पैसे खुल्ले न मिलने की वजह से चली गई एक नवजात की जान
सुबह होते ही लोगा बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में नजर आए, तो दूसरी तरफ़ ऑनलाइन पेमेंट करने वालों की चांदी हो गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन से निपटने के लिए बीते गुरुवार की मध्यरात्रि के समय से ही 1000 और 500 रुपये के नोट बंद करने की घोषणा की। जिसके बाद पूरे देश में हर जगह अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। सुबह होते ही लोग बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में नजर आए, तो दूसरी तरफ़ ऑनलाइन पेमेंट करने वालों की चांदी हो गई। अस्पताल, रेलवे सेवा और पैट्रोल पंप जैसे स्थानों पर नोटों के मान्य होने के बावजूद, इन्हीं जगहों पर लोग ज़्यादा परेशान नजर आए ।
इस घोषणा के असर के कारण राजस्थान के पाली में एक पिता को महज इसलिए अपने नवजात शिशु की जान से हाथ धोना पड़ा, क्योंकि एंबुलेंस का किराया देने के लिए उसके पास 500 और 1000 रुपये के नोट के अलावा कुछ नहीं था। जब तक वो 100 रूपये के नोट का इंतजाम करके लाए, उनकी नवजात संतान दुनिया को अलविदा कह चुकी थी।
एक वेबसाइट की खबर के मुताबिक, 24 वर्षीय चंपालाल मेघवाल की पत्नी मनीषा को प्रसव में उठे दर्द की वजह से जिले के ही एक सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया, पर सांस की तकलीफ की वजह से उनके बेटे को जोधपुर के हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया। इसके बाद चंपालाल इंतज़ाम की तलाश में जुट गये, पर उस समय उनके हाथों निराशा लगी, जब सभी एंबुलेंस वाले किराये के लिए 100 और 50 रुपये के नोट की मांग करने लगे।
पाली से जोधपुर के बीच की दूरी 80 किलोमीटर है, जिसके एम्बुलेंस का किराया करीब 6 से 7 हज़ार के करीब था।जब तक चंपालाल खुले पैसों का बंदोबस्त कर पाते, उनका बेटा दुनिया छोड़ चुका था।
हॉस्पिटल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. एम.एस राजपुरोहित भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि हॉस्पिटल की तर फ से चंपालाल को प्राइवेट एम्बुलेंस के लिए कहा गया था। उनका कहना है कि अस्पताल के पास 3 एम्बुलेंस हैं, जो उस समय व्यस्त थीं।
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