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    ओबामा की चीन को नसीहत- दक्षिण चीन सागर पर फैसला मानना ही होगा

    By kishor joshiEdited By:
    Updated: Fri, 09 Sep 2016 04:58 AM (IST)

    दक्षिण चीन सागर पर चीन के अड़ियल रवैये पर अमेरिका ने एक बार फिर चिंता जताते हुए चीन को आगाह किया है कि उसे पंचाट का फैसला मानना ही होगा।

    वियंतियाने (एएफपी)। दक्षिण चीन सागर पर अमेरिका ने सख्त लहजे में चीन को चेताया है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के फैसले को बाध्यकारी बताया है। उन्होंने इस क्षेत्र पर चीन के दावे को गैर कानूनी बताते हुए कहा है कि उसे अदालत का फैसला मानना ही पड़ेगा।

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    लाओस की राजधानी वियंतियाने में आसियान बैठक के दौरान उन्होंने यह बात कही। उन्होंने जुलाई में आए न्यायाधिकरण के फैसले को ऐतिहासिक और बाध्यकारी बताते हुए कहा कि इससे समुद्री अधिकार स्पष्ट हुए हैं। चीन को कानून के अनुसार चलने और तनाव बढ़ाने वाले एकपक्षीय कदम नहीं उठाने की भी नसीहत दी।

    इससे एक दिन पहले फिलीपींस ने तस्वीरें जारी करते हुए बताया था कि चीन चोरी-छिपे स्कारबोरो शोआल में कृत्रिम द्वीप का निर्माण कर रहा है। इस महीने यह दूसरा मौका है जब इस क्षेत्र को लेकर ओबामा ने इस तरह की सख्ती दिखाई है।

    इससे पहले उन्होंने चीन को अपने आक्रामक व्यवहार पर नियंत्रण रखने या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा था। गौरतलब है कि 12 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण ने दक्षिण चीन सागर पर चीन का एकाधिकार खारिज कर दिया था। इस फैसले को ठुकराते हुए चीन ने रणनीतिक लिहाज से अहम इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ा रखी है।

    तटस्थ रहे अमेरिका

    चीन ने अमेरिका पर दखलंदाजी करने और न्यायाधिकरण के फैसले का इस्तेमाल विवाद भड़काने के लिए करने का आरोप लगाया। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि यह मामला चीन और उसके पड़ोसियों के बीच है। विवाद को तूल देने की बजाय अमेरिका को तटस्थ और रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने रूस की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि यह मामला न्यायाधिकरण के अधिकार क्षेत्र में हीं नहीं आता है। उसका फैसला गैर कानूनी है।

    उल्लेखनीय है कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने जी-20 सम्मेलन के बाद दक्षिण चीन सागर मामले में किसी तीसरे देश की भूमिका को खारिज कर दिया था।

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