि दलाई लामा भारत के एक सम्मानित अतिथि हैं। वैसे भी राष्ट्रपति की उनसे मुलाकात एक गैर राजनीतिक कार्यक्रम में हुई है जो बच्चों के कल्याण से जुड़ा हुआ था। चीन की तरफ से दलाई लामा की भारत में आने जाने को लेकर शिकायतों में हाल के महीनों में काफी इजाफा हो गया है।पिछले सप्ताहांत नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मुलाकात दलाई लामा से हुई थी। उस पर शुक्रवार को चीन के विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा है कि यह बहुत ही दुखद है।
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चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गेंग शुआंग ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा है कि दलाई लामा का भारत के राष्ट्रपति भवन जाना और वहां के राष्ट्रपति से मुलाकात का वह विरोध करता है। दलाई लामा राजनीतिक निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं और वह भारत में चीन विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रहे हैं। चीन किसी भी दूसरे देश के अधिकारियों के साथ उनके मुलाकात का विरोध करता है।
इसके साथ ही चीन ने उम्मीद जताई है कि भारत ऐसे कदम उठाएगा जिससे दोनों देशों के रिश्तों पर नकारात्मक असर को खत्म किया जा सके।चीन की इस प्रतिक्रिया के कुछ ही देर बार विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इसे खारिज कर दिया। सूत्रों का मानना है कि चीन जान बूझ कर मौलाना मसूद अजहर मामले पर वोटिंग की वजह से दलाई लामा को लेकर आज कल ज्यादा शोर मचा रहा है।
आतंकी संगठन जैश के मुखिया अजहर पर प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों को चीन लगातार धत्ता बता रहा है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी छवि आतंकियों को समर्थन देने वाले देश के तौर पर बनने का खतरा है। कुछ ही दिन पहले जब अरुणाचल प्रदेश की सरकार ने दलाई लामा को अपने यहां आमंत्रित किया था तब इस पर भी चीन ने अपनी आपत्ति जताई थी। दलाई लामा को अगले वर्ष अरुणाचल प्रदेश जाना है लेकिन चीन अभी से इसका विरोध कर रहा है।
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