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    बांग्‍लादेश में जमात नेता की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर

    By Sanjay BhardwajEdited By:
    Updated: Tue, 04 Nov 2014 12:03 AM (IST)

    बांग्‍लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 1971 में पाकिस्‍तान के खिलाफ मुक्ति संघर्ष के दौरान सामूहिक हत्‍या और मानवता के खिलाफ अपराध के दोषी पाए गए जमात-ए-इस्‍लामी के प्रमुख नेता मोहम्‍मद कमरुज्‍जमान की फांसी की सजा को बरकरार रखा है।

    ढाका। बांग्‍लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 1971 में पाकिस्‍तान के खिलाफ मुक्ति संघर्ष के दौरान सामूहिक हत्‍या और मानवता के खिलाफ अपराध के दोषी पाए गए जमात-ए-इस्‍लामी के प्रमुख नेता मोहम्‍मद कमरुज्‍जमान की फांसी की सजा को बरकरार रखा है।

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    सुप्रीम कोर्ट के न्‍यायाधीश जस्टिस एस के सिन्‍हा की अध्‍यक्षता वाली चार अपीलीय डिवीजन ने कमरुज्‍जमान की याचिका पर सुनवाई करते हुए सजा बरकरार रखने का आदेश दिया। 62 वर्षीय अलगाववादी नेता कमरुज्‍जमान को पिछले वर्ष मई में विशेष न्‍यायाधिकरण ने फांसी की सजा सुनाई थी।

    गौरतलब है कि यह फैसला तब आया है जब एक सप्‍ताह पहले ही जमात के मुखिया मतिउर रहमान निजामी और एक अन्‍य प्रमुख नेता मीर कासिम अली को मौत की सजा सुनाई गई है।

    विशेष न्‍यायाधिकरण्‍ा ने 25 जुलाई 1971 को सोहागपुर गांव में 164 निहत्‍थे लोगों की हत्‍या के सिलसिले में कमरुज्‍जमान को फांसी की सजा सुनाई है। इससे पहले दो अन्‍य मामलों में एक में मौत की सजा को उम्रकैद और एक मामले में मौत की सजा बरकरार रखी थी।

    मालूम हो कि कमरुज्‍जमान युद्ध के दौरान जमात के छात्र संघ का नेता था और उसने बांग्‍लादेश का पाकिस्‍तान से अलग होने का विरोध किया था। बांग्‍लादेश की प्रधानमंत्री शेख ह‍सीना ने 2010 में युद्ध अपराध के मुकदमों को चलाने के लिए दो विशेष न्‍यायाधिकरणों की स्‍थापना की थी। इसमें अब तक नौ लोगों को फांसी और दो को उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है। इन नौ में से अब तक केवल जमात के संयुक्‍त महासचिव अब्‍दुल कादिर मुल्‍ला को फांसी दी गई और दो अन्‍य मौत की सजा पाए नेता ब्रिटेन और अमेरिका में निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं।

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