भूकंप त्रासदी: 168 घंटे बाद मलबे से निकाला गया 105 साल का बुजुर्ग
नेपाल में पिछले हफ्ते आए विनाशकारी भूकंप के 168 घंटे बाद रविवार को 105 वर्षीय बुजुर्ग को मलबे से सुरक्षित निकाला गया। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वे 1934 में आए शक्तिशाली भूकंप के भी गवाह रहे हैं। वह उस त्रासदी के दौरान में जिंदा बच गए थे।
काठमांडू। नेपाल में पिछले हफ्ते आए विनाशकारी भूकंप के 168 घंटे बाद रविवार को 105 वर्षीय बुजुर्ग को मलबे से सुरक्षित निकाला गया। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वे 1934 में आए शक्तिशाली भूकंप के भी गवाह रहे हैं। वह उस त्रासदी के दौरान में जिंदा बच गए थे।
नुवाकोट के किमतांग गांव में फंचू घले नामक बुजुर्ग को नेपाल आर्मी के जवानों ने मलबे से निकाला। उधर, भूकंप से नेपाल में मृतकों का आंकड़ा सात हजार से ऊपर जा चुका है जिसमें 19 भारतीय भी शामिल हैं। 14 हजार से अधिक लोग घायल हैं। इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भूकंप के कारण नेपाल में 1,60,786 मकान ध्वस्त हो गए, जो कि 1934 आए भूकंप से लगभग दोगुना है।
देश की जनता दाने-दाने को मोहताज हो रही है और सरकार विश्व समुदाय से अनाज देने को कह रही है। लेकिन समस्या का दूसरा पहलू यह है कि काठमांडू हवाई अड्डे पर राहत सामग्री का अंबार लगता जा रहा है। कस्टम जांच के नाम पर उसे राजधानी में ही रोक लिया गया है। विदेश से आ रही मदद को प्रभावित इलाकों तक भेजने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता लक्ष्मी प्रसाद ढकाल के मुताबिक, विदेश से आने वाले हर सामान की जांच जरूरी है। अधिकारियों के इस रवैये पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने नाराजगी जाहिर की है।
संयुक्त राष्ट्र मानवीय सहायता की प्रमुख वैलेरी एमोस ने कहा कि कस्टम रोक के कारण काठमांडू हवाई अड्डे पर विदेशी राहत सामग्री की ढेर लगी है। इस तरह की भी खबरें हैं कि कस्टम अधिकारी भारत से लगी सीमा से ही राहत सामग्री से भरे ट्रकों को लौटा दे रहे हैं। यह दुखद है। संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय प्रतिनिधि जैमी मैक्कगोल्ड्रिक ने सीमा शुल्क प्रतिबंधों में छूट देने की मांग की है। उनके मुताबिक, शांति काल की सीमा शुल्क प्रणाली को इस वक्त लागू नहीं किया जा सकता है।
वित्त मंत्री रामसरन महत ने शुक्रवार को कहा था कि हमें फालतू चीजों की नहीं बल्कि अनाज, नमक और शक्कर की सख्त जरूरत है।
विदेशी मदद पर राजनीति
नेपाल में विपक्षी वामपंथी दलों ने भारत समेत अन्य देशों द्वारा राहत सामग्री के वितरण पर राजनीति शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री सुशील कोइराला द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के दौरान विपक्ष के तीन वरिष्ठ नेताओं ने आगाह किया कि राहत अभियानों के नाम पर विदेशी हस्तक्षेप से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है। सीपीएन-माओवादी के अध्यक्ष मोहन वैद्य व नेपाल मजदूर किसान पार्टी के प्रमुख नारायण मान बिजुकछे ने बैठक में कहा कि भारत की राहत वितरण गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रही हैं।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि भारतीय सेना और बचाव दलों की गतिविधियां सीमित की जाए। यूसीपीएन-माओवादी प्रमुख कमल दहल प्रचंड ने कहा कि भारत का सीमा बल नेपाल के नियंत्रण से बाहर जा रहा है। उन्होंने सरकार से कहा कि राहत सामग्री वितरित करते समय प्राथमिकता वाले क्षेत्र तय किये जाएं।
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